उसने करवाचौथ पर नहीं आना था। सबने खूब सब्ज़ी ली। एक किलो हरी प्याज का बंडल, मुझे कहने लगा कि मैं ले लूं। हमेशा 20रु पाव देता था, आज 60 रु किलो दे रहा था। मैंने ले लिया उसके ठेला खाली करने में योगदान भी तो देना था न।
हरे प्याज के पत्ते(chives) लीक (leek) से अलग कर खाली डिब्बों में खड़े कर दिए।
उनमें इतना पानी डाला कि जड़ वाला हिस्सा गीला रहे। सबको लाइन से दीवार पर पेड़ की छांव में रख दिया, जहां सुबह शाम की धूप आ रही हैं।
आलू के हरे परांठे
पत्तों को अच्छे से धोकर, सूती कपड़े से पोंछ कर बारीक काट कर दो हिस्सों में बांट लिया क्योंकि स्वाद बढ़ाने वाले पौष्टिक और फाइबर से भरपूर हरे पत्ते एक साथ खाना तो ठीक नहीं है। आधे आटे में मिला कर, नमक आजवाइन डाल कर सख्त आटा लगा लिया क्योंकि नमक के कारण पत्ते पानी छोड़ेगे। इसमें आलू का मसाला भर के आलू के हरे हरे लजी़ज़ परांठे बनाए।
हरे पकौड़ों की कढ़ी
बाकि पत्तों को बारीक काटकर इसमें बेसन, थोड़ी सी अजवाइन, स्वादानुसार नमक और बारीक कटी हरी मिर्च मिला कर रख दिया। इसने अच्छे से पानी छोड़ दिया तो खूब हाथों से मिलाया, बाइंड न होने पर थोड़ा सा बेसन मिलाया और पकौड़े तल कर रख लिए। वैसे भी खाए और जब कढ़ी बनाई तो उसमें डाल दिए।
नमीं में बढ़ते हरे प्याज
जिन प्याज़ पत्तों के निचले हिस्से को मैंने नमी में रखा था उनकी लीक से फिर पत्ते निकलने लगे। 3 तारीख को मैंने जड़े भिगों कर रखी थीं। वहीं से जरुरत पर प्याज इस्तेमाल करती रही।
आज 9 तारीख को रखी हुई दाड़ी गीली, प्याज की पत्तियों की लम्बाई आप फोटो में देख सकते हैं। मुझे गार्निश के लिये भी थोड़ी सी पत्तियां मिलती रहीं। हरे प्याज खाने के फायदे तो अनगिनत हैं। पर देखने से खुश होने का जो फायदा मुझे मिल रहा है। वो उम्मीद करती हूं कि पढ़ने से आपको भी मिलेगा!!
सुबह उठते ही चाय का कप हाथ में पकड़े इन्हें देखती हूं। Leek से एक सेंटीमीटर पत्ती तो बड़ी होती है साथ ही सफेद छिलका धीरे धीरे उसे गुलाबी प्याज में बदल रहा है। ये देख कर मुझे बहुत अच्छा लगता है।
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