विश्व साइकिल दिवस पर आप सबको हार्दिक शुभकामनाएं।
अच्छे स्वास्थ्य के लिए इको फ्रेंडली साइकिल चलाएं।
कैलोरी बर्न करने का सबसे आसान और अच्छा उपाय साइकिल चलाना है। मोनू ने जिम में स्टेशनरी साइकिल चलाने की बजाय, स्टाइलिश साइकिल खरीदी। जिस पर वह जिम जाता और एक घण्टा घूमता और आस पास के काम कर आता। साथ ही सबको नसीहत देता कि ’फैट बर्न करो न की फ्यूल’ एक दिन वह सड़क के किनारे साइकिल खड़ी करके, पेड़ के तने पर लघुशंका(सूसू) करने लगा। फारिग होकर जैसे ही मुड़ा, साइकिल गायब थी। इस घटना से उसका मजाक और बना।
शर्मा जी ने नई साइकिल लाकर, खड़ी की। एक कबाड़ी आया । उसने साइकिल उठाई, ठेले पर डाली और चल दिया। शाम 4 बजे का समय था। बच्चे पार्क में खेल रहे थे, उन्होंने भी साइकिल लादते देखा। जिसने भी साइकिल ठेले पर डालते देखा या ठेले पर साइकिल लदे, अपने पास से गुजरते देखा। उसने यही समझा कि साइकिल का लॉक लग गया होगा, चाबी खो गई होगी, इसलिये ठेले पर लेकर मकैनिक के पास जा रहे होंगे। देखने वालों ने यह नहीं सोचा कि साथ में कोई नहीं है।
गोलू कबाडी पढ़ता है और दुकानों से गत्ता खरीदता है। एक दिन वह गत्ता खरीद कर पलटा। एक लड़का उसकी साइकिल लेकर भाग रहा था। गोलू गत्ता छोड़, मेरी साइकिल-मेरी साइकिल चिल्लाता, उसके पीछे-पीछे दौड़ने लगा। आगे-आगे चोरी की साइकिल पर, साइकिल चोर, पीछे भागता गोलू। एक युवा बाइक पर जा रहा था। उसने ये देखकर बाइक से मामूली सी टक्कर, साइकिल पर मारी। साइकिल चोर गिर गया और वह साइकिल छोड़ कर, भाग गया। गोलू खुशी-खुशी अपनी साइकिल ले आया क्योंकि उसका रोजगार साइकिल से चलता है।
दिनेश मकैनिक किसी का काम देने कोठी में गया और सामान पकड़ा कर तुरंत बाहर आया। लॉक लगी, साइकिल गायब।
युवक युवतियाँ आजकल अपनी व्यस्त दिनचर्या से एक घण्टे का समय साइकिल चलाने के लिये निकाल लेते हैं। जिसमें व्यायाम और छोटे-छोटे आस पास के काम भी निपटा लेते हैं। उनके इस सराहनीय काम से पॉल्यूशन नहीं फैलता। पर जब लॉक लगी साइकिल उठ जाती है, तो वे बहुत दुखी होते हैं।
साइकिल उठने की घटनाएँ सुन-सुन कर, साइकिल चुराने की कुछ पद्धतियाँ सामने आयी हैं। जैसे लॉक लगी साइकिल के पास अखबार ध्यान से देखता, साइकिल चोर। कुछ समय बाद वह साइकल की गद्दी पर अखबार फैला कर पढ़ने लगता है। जब कोई उसे नहीं टोकता तो वह ताला खोलने लगता है। यदि ताला खुल गया तो ये जा, वो जा।
बच्चा जब चलना शुरु करता है, साथ ही, शुरुआत वह साइकिल चलाने से करता है। जैसे-जैसे बढ़ता जाता है। नई-नई साइकिल बदलता रहता है। अपनी पसन्द की साइकल उठने पर वह दुखी होता है। लापरवाही पर डाँट भी पड़ती है, पर उसने तो ताला लगाया होता है। फिर भी साइकल गायब!
अच्छे स्वास्थ्य के लिए इको फ्रेंडली साइकिल चलाएं।
कैलोरी बर्न करने का सबसे आसान और अच्छा उपाय साइकिल चलाना है। मोनू ने जिम में स्टेशनरी साइकिल चलाने की बजाय, स्टाइलिश साइकिल खरीदी। जिस पर वह जिम जाता और एक घण्टा घूमता और आस पास के काम कर आता। साथ ही सबको नसीहत देता कि ’फैट बर्न करो न की फ्यूल’ एक दिन वह सड़क के किनारे साइकिल खड़ी करके, पेड़ के तने पर लघुशंका(सूसू) करने लगा। फारिग होकर जैसे ही मुड़ा, साइकिल गायब थी। इस घटना से उसका मजाक और बना।
शर्मा जी ने नई साइकिल लाकर, खड़ी की। एक कबाड़ी आया । उसने साइकिल उठाई, ठेले पर डाली और चल दिया। शाम 4 बजे का समय था। बच्चे पार्क में खेल रहे थे, उन्होंने भी साइकिल लादते देखा। जिसने भी साइकिल ठेले पर डालते देखा या ठेले पर साइकिल लदे, अपने पास से गुजरते देखा। उसने यही समझा कि साइकिल का लॉक लग गया होगा, चाबी खो गई होगी, इसलिये ठेले पर लेकर मकैनिक के पास जा रहे होंगे। देखने वालों ने यह नहीं सोचा कि साथ में कोई नहीं है।
गोलू कबाडी पढ़ता है और दुकानों से गत्ता खरीदता है। एक दिन वह गत्ता खरीद कर पलटा। एक लड़का उसकी साइकिल लेकर भाग रहा था। गोलू गत्ता छोड़, मेरी साइकिल-मेरी साइकिल चिल्लाता, उसके पीछे-पीछे दौड़ने लगा। आगे-आगे चोरी की साइकिल पर, साइकिल चोर, पीछे भागता गोलू। एक युवा बाइक पर जा रहा था। उसने ये देखकर बाइक से मामूली सी टक्कर, साइकिल पर मारी। साइकिल चोर गिर गया और वह साइकिल छोड़ कर, भाग गया। गोलू खुशी-खुशी अपनी साइकिल ले आया क्योंकि उसका रोजगार साइकिल से चलता है।
दिनेश मकैनिक किसी का काम देने कोठी में गया और सामान पकड़ा कर तुरंत बाहर आया। लॉक लगी, साइकिल गायब।
युवक युवतियाँ आजकल अपनी व्यस्त दिनचर्या से एक घण्टे का समय साइकिल चलाने के लिये निकाल लेते हैं। जिसमें व्यायाम और छोटे-छोटे आस पास के काम भी निपटा लेते हैं। उनके इस सराहनीय काम से पॉल्यूशन नहीं फैलता। पर जब लॉक लगी साइकिल उठ जाती है, तो वे बहुत दुखी होते हैं।
साइकिल उठने की घटनाएँ सुन-सुन कर, साइकिल चुराने की कुछ पद्धतियाँ सामने आयी हैं। जैसे लॉक लगी साइकिल के पास अखबार ध्यान से देखता, साइकिल चोर। कुछ समय बाद वह साइकल की गद्दी पर अखबार फैला कर पढ़ने लगता है। जब कोई उसे नहीं टोकता तो वह ताला खोलने लगता है। यदि ताला खुल गया तो ये जा, वो जा।
बच्चा जब चलना शुरु करता है, साथ ही, शुरुआत वह साइकिल चलाने से करता है। जैसे-जैसे बढ़ता जाता है। नई-नई साइकिल बदलता रहता है। अपनी पसन्द की साइकल उठने पर वह दुखी होता है। लापरवाही पर डाँट भी पड़ती है, पर उसने तो ताला लगाया होता है। फिर भी साइकल गायब!
पर कुछ दिन बाद नसीहत के साथ नई साइकिल मिल जाती है। बच्चा भी साइकिल भगवान के सामने रख कर प्रार्थना करता है कि अब साइकिल न चोरी हो|
साइकिल बचाने का सिर्फ एक ही उपाय है चैन और लॉक के साथ किसी चीज के साथ साइकिल को ताला लगाना। हमें भी चाहिये की जब साइकिल रिक्शा या तीन पहिये के ढेले पर लॉक लगी, साइकिल लदी देखें तो पूछताछ शुरु कर दे। शायद कुछ साइकिल उठने से बच जाये।
साइकिल बचाने का सिर्फ एक ही उपाय है चैन और लॉक के साथ किसी चीज के साथ साइकिल को ताला लगाना। हमें भी चाहिये की जब साइकिल रिक्शा या तीन पहिये के ढेले पर लॉक लगी, साइकिल लदी देखें तो पूछताछ शुरु कर दे। शायद कुछ साइकिल उठने से बच जाये।