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Sunday, 17 May 2020

जो फिट है, वो हिट हैै और फिटनैस का राज!! सिंगापुर यात्रा Jo Fit Hai Wo Hit Hai Singapore Yatra Part 2 Neelam Bhagi नीलम भागी


        एयरपोर्ट से बाहर आते ही अमन ने मुझसे ट्रॉली ले ली और अर्पणा मेरे गले लगी। मैंने फटाफट जैकेट उतारी उसने मेरे हाथ से ले लीं। गाड़ी में सामान रख कर हम सिंगापुर के चैंगी एयरपोर्ट से घर की ओर जा रहे थे। अमन गाड़ी चला रहे थे। मैं विस्मयविमुग्ध, यहाँ की सुन्दरता और सफाई देख रही थी। अर्पणा मुझसे सफ़र, घर के लोगों के बारे में पूछ रही थी। मेरा इस तरह से सिंगापुर को देखना देख कर वह मुझे सिंगापुर के बारे में बताने लगी। मैं उसे सुन रही थी, लेकिन मेरा ध्यान उस शहर की खूबसूरती ने अपनी ओर खींच रखा था। मैं सिर्फ अपनी बाईं ओर ही देख रही थी। एक साइन र्बोड पर चैंगी कॉस्ट लिखा था। सड़क पर गाड़ियाँ थी और एक समूह साइकिल सवारों का जिनकी पीठ थी मेरी ओर । उन्हें देखते ही मैंने मन में कहा कि अरे यहां गाड़ी के साथ लोग साइकिल चलाते हैं।


   एक क्रॉसिंग पर रेडलाइट पर हम रुके। साइकिल पर कुछ लोगों को देखकर मेरे मुहँ से निकला,’’ये अच्छा है, यहाँ बच्चे साइकिल खूब चलाते हैं।’’मेरी बात सुनते ही दोनों हंस पढ़े और एक साथ बोले,’’ये सब उम्र में पचास साल से ज्यादा हैं। वर्किंग डे था और शाम का समय था। वे सब ऑफिस से आ रहे थे। चेहरे देखे तो युवक और प्रौढ़ में फर्क नज़र आया, लेकिन फिटनैस सबकी एक सी थी। कुछ साइकिलों  पर बॉक्स लगे थे। मुझे अर्पणा ने बताया,’’ यहाँ लोग फिटनैस पर बहुत ध्यान देते हैं। इसलिए वे साइकिल से ऑफिस आते हैं और ऑफिस के पास वाले जिम की मैंम्बरशिप ले लेते हैं। साइकिल के बॉक्स में उनका बिज़नेस फॉरमल रक्खा होता है। एक्सरसाइज़ तो रास्ते में, ऑफिस का रास्ता कवर करने के लिये, साइकिल चलाने से ही हो जाती है। जिम में तो थोड़ी बहुत की, बाकि वहां शॉवर लेकर कपड़े बदलते हैं। अपने कौनडो(मल्टीस्टोरी अर्पाटमेंट) के बेसमेंट में गाड़ी पार्क की, वहाँ एक ओर साइकिलें भी लाइनों में खड़ी थीं। और लिफ्ट की ओर चले, 15 वीं मंजिल पर घर। सभी घरों के बाहर शू रैक। हमने जूते चप्पल वहीं उतारे और घर में प्रवेश किया। 10 महीने की रेया मेड को छोड़ मम्मी पापा की ओर लपकी। मैंने थर्मल पहना हुआ था। पार्किंग से घर तक आने में पसीने से लथपथ थी। अपर्णा ने मुझे मेरा रुम दिखाया। मैं नहा कर गर्मी के कपड़े पहन कर आई। मेरा डिनर पर इंतजार हो रहा था। मैंने सबसे पहले रेया को गोद में लेकर प्यार किया। वो मुझे पहली बार मिल रही थी पर मेरे गले ऐसे लगी जैसे पहले से जानती है। शायद विडियो कॉल के कारण पहचान गई हो। डिनर करते ही, मैं सुबह से घर से निकली हुई थी। थक गई  थी, अपने कमरे में आकर लेट गई। मेरे बैड के बाई ओर बड़ी खिड़की थी। बाहर देखने पर सब कुछ काला था और आधे घेरे में लाइटें जल रहीं थी। जो बहुत सुंदर लग रहीं थीं। अर्पणा मेरे पास बैठने आई। मेरी थकावट देख कर वो चली गई। सुबह आँख खुलते ही सामने समुद्र और उसमें शिप खड़े देख कर, समझ आया कि रात में दिखने वाली लाइटें जहाजों की थी। एकदम उठकर बैठ गई। सामने ईस्ट कॉस्ट रोड, चार सड़कें, प्रत्येक रोड ग्रीनबेल्ट से अलग की गई थी। दो ट्रैफिक के लिए एक साइकिल और एक पैदल चलने वालों के लिए। पैदल रोड और समुद्र तट की रेत के बीच में ईस्ट कॉस्ट पार्क था।
   अपने कन्डोमिनियम से बाहर निकलते ही अण्डरपास दिखा। उसमें से जो भी साइकिल सवार निकल रहा था। वो साइकिल नहीं चला रहा था। साइकिल के साथ पैदल चल रहा था। वहाँ ऐसा नियम है। कैमरे लगे हैं जुर्माना बहुत अधिक है इसलिये कोई नियम नहीं तोड़ता। उससे मैं साइकिल रोड पर पहुँची। जिस पर साइकिल सवार थे। डबल साइकिल भी जिस पर दो लोग पैडल मार रहे थे। मैं पैदल वालों की रोड पर चलने लगी। मेरे एक ओर समुद्र की लहरों का शोर था। दूसरी ओर एक सी फिटनैस के साइकिल सवार लोग थे। हमारे यहाँ की रिक्शा जैसी गाड़ी, जिसमें छोटे दो बच्चे बैठे हुए थे, इसे रिक्शावाला नहीं, बच्चों के माँ,बाप चला रहे थे क्योंकि इसमें चार पैडल थे। कई महिला, पुरुष साइकिल चला रहे थे। साइकिल के कैरियर पर एक सीट लगी थी। जिस पर सीट बैल्ट से बंधा बच्चा बड़ा खुश बैठा था। बस, मैट्रो पब्लिक ट्रांसपोर्ट यहाँ सस्ता है। फिर भी लोग साइकिल खूब चलाते हैं।क्रमशः
 

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