Search This Blog

Friday, 22 April 2022

मनोहारी रास्ता पर खतरनाक! बेनी से तातोपानी मुक्तिनाथ की ओर नेपाल यात्रा भाग 12 नीलम भागी




    बेनी से जॉमसोम मुक्तिनाथ की यात्रा में प्राकृतिक सौन्दर्य जितना मनोहारी है रास्ता उतना ही खतरनाक है।


यात्रा मुश्किल है क्योंकि 75% रास्ता कच्चा है यानि ऑफ रोड है फिर भी हम बड़ी संख्या में तीर्थाटन के लिए जाते हैं।

इस यात्रा के दौरान हिमालय के एक बड़े हिस्से को लांघना होता है। बायीं ओर चट्टानी पर्वत तो दायीं ओर काली गण्डकी नदी की जलधारा अठखेलियां करती हुई बहती है। कहीं कहीं तो बड़ी बड़ी चट्टाने दोनों ओर के पहाड़ों से टूट कर काली गंडकी में गिर गई होंगी जो अब देखने में ये पत्थर लगातार पानी के तेज बहाव से टकराने से गोल शेप में आ गए हैं। अब प्रकृति द्वारा बना छोटा सा डैम लगता है। जिस पर से छलांगे मारता पानी आवाज करता है। मैं विस्मय विमुग्ध सी देखती हूं और कल्पना में खो जाती हूं। जैसे ही फोटो लेने का ध्यान आता है वो सीन निकल जाता है। तीर्थ यात्रा है जिसमें लगातार महिलाओं द्वारा बस में भजन गाए जा रहें हैं। इस रास्ते पर राजू ने बिल्कुल म्यूज़िक नहीं बजाया। अनगिनत छोटे बड़े झरने रास्ते की खूबसूरती को और बढ़ा रहें हैं।  जब बस बहुत ऊंचाई पर होती है तब मैं दाएं बाएं नहीं देखती। कभी उत्सुकता वश देखती हूं तो गहराई का अंत नहीं दिखता। फिर सामने आँखें गड़ाए रखती हूं। सामने दाएं बाएं झूमती पतले मोड़ों को पार करती कोई गाड़ी दिखाई देती है। कई बार तो ऐसा धूल का गुब्बार उठता है कि वह  भी दिखनी बंद हो जाती हैं।

यहां बस गाड़ियों की मोड़ पर हॉर्न बजाने की आवाज़ है या कल कल करते पानी की आवाज है। यहां मेरा गाइड जू0 राजू है वह राजू के साथ आता है। इतनी धूल देखकर बताने लगता है कि ये तो अच्छा है बारिश नहीं पड़ रही है वरना रास्ता बहुत स्लीपरी हो जाता है फिर कीचड़ में गाड़ी चलानी ज्यादा मुश्किल हो जाती है। अच्छा लगा सुन कर कि उसने ’असम्भव’ शब्द का इस्तेमाल नहीं किया। जब सामने से लौटती कोई मुक्तिनाथ से बेनी, मुक्तिनाथ से पोखरा आदि बस देखती हूं तो बचा खुचा डर जो दिल के किसी कोने में बैठा होता तो वह भी भाग जाता है। मन में उसी वक्त आता है कि ये भी तो इसी रास्ते से कल गए होंगे और आज दर्शन करके लौट रहें हैं। ऐसे ही हम भी कल वापिस आएंगे। युवा बाइक सवार तो लगातार आ रहे थे और जा रहे थे। पता नहीं कि उन्हें क्या जल्दी है!! उनके चेहरे से लगता है कि वे एडवेंचरस यात्रा पर हैं। वे तो खुद ही ड्राइव कर रहे होते और साथ ही रिकार्डिंग कर रहे होते हैं। जिसके पीछे लड़की बैठी होती, वह तो बाइक ऐसे चला रहा होता है मानों करतब दिखा रहा हो। गाड़ियों के ड्राइवर मुस्कुराते हुए इन्हें शायद नादान समझ कर रास्ता देते हैं। इस रुट पर सभी ड्राइवर ध्यान से और कम स्पीड पर चलाते हैं।

https://youtu.be/b78RJIAWw04
 मैं तो बैठी यात्रा में अपने साथ समय व्यतीत कर रहीं हूं और स्वयं के बारे में बेहतर जानने की कोशिश कर रही हूं। तभी तो कहते हैं यात्रा हमें बदल देती है। कंर्फट ज़ोन से बाहर निकालती है। कहीं पढ़ा है ’’यात्रा हमें दुनिया के बारे में सिखाती है।’’  

रास्तों पर रुकने के लिए निजी लॉज होटल मिल जाते हैं। विदेशी तो टैªकिंग करते हुए आते हैं इसलिए इनमें मूलभूत सभी सुविधाएं होतीं हैं। जहां शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह का भोजन मिलता है।




 तातोपानी जिला म्याग्दी में है तातोपानी कुंड गर्म पानी में नहाने के लिए प्रसिद्ध है। ऐसा माना जाता है कि इस पानी में नहाने से विभिन्न रोग ठीक हो जाते हैं। शोध में पाया गया है कि तातो पानी में काला नमक और फास्फोरस की अधिकता होती है जो नैचुरल एंटी बायोटिक हैं। कुंड में नहाने से कई बीमारियां ठीक हो जातीं हैं। कुछ लोग तो यहां कई दिन तक स्नान करने के लिए ठहरते हैं। इस कुण्ड में एक बार में 300 व्यक्ति स्नान कर सकते हैं। क्रमशः