जिस भले आदमी ने सीट बदली थी वह और उसकी पत्नी साइड सीट पर बैठे थे। वह रेलवे में थे, नई दिल्ली स्टेशन के पास के रहने वाले थे। छपरा अपने गाँव जा रहे थे। उन्होंने सुंदरी के सीट के नीचे का कचरा उठवाया और सबने कोरस में उसे एक ही बात कही कि बच्ची रात 2.30 बजे तक रोती रही। अब सबकी जुबान पर एक ही शब्द था भटानी। पता चला कि वहाँ 30 मिनट गाड़ी रुकती है और वहाँ की पूरी सब्ज़ी और जलेबी बहुत मशहूर है। मैं तो नाश्ता कर चुकी थी। 10 बजे भटानी आते ही नाश्ता लेने चल दिए। महिलाएं बैठीं रहीं, उनके लिए सीट पर लाया गया। 30रु में 8 पूरी, सब्जी़ और 4 जलेबी। देख सुन कर मैं हैरान!
सुंदरी बोली,’’वहाँ जाकर खाने में फायदा रहता है, दो तीन बार सब्ज़ी मांग लों।’’वैसे वह हर चाय वाले से लड़ती थी कि भर के दे। भुवनेश जी शाम से ऊपर लेटे थे। ए.सी. बहुत तेज था, बैठने पर गर्दन मोड़नी पड़ती थी। भइया पूरी सब्जी की सर्विस पर थे। वे तुरंत आकर अपनी सीट पर बैठ गए।
भइया जाकर उनकी सीट पर लेट गए। मजाल है जो कोई सवारी उतरे और ये परिवार उनकी सीट न दखल करे। कोई सवारी बिस्कुट, चिप्स का पैकेट खोलता और बच्ची को ऑफर करता तो सुंदरी पैकेट उसके हाथ से लेकर बच्ची को पकड़ाकर बातों में लग जाती। वह खाकर जब वेस्ट करने लगती तो उससे लेकर आपस में एक दूसरे को खिलाकर रेपर नीचे। भुवनेश जी ने बिस्कुट का पैकेट खोला, मुझे ऑफर किया मैंने एक ले लिया। गुड़िया की तरफ किया तो सुंदरी ने उनके हाथ से लेकर पैकेट गुड़िया को पकड़ा दिया। मैं तो कल से यह देख रही थी। अब इन महिलाओं ने बिना मुंह धोए मेकअप किया, बाल बनाए। बच्ची की नैपी उतार कर नीचे फैंकी।
उसे कंबल पर बिठाकर मुझसे बतियाती रही। बच्ची सूसू करती रही, कंबल से उसकी धार नीचे बहती रही। अब उसे हगी पहना दी। खिड़की वाली लड़की ने ऑरेंज लिपस्टिक लगाकर बंधे बालों में से दोनों ओर गालों पर लटें गिराई। बड़ी बच्ची को गोद में बिठाकर मोबाइल से व्लॉगिंग करने लगी,’’हे गाइज, हम अपने गाँव जा रहीं हैं। पाँच मिनट तक वह लगातार बोली फिर बाय गाइज किया। जिसकी ओर मोबाइल करती, वह दांत दिखा कर हाथ हिलाता। पर नीचे फेंके हगी, रैपर कचरा नहीं दिखाए। इतने में प्रभावशाली व्यक्तित्व का लड़का आया। उसने कहा कि इस गेट से सामान उतरेगा, ये पास है दूसरी ओर से आप लोग उतरोगे। सबको मैसेज कर दिया कि यहाँ आ जाएं, दो स्टेशन बाद हमें उतरना है। उसके जाते ही सुंदरी ने बताया कि ये मेरा भाई गुड़गांवां में बहुत अच्छे जॉब़ पर है। हम इसकी शादी में जा रहें हैं। सुंदरी की गुड़िया भले आदमी के पास जाकर खड़ी हो गई। उसकी पत्नी ने प्यार से अपने पास बिठा लिया। मैंने सोचा पोयम आदि सुनेगी। पर उनके प्रश्न थे,’’बिटिया तुम्हारे पापा क्या करते हैं?’’ बिटिया ने जवाब दिया,’’पापा खाना बनाते हैं, बर्तन धोते हैं, सफाई करते हैं। मतलब सारे काम उसने पूछ लिए। मैं बहुत ध्यान से सुन रही थी। अगला प्रश्न,’’मम्मी क्या करती है?’’बच्ची ने कहा,’’ऑफिस जाती है।’’अब उन्होंने गेट से लेकर हमारे कैबिन तक समान लगाया। व्लॉगर एक बैग दिखा कर बोली,’’ये न छूट जाए, इसमें बहू का लंहगा है।’’भावी दूल्हा सुनते ही बोला,’’लात मार कर इसे परे कर।’’ये सुनकर परिवार के चेहरे पर मुस्कान आई। उनके उतरते ही भला आदमी देख कर आया और बताया कि 16 सवारियां और दो बच्चे और 8 टिकट(3एसी.5स्लीपर), उनको सीट देकर मैंने गलती कर दी। छपरा तक उनकी मीमांसा चलती रही क्योंकि उनका पानी भी वे पी गए थे। अपनी 6 बोतलें बचा कर ले गए थे। बतियाकर समय ही काटना था। 3 बजे वे भी उतर गए। अब सो गए। 6 बजे हम सीतामढ़ी पहुँचे। डॉ मीनाक्षी मीनल और वाल्मीकि कुमार हमें स्टेशन पर लेने आए थे। क्रमशः