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Saturday 7 November 2020

बेटों की सलामती का व्रत, अब संतान के सौभाग्य का व्रत!! अहोई अष्टमी नीलम भागी Ahoi Ashtami Neelam Bhagi




मेरी बेटी उत्कर्षिनी का अमेरिका से फोन आया पूछ रही हैं कि अहोई आप भारत में 5नवंबर को मना रहे हो, मेरा समय का 13 घण्टे का अन्तर है मैं व्रत कब करुं? वो अपनी बेटी गीता और दित्या के लिए करती है। इस वर्ष उसकी दूसरी बेटी दित्या की दूसरी

अहोई है। 
हमारे परिवार में यह संतान के सौभाग्य का व्रत है। मेरी भतीजी बहुत गोरी पैदा हुई, हमने प्यार से उसका नाम बताशा रखा और भारती भाभी ने उसके जन्म के बाद अहोई का व्रत रखा। दूसरी भतीजी का रंग बताशा से थोड़ा कम गोरा है उसे मिश्री कहा गया। मिश्री बताशा होई पर बहुत खुश होतीं कि बेटों के लिए रखा जाने वाला व्रत उनकी मां बेटियों के लिये रखती है। वे स्कूल में अपनी सहेलियों को बतातीं थी कि आज उनकी मम्मा ने उनके लिए व्रत रखा है।

अहोई की पूजा में आठ गांठों वाली काले धागे की माला, दादी के समय में भाइयों के गले में ही डाली जाती थी, हम बहने देखतीं थीं। मेरी अम्मा पूजा में अपने पोते पोतियों के गले में डालती हैं। भतीजियां शांभवी और सर्वज्ञा अब कॉलिज जाती हैं तो भी अहोई की पूजा का वह काला धागा जब तक अपने आप नहीं टूटता, तब तक वे पहनतीं हैं कि अम्मा जी नेे पहनाया है।

ये देख कर मुझे अपनी दादी याद आती है। मेरी दादी हम चारों बहनों को पंजाबी में एक गाली देती थी ’नी रूड़ जानिये’ मतलब अरी तुम पानी में बह जाओ। ये पंजाब में पाँच नदियों की धरती पर बेटियों को प्यार या गुस्से में किया जाने वाला सम्बोधन है। नदियों, बहियों से महिलाओं का घरेलू काम के कारण बहुत अधिक वास्ता पड़ता होगा। जिसमें एक दो बह जाती होंगी तो ’रूड़ जानी’ का अविष्कार हो गया। बेटियों के लिए ’मर जानी’ तो पुकारा ही जाता था। दादी से कोई पूछता,’’माता जी आपके कितने पोते पोतियां हैं?’’ छूटते ही वे बताती कि सात पोतियां हैं ताउजी की भी मिलाकर पर कभी पोतों की संख्या नहीं बतातीं। अहोई अष्टमी को वे बेटों की मां का त्यौहार कहतीं थीं। अहोई का निर्जला व्रत रखा जाता है। 

शाम को पूजा की जाती है और बायना निकाला जाता है। तारे को अर्घ देकर व्रती महिला भोजन करती है। अब कितना अच्छा लगता है!! जब पुत्रों की सलामती का व्रत, आज संतान के सौभाग्य का व्रत अपने आप कहलाने लगा!! अदम्य और शाश्वत श्वेता को अपने हाथ से पानी पिलाते हैं और पुआ देते हैं इस तरह व्रत का पारण होता है।






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