नाम याद नहीं आ रहा किसी ने कमेंट किया कि आप 90 प्लस रसोई में डायबटिक के लिये भी कोई व्यंजन लिखो। मेरी 90 प्लस महिलाएं डायबटीज़ जानती ही नहीं थी। दिन भर भजन गाती गुनगुनाती काम करती रहती थी। उनकी गोभी की खीर शायद डायबटीज़ वाले खा सकते हैं। घर में गाय तो हमेशा रहती थी। भड़ोली(मिट्टी की बड़ी हण्डिया) में दूध कढ़ता रहता था। गोभी को अच्छे से धोकर आगे के सफेद भाग को कद्दूकस करके भड़ोली के दूध में डाल देतीं।
चलते फिरते नीचे उपला कोई भी लगा देती। बेवक्त कोई आ जाये तो उसे कटोरा भर के दिया जाता और पूछते कि शक्कर(जैगरी पाउडर) या चीनी। जो जिसकी पसंद होती वह कटोरे में डाल कर मिला देते। ये चीनी नहीं खाती थीं। किसी कथा वाचक ने कह दिया था कि चीनी को सफेद करने के लिये गन्ने के रस में हड़डी का चूरा मिलाते हैं। किसी को चीनी खाने से रोकती नहीं थी पर आप नहीं खाती थीं। अपने लिए गोभी की खीर निकाल कर उसमें गुड़ या खाण्ड मिलातीं बाकि में चीनी मिला देतीं। मंदी आंच पर वह कढ़ती रहती। शाम तक वह बादामी रंग की रबड़ी जैसी हो जाती। जो बहुत स्वाद लगती। मैं इस तरह बनाती हूं।
एक लीटर फुल क्रीम दूध को उबाल आने पर गैस स्लो कर देती हूं। एक कड़ाही में थोड़ा सा घी डाल कर जो भी मेवा डालना है उसे घी में रंग बदलने तक डाल कर भून कर निकाल लेती हूं। फिर उसमें फूलगोभी के आगे का सफेद फूल कद्दूकस किया हुआ डाल कर थोड़ा भून कर उबलता दूध इसमें डाल देती हूं। गोभी गलते ही खोया या मिल्क पाउडर या कोई घर में रखी बफी या पेड़ा इसमें मिला देती हूं।
कुछ नहीं है तो ऐसे ही खीर को थोड़ा काढ़ लेती हूं।
डायबटीज़ वाले के लिए निकालने के बाद,
जितनी चीनी मिलानी है, उसे कैरमलाइज़ कर लेती हूं। इसके लिये चीनी को एक बर्तन में गैस पर बिना पानी के चलाती हूं।
सब चीनी पिघल कर ब्राउन शुगर हो जाती है तो इसे गोभी की खीर में मिला देती हूं। जो देखने में 90 प्लस रसोई की खीर जैसी लगती है। ऊपर भूना हुआ मेवा डाल देती हूं। गर्म तो बहुत स्वाद होती है पर ठण्डी लाजवाब होती है।