उगाने के लिए मैं हमेशा अच्छी कम्पनी के बीज मंगाती हूं या विश्वसनीय दुकान से लेती हूं। पर हुआ यूं कि रसोई के लिए मेथीदाना मंगाई। मेथी का पैकेट फट कर जमीन पर बिखर गया|
अब तो उसे फैंकना ही था। पर दिमाग में आया इसे बो देती हूं। दाने तो उग जायेंगे। उस समय कम्पोस्ट बनाने की दोनो बाल्टियां भरी हुईं थी। अगले इंतजाम तक किचन वेस्ट 10 किलो की आटे की थैली में रख रही थी। सर्दी के कारण फल सब्जियों के बहुत ज्यादा छिलके थे। किचन वेस्ट की थैली को मैं छत पर ले गई। अब मैंने मिट्टी% में 30%वर्मी कम्पोस्ट, थोड़ी सी नीम की खली और रेत मिला कर, पॉटिंग मिक्स तैयार किया। थैली के नीचे चार छेद कर दिए। क्योंकि मेथी की जड़ों में 24 घण्टे पानी रुक जाये तो मेथी मर जाती है। इन छेदों से फालतू पानी बाहर हो जायेगा। अब थैली के कचरे को अच्छी तरह से टैप करके समतल कर लिया। कचरे पर सूखे पत्ते बिछा दिए। फिर 5 इंच ये मिट्टी इस पर भर दी। थैली को मिट्टी के लेबल तक मोड़ दिया। उसे ऐसी जगह रखा जहां सारा दिन धूप आती है। एक दिन धूप लगने को छोड़ दिया। अगले दिन लेबल थोड़ा नीचे हो गया। मेथी को 5 घण्टे पानी में भिगोकर पानी से निकाल कर गीले सूती कपड़े में पहले ही रख दिया था। कपड़े को गीला रखती रही।
अब उनका अंकुरण हो गया था और इन अंकुरित बीजों को मिट्टी में फैला दिया। इसको आधा सेंटीमीटर इसी मिट्टी से ढक कर हल्के हाथों से थोड़ा दबा दिया और पानी दे दिया। घर में नीचे पेड़ो के कारण मेथी के गमलों को लगातार सीधी धूप न मिलने से मेथी बस ठीक उगती है। पर ये कचरे में उगी सीधी धूप पड़ने के कारण ये मेथी बहुत अच्छी उग रही है। बीज उगाने के लिये खरीदती तो कसूरी मेथी के उगाती। ये मेथीदाने तो रसोई में इस्तेमाल के लिए थेे। पर मन खुश हो जाता है जब थैली के लेबल से हरी हरी मेथी बाहर आती है तब जरुरत के समय मैं ताजी तोड़ती हूं। बहुत मुलायम होती है। छांटना साफ करना भी नहीं पड़ता इस ऑरगैनिक मेथी को। इसका स्वाद तो लाजवाब होता ही है।
एक कप मेथी में 13 कैलोरी होती हैं। इसमें आयरन, विटामिन ए, के, सी, कैल्शियम, बीकॉमप्लैक्स, फॉलेट, राइबोफ्लैविन फाइबर होता है। ये हड्डियो, पाचन, र्हाट के लिये बहुत मुफीद है। डायबटीज कंट्रोल में सहायक है। आप बनायेंगे तो पड़ोसी खूशबू का आनन्द उठायेंगे।