हमारी 90 प्लस महिलाओं के नुस्खे बड़े कामयाब थे। सर्दी में हम सफेद कवर की रजाई्र में बैठ कर पढ़ते थे। हम सो न जायें ये स्वेटर बुनतीं थी। सुबह इन्हें जल्दी उठना होता था। हमारा नाश्ता, लंच बॉक्स तैयार करना होता इसलिये सोने से पहले ये मिट्टी का बर्तन लातीं जिसमें छिलका उतरे सफेद मूंगफली के दाने होते थे। जिसे ये कटोरी से हमारे दोनों हाथों की ओक में डालती। ठंड में हमारे हाथ भी गर्म हो जाते, खाते हुए नींद भाग जाती और अम्मा सो जातीं। इसके लिए ये मूंगफली के दानों को कढ़ाई में डाल कर हल्की आंच पर रख देतीं। दूसरे काम करती हुई बीच बीच में इसे अलटती पलटती रहतीं। दाने पट पट कर भूनते रहते।
भूनने के बाद ठंडा होने पर दाने मोटे कपड़े में रख कर पोटली बना कर उसे पटकती, हथेलियों से उन्हें आपस में रगड़तीं।
जब उनका लाल छिलका उतर जाता तो थाल या सूप में डाल कर उसे फटक देती। सफेद दानों को मिट्टी की हण्डियां में डाल कर थोड़ा नमक मिला देतीं और हण्डिया दादी के आग सेकने के तसले में रख देतीं। जिससे वे गर्म हो जाते। छिलके वे इसलिये उतार कर देतीं कि हम रसाई पर न फैला दें।
मैं भी वैसे ही मूंगफली के छिलके उतार कर उसमें थोड़ा सा घी डाल कर, चाट मसाला और मिर्च मिला कर अच्छी तरह मिक्स कर लेती हूं। घी के कारण मसाला दानों पर चिपक जाता है। और चटपटी मसाला मूंगफली तैयार हो जाती है। छोटे बच्चों के लिए घी और नमक मिलाती हूं। बच्चे बहुत शौक से खाते हैं। प्रोटीन, फाइबर से भरपूर सर्दी में मसाला मूंगफली चाय के साथ सबकी पसंद है।
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