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Friday, 4 September 2020

अजवाइन पत्ता उगाना और उसके उपयोग नीलम भागी useful Ajwain Patta Neelam Bhagi





हमारे शहर में फरवरी में फ्लावर शो लगता है जिसमें पर्यावरण प्रेमी बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। जिसका सब साल भर इंतजार करते हैं। साल भर की अपनी पेड़ पौधों से सम्बंधित समस्याएं लेकर जाते हैं। वहां के दुकानदारों से समझते हैं। वे भी सेल, दुकानदारी छोड़ कर, शौकीनों को समझाते हैं। मैं भी बीज खरीद रही थी। दुकान में भीड़ थी। छोटे बच्चे के साथ मेरे बाजू में एक महिला खड़ी करेले के बीज का पैकेट मांग रही थी। उसके हाथ में दो गमले थें खाद का भी पैकेट था। मैंने पूछा,’’गमले में करेले लग जाते हैं?’’उसने कहा,’’लगे तो अच्छा है, न लगे तो भी घर में हरियाली तो होगी ही। उसने अजवाइन पत्ते की ओर इशारा करके कहा कि हमारे पास जगह तो है नहीं। पिछले साल इसे ले गई थी। ये तो ज्यादा देखभाल मांगता ही नहीं। बेटू से ही मैंने इसके दो गमले करवा लिए हैं। अब ये करेले  बोएगा उसकी बेल को सहारा देगा, फैलायेगा, फूल लगने पर खुश होगा। करेला लगने पर ये कड़वा करेला खाने लगेगा। इसकी मेहनत जो होगी। मैंने भी एक अजवाइन पत्ते का पौधा ले लिया। एक दिन उसे अपने पौधों के बीच में रखा। अगले दिन शाम को उसकी प्लास्टिक की थैली काट कर, गमले की मिट्टी जिसमें मैने थोड़ी सी वर्मी कम्पोस्ट डाल कर, पौधे को लगा दिया। बस समय से पानी देती रही। कुछ ही दिनों में चमकदार मोटी मोटी हरी हरी पत्तियों से गमला भर गया। गमला थोड़ा ऊंचाई पर था। टहनियां नीचे लटकने लगी। धूप और पानी से ही खूब पनप रहा था। डण्डियां जो लटक रहीं थीं। उनको तोड़ कर दूसरे गमले में, गमले की मिट्टी जिसमें मैने थोड़ी सी वर्मी कम्पोस्ट डाल कर, तोड़ीं हुई टहनियों को लगा दिया। बस समय से पानी देती रही। कुछ ही दिनों में चमकदार मोटी मोटी हरी हरी पत्तियों से गमला भी भर गया टहनियां तोड़ने के कारण मेरे हाथों से अजवाइन की महक आने लगी। पत्ती तोड़ी उसमें भी महक। प्याज का परांठा बनाया तो उसमें बारीक कटे प्याज में इसका पत्ता अच्छे से धोकर, बारीक काट कर डाल दिया। उसमें भी अजवाइन की महक आने लगी। अब परांठे में मैं इसे डालने लगी। एक दिन गोल बैंगन के पकौड़े बना रही थी। अजवाइन पत्तों को भी अच्छी तरह धोकर सूती कपड़े से पोंछ कर बैंगन की तरह, बेसन के घोल में लपेट कर तला, फूले फूले पकौड़े बन गए, जरा भी मैंने सोडा या बेकिंग पाउडर नहीं डाला था। हरी चटनी में एक दो पत्ते इसके डालती हूं। स्वाद बड़िया हो जाता है। पत्तियां धोने पर बहुत ध्यान देती हूं क्योंकि इस पर बहुत बारीक रोय होते हैं। उसमें धूल के कण न हों, इस वहम के कारण। लाई थी ये सोच कर कि इसका हरा रंग बहुत सुन्दर है। इसमें कई साल हो गए कोई कीड़ा नहीं लगा। न इस पौधे के कोई नखरें हैं। जिसको भी लगाने को चाहिए, उसे  लगाने को दे देती हूं। पत्तियों की उपयोगिता बताते हुए कह देती हूं कि मेरे परिवार को इसे खाने से कुछ नहीं हुआ। आप देख लेना। जो लगाता है। उसका घर भी हरा भरा हो जाता है। इस पौधे के लिए एक ही शब्द है ’लाजवाब’। वैसे इसके कई नाम हैं सेवेर सांबर सोपू, इण्डियन बोरेज आदि।             
 अजवाइन के पत्तों के पकोड़े बनाने के लिए लिंक पर क्लिक करें

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