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Wednesday, 25 January 2023

जलेश्वर से जनकपुर धाम नेपाल, साहित्य संर्वधन यात्रा भाग 12 नीलम भागी Janki Mandir Sahitya Samvardhan Yatra Part 12 Neelam Bhagi

सीमा पर गाड़ियों का भंसार बना था और यह तय हुआ कि अब चारों गाड़ियाँ एक साथ रहेगी। जलेश्वर तक तो सब साथ ही रहे और नेटवर्क भी आ रहा था। हमारा नेट वर्क तो यहाँ का था नहीं, दो चार लोगों के पास का था। इधर शराब की दुकानें बहुत हैं। मुझे बतियाना बहुत अच्छा लगता है इसलिए मैं बतियाने लगी लगी। अब ड्राइवर साहेब बताने लगे कि जब से बिहार में शराब बंदी हुई है तब से सीमा के आस पास लोग पैसे वाले हो गए हैं। लोग दारु पीने यहाँ आते हैं। पियो जित्ता मर्जी, पर लेकर भारत नहीं जा सकते हैं और न ही पीकर गाड़ी चला सकते हैं। अब दारु की यारी तो बहुत पक्की होती है। शराबी बड़े मेल से आते हैं। जो दारु नहीं पीता है वह गाड़ी चलाता है बाकि टुन्न होकर बैठ जाते हैं। यहाँ से जनकपुर की दूरी 18.2 किमी है। जनकपुर का रास्ता बहुत अच्छा हो गया है। अच्छी सड़कें ट्री गार्ड के साथ पेड़ लगे हुए हैं।

 सबसे अच्छा यह देख कर लगा कि सेन्ट्रल वर्ज में वृक्षारोपण है, स्ट्रीट लाइट है और सोलर पैनल लगे हुए हैं यानि सौर उर्जा का सदुपयोग किया गया है। तीन गाड़ियाँ तो नौलखा मंदिर यानि जानकी मंदिर पहुंच गईं। किसी के पास यहाँ का नेटवर्क नहीं था। चौथी गाड़ी में सबके पास नेटवर्क था। मंदिर दोपहर में बंद था। 4 बजे खुलना था। सब मंदिर परिसर में घूमने लगे और नैटवर्क लेने में लग गए। इतने में चौथी गाड़ी भी आ गई।



 यहाँ घूमना लोगों को देखना बहुत अच्छा लग रहा था।


पर इतने खूबसूरत मंदिर का सफेद फर्श गंदा हो रहा था। जहाँ इतनी भीड़ आती है, मधुर मैथिली में गाए भजन एक अलग सा भाव पैदा करते हैं। वहाँ तो हर समय सफाई रहनी चाहिए। नेपाल घूमने पर मुझे यहाँ के मंदिरों की इसी बात ने प्रभावित किया था कि यहाँ मंदिरों में सफाई बहुत अच्छी है। खैर बाहर कोई साधू विचित्र सज्जा में या अघोरी रुप में मिल जाते हैं। ऐसे ही एक फर्श पर बड़ी शान से अध लेटे से थे। मुझे आदेश दिया,’’इधर आओ।’’ मैं हाथ जोड़ कर उनके पास जाकर खड़ी हो गई। उन्होंने मुझे भभूत दी। मैंने बड़ी श्रद्धा से माथे पर लगाई। आर्शीवाद की तरह उनका हाथ उठा रहा। मुझे बहुत अच्छा लगा। 




इतने में डॉ0 मीनाक्षी मीनल ने कहा कि हमें पहले पहुँचते ही प्रदेश सरकार भूमि व्यवस्था, कृषि तथा सहकारी मंत्रालय, जनकपुरधाम धनुषा में, ’अध्यात्म व लोकजीवन में सांस्कृतिक स्रोत कमला नदी’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में जाना है। कमला बचाओ अभियान से जुड़े विक्रम यादव जहाँ हमारा स्टे है, वहाँ इंतजार कर रहे हैं। सब फटाफट गाड़ियों में बैठे मारवाड़ी निवास पहुँचे। हम लोग बहुत लेट हो चुके थे। सामान भी नहीं उतारा। उनकी गाड़ी के पीछे हमारी गाड़ियां चलने लगीं। हम शहर से परिचय करते हुए संगोष्ठी स्थल पहुंच गए। वहाँ एक पेड़ पर भूरे रंग का चीकू की तरह न जाने कौन सा फल था। जिससे भी पूछा, उसने उसका अलग ही नाम बताया। सब जल्दी से संगोष्ठी हॉल में पहुँचे। वहाँ सब हमारे इंतजार में थे। तुरंत सबको जलपान करवाया गया और सबने अपना स्थान ग्रहण किया। क्रमशः