Search This Blog

Thursday 23 February 2023

सरस आजीविका मेला नीलम भागी SARAS Aajeevika Mela 2023 Showcasing Crafts From Rural India Neelam Bhagi

 




देश की संस्कृति से रुबरु करवाता सरस आजीविका मेला 2023 नोएडा हाट सेक्टर 33ए में आयोजित किया  है। 17 फरवरी से 5 मार्च तक 11ः00 बजे से रात 9.30 बजे तक पर्यटन, परंपरा, कला एवं संस्कृति का  मनोरम माहौल थीम के साथ हम इसका आनन्द सपरिवार और मित्रों के साथ उठा सकते हैं।
इसमें मुख्य रुप से शिल्प कलाओं का प्रर्दशन है। 300 से अधिक महिला शिल्प कलाकारों की उपस्थिति है और उनके हुनर से बना उत्कृष्ट प्रर्दशन जो हैंडलूम, साड़ी और ड्रैस मैटीरियल में  विभिन्न राज्यों से हैं, वो इस प्रकार हैं-आंध्र प्रदेश से कलमकारी, ज्वेलरी, आसाम से मेखला चादर, बिहार से कॉटन और सिल्क, छत्तीसगढ़ से कोसा साड़ी, गुजरात से भारत गुंथन और पैच वर्क, झारखंड से तसर और कॉटन, सिल्वर ज्वेलरी, दुपट्टे, ड्रैस मैटीरियल, कर्नाटक से इकत, मध्य प्रदेश से चंदेरी और बाग प्रिंट, मेघालय से इरी प्रोडक्ट्स, ओडिसा से तासर और बांदा, तमिलनाडु की कांचीपुरम तो तेलंगाना की पोचमपल्ली, उत्तराखंड से पश्मिना, कांथा, बातिक प्रिंट, तात और बालुचरी पश्चिम बंगाल से। फुलकारी, बाग बूटी के लिए पंजाब नहीं जाना पड़ेगा। क्योंकि सरस आजीविका मेले में 27 राज्यों के 200 स्टाल में देश के ग्रामीण इलाकों की हुनरमंद महिलाओं के हुनर का प्रोडक्ट आया है। ये मेला उनके बनाए सामान को मार्केटिंग प्लेटफॉर्म देता है। सरस मेले से राष्ट्रीय आजीविका मिशन के अंर्तगत  ग्रामीण महिला अपने हुनर से सशक्त होती है क्योंकि उसका प्रोडक्ट शहरों के उपभोक्ताओं तक पहुंचता है। 
ये हुनरमंद सृजन करना जानते हैं पर उत्पादन का प्रचार करना नहीं जानते हैं। यहां इनके लिए वर्कशॉप लगी। जिसमें इन्हे सोशल मीडिया से उत्पादन का प्रचार करना, कुछ तो केवल अपने क्षेत्र की भाषा ही जानते हैं, उन्हें और बाकियों को भी कम्यूनिकेशन स्किल सिखाना, फोटोग्राफी आदि सिखाया जाता है।
इसके साथ ही 27 राज्यों के हैंडीक्राफ्ट, ज्वैलरी और होम डेकोर के प्रोडक्ट आदि भी एक ही स्थान पर ले सकते हैं। फूड प्राडक्ट के स्टाल, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ बच्चों के मनोरंजन का पुख्ता इंतजाम है।
मेले में प्रतिदिन लाजवाब सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन है। Free entry, Free Parking है ।
इस बार  इंडिया फूड कोर्ट में देशभर के 20 राज्यों की 80 महिला उद्यमी ग्रहणियों के समूह ने अपने प्रदेश के क्षेत्रीय व्यंजनों का स्टाल लगाया है, जिसमें उनके प्रदेश का ही स्वाद मिलेगा। मसलन बंगाल की फिशकरी, तेलंगाना का चिकन, बिहार की लिट्टी चोखा, पंजाब का सरसों का साग व मक्के की रोटी, प्राकृतिक खाद्य उत्पाद, हरियाणा के बाजरे व ज्वार के लड्डू बिस्कुट, कर्नाटक व जम्मू कश्मीर के ड्राई फ्रूट सहित पूरे भारत के पकवान मौजूद हैं। 01 मार्च से 05 मार्च तक मिलेट्स फीस्ट(Millet Feast) का भी आयोजन किया जाएगा।
हैंडलूम सरस आजीविका मेला 2023 में कुछ उत्कृष्ट प्रदर्शन जो हैंडलूम, साड़ी और ड्रेस मेटिरियल में विभिन्न राज्यों से हैं वो इस प्रकार हैं- टसर की साड़ियां, बाघ प्रिंट, गुजरात की पटोला साड़ियां, काथा की साड़ियां, राजस्थानी प्रिंट, चंदेरी साड़ियां। हिमाचल उत्तराखंड के ऊनी उत्पाद व हैंडलूम के विभिन्न उत्पाद,  झारखंड के पलाश उत्पाद व प्राकृतिक खाद्य सहित मेले में पूरे भारत की ग्रामीण संस्कृति के विविधता भरे उत्पाद प्रदर्शित हैं।
हैंडलूम, इसके साथ ही हैंडीक्राफ्ट, ज्वैलरी और होम डेकोर के प्रोडक्ट्स के रूप में आंध्र प्रदेश की पर्ल ज्वैलरी, वूडन उत्पाद, आसाम का वाटर हायजिनिथ हैंड बैग और योगामैट, बिहार से लाहकी चूड़ी( लहठी), मधुबनी पेंटिंग और सिक्की क्राफ्ट्स, छत्तीसगढ़ से बेलमेटल प्रोडक्ट्स, मडमिरर वर्क और डोरी वर्क गुजरात से, हरियाणा टेरा कोटा, झारखंड की ट्राइबल ज्वैलरी, कर्नाटक का चन्ननपटना खिलौना, सबाईग्रास प्रोडक्टस, पटचित्र आनपाल्मलीव ओडिशा, तेलंगाना से लेदर बैग, वाल हैंगिंग और लैंप सेड्स, उत्तर प्रदेश से होम डेकोर, और पश्चिम बंगाल से डोकरा क्राप्ट, सितल पट्टी और डायवर्सीफाइड प्रोडक्ट्स । साथ ही प्राकृतिक खाद्य पदार्थ भी फूड स्टाल पर मौजूद हैं। प्राकृतिक खाद्य पदार्थों के रूप में अदरक, चाय, दाले, कॉफी, पापड़, एपल जैम और अचार आदि उपलब्ध हैं। साथ ही मेले में बच्चों के मनोरंजन का भी पुख्ता इंतजाम किया है। इसके साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी लोग भरपूर आनंद उठा रहें हैं।


सरस मेलों के माध्यम से ग्रामीण स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं न केवल आजीविका के अवसर सृजन कर रही हैं, बल्कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक बेहतरीन उदाहरण देश के सामने पेश कर रही हैं। यह निश्चित रूप से आजीविका यात्रा में एक मील का पत्थर है।
वहीं, मेले में  सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गए हैं। साथ ही जगह जगह सेनिटाइजेशन का भी इंतजाम किया गया है। लेडीज टॉयलेट एकदम साफ-सुथरे हैं और लगातार सफाई की जाती है। मेले में भी सफाई व्यवस्था उत्तम है। बीच-बीच में बैठने की भी व्यवस्था है।
सरकार ने हुनरमंद महिलाओं को एक मंच देकर स्वाबलंबी बनाया है, यही महिला सशक्तिकरण का जीवंत उदाहरण है।












मेले की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है     पर मेले से बाहर आते ही पब्लिक ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था उचित नहीं है। चौड़ा मोड, 12, 22 से मेले में आना तो बहुत आसान है पर लौटते समय यहां पहुंचना उतना आसान नहीं है।