जब भी पति विवेकानन्द की मुद्रा में और साथ में पत्नी जेबकतरे की चाल से जा रही हो तो पत्नी के हाथ में एक चूहेदान अवश्य होता है।
जिसे वह दाएँ बाएँ देखकर चूहे को किसी के भी घर की नाली में प्रवेश करवा कर, बड़ी खुशी से घर लौट आते हैं। इस पद्धति से चूहे खत्म नहीं होते। कभी-कभी वे सीवर में स्नान करके उसी घर में लौट आते हैं।
चूहे को आकर्षित करने के लिए हमारे यहाँ चूहेदानी के परांठे को देसी घी में डुबो कर, फिर लगाते हैं । वह चूहेदानी में इत्मीनान से बैठा देसी घी टपकता परांठा खाता है।
जब उसे नाली में छोड़ा जाता है उसका पेट भरा होता है। वह नाली, सीवर में नहा धोकर टॉयलेट से कहीं गृह प्रवेश करता है और इस नए घर के चूहों से मिलजुल कर रहने लगता है।
जाड़े में चूहे रजाई में घुसकर साथ ही सो जाते हैं। न रजाई के मालिक को परेशानी न चूहे को परेशानी। चूहे से हमें परेशानी तब होती है जब वह लगातार चीजें कुतरने लगता है। इनकी संख्या खूब बढ़ जाती है, कीमती कागज कुतरे जाते हैं तब हम क्रोधित हो जाते हैं और इनसे छुटकारा पाने के उपाय ढूँढते हैं।
मेरे घर में एक बिल्ली है। जो साल में दो बार बच्चे देती है। तब वह अपने दो बच्चों को घर के अंदर विजिट करवाने लाती है। बाकि समय वह बाहर पेड़ों में या छत पर रहती हैं। उसे मैंने कभी चूहों का शिकार करते नहीं देखा। वह कबूतर, गिलहरी और चिड़ियों का शिकार करती है। पर उसके डर से हमारे घर चूहे नहीं आते। कोई भूला भटका चूहा घर में आ जाये तो वह अंदर से बाहर नहीं जाता है। वह घर के अंदर खूब उत्पात मचाता है। उसे मारने वाला केक लाकर रखते हैं। वो पचास रूपये का केक खाकर कहीं भी मर जाता है। बदबू आने पर उसकी खोज करते हैं। मिलने पर उसकी लाश उठाने वाला दो सौ रूपये मांगता हैं। बारगेनिंग करके सौ रूपये में उठाकर पूछता है,’’कहां फैंकू?’’ बताइए उस बदबू को भला कहां फिकवाएं? थैली मांग कर अपने साथ ले जाने के 50रू और मांगता है।
कुछ दिन पहले पहले मेरे घर में एक बहुत जलील चूहा आया। जब मैं लाइट बंद करती तो वह मेरे ड्रार में घूस कर कुतर कुतर करता। उसने मेरे पर्स फाइलें कुतर दीं।
मैं तरकीबें सोचने लगी कि यह मरे नहीं, भाग जाए। मैंने दो चम्मच आटे में दो चम्मच लाल मिर्च पाउडर मिला कर चम्मच से गूंथ लिया हाथ से छूने पर मिर्च लग जाती न।
उसकी गोलियां बना कर, कुछ देर उन्हें देसी घी में डुबो कर, ड्रार में रख दिया।
जैसे ही रात को लाइट ऑफ की थोड़ी देर में उस अकेले चूहे से ऐसी किचकिच आवाज़ आ रही थी जैसे उसका सारा परिवार कोरस में चीख रहा हो। फिर न चूहे की डैड बॉडी मिली न ही वह दिखा।
कल फिर कोई नया चूहा आया। सारी रात उसने उत्पात मचाया। मैंने फिर आटे मिर्ची वाले देसी घी में डूबे छर्रे चूहे के आने के सम्भावित रास्तों में रख दिए। अब चूहा नज़र नहीं आ रहा है।
No comments:
Post a Comment