अपनी उगाई सब्जी को बढ़ता देखने का आनन्द ही अलग होता है। इंतजार के बाद जब ताजा़ तोड़ कर बनाया जाता है तो उसका स्वाद लाजवाब होता है। मुझे गोभी बहुत पसंद है। मैंने भीष्म प्रतिज्ञा करली कि सर्दियों में मैं खुद की उगाई गोभी के परांठे ही खाउंगी। और मैं अपने गोभी उगाने के अभियान में लग गई। मैंने थोड़ी सी जगह तैयार की। बीज और मिट्टी अच्छी अच्छी हो तो पौधे बढ़िया उगते हैं। बीज की दुकान से 50रु का गोभी के बीज का पैकेट खरीदा। दुकानदार का 500रु का दिमाग चाट कर, उससे नर्सरी से हारवैस्टिग तक की जानकारी ली। 70% मिट्टी और 30% वर्मी कम्पोस्ट मिला कर मिट्टी तैयार की। बीज लगाये। उसमें पानी अच्छी तरह दिया। जब पौधे 4’’ के हो गये । तो पौधों को शाम के समय रोपित कर दिया और पानी दे दिया। हर महीने उसमें वर्मी कम्पोस्ट भी लगाती। रेगूलर गुड़ाई करती। सुबह उठते ही पौधों को घूर घूर के देखती पर आज तक उसमें फूल नहीं आये। एक दिन मैंने माली को बुलाकर उससे फूल न बनने का कारण पूछा। उसने कहा कि धूप न के बराबर है और पौधे पास पास हैं।
दोपहर का समय था मेरे गोभी के पौधों पर अठन्नी चवन्नी जितनी धूप पड़ रही थी। सड़क पार पेड़ की शेड के कारण। गर्मी में मैं वहां चौलाई बोती हूं। धूप होती हैं पर इतनी कम नहीं। उसने कहा कि कल आकर वह इनमें से फालतू पौधों को कन्टेनर में लगा कर छत पर रख देगा क्योंकि नीचे तो हर जगह पौधे हैं। मैं खुश हो गई कि इसी बहाने मेरी टैरेस गार्डिनिंग शुरु होगी। सामने गुजर रहे सब्ज़ी के ठेले से मैंने गोभी खरीदी और प्रोटीन, कैल्शियम, फास्फोरस, विटामिन ए, सी से भरपूर गोभी के परांठे बनाने लगी। रैस्पी शेयर कर रही हूं। दिए गए लिंक पर क्लिक करें।
# Kitchen waste management
किसी भी कंटेनर या गमले में ड्रेनेज होल पर ठीक रा रखकर सूखे पत्ते टहनी पर किचन वेस्ट, फल, सब्जियों के छिलके, चाय की पत्ती बनाने के बाद धो कर आदि सब भरते जाओ बीच-बीच में थोड़ा सा वर्मी कंपोस्ट से हल्का सा ढक दो। कभी पतली सी थोड़ी सी छाछ डाल दें।और जब वह आधी से अधिक हो जाए तो एक मिट्टी तैयार करो जिसमें 60% मिट्टी हो और 30% में वर्मी कंपोस्ट, या गोबर की खाद, दो मुट्ठी नीम की खली और थोड़ा सा बाकी रेत मिलाकर उसे मिक्स कर दो। इस मिट्टी को किचन वेस्ट के ऊपर भर दो और दबा दबा कर, इस तैयार मिट्टी को 6 इंच, किचन वेस्ट के ऊपर यह मिट्टी रहनी चाहिए। बीच में गड्ढा करिए छोटा सा 1 इंच का, अगर बीज डालना है तो डालके उसको ढक दो।और यदि पौधे लगानी है तो थोड़ा गहरा गड्ढा करके शाम के समय लगा दो और पानी दे दो।