बच्चे में बहुत उर्जा होती है। उसने कुछ न कुछ करना ही है, उसमें चाहे तोड़ फोड ही क्यों न हो!! नये खिलौने से भी वह जल्दी बोर हो जाता है फिर और दो। अगर बच्चे को मोबाइल दे दो फिर तो कोई समस्या ही नहीं है। जब उससे मोबाइल छिनो तो वो चीख चीख कर रोता है क्योंकि रोना उसका अस्त्र है जिसे वह शस्त्र की तरह उपयोग करता है। मां बाप ढाई साल के बच्चे को प्ले स्कूल में भेज कर इनकी दिनचर्या व्यवस्थित करते हैं। लेकिन छोटे से अदम्य को दीदी ने अपने साथ काम पर लगा लिया। दीदी ने सफाई की। उसने उसके साथ एक झाड़ू लेकर लगाया। वो बर्तन करने लगी तो सुबह जल्दी में श्वेता बैंक, शाश्वत स्कूल और अंकूर ऑफिस जाते समय, कोई जूठा बर्तन इधर उधर छोड़ गए तो अदम्य लाकर किचन में रखता जाता। दीदी डस्टिंग करती, वह भी कपड़ा लेकर करता है। घर में कैमरा लगा हुआ है। यह देख कर अंकूर श्वेता हंसते कि मोबाइल देखने से अच्छा है दीदी की मदद करना। अंकूर श्वेता ने मोबाइल देने और टी.वी. दिखाने के लिए दीदी को सख़्ती से मना किया हुआ है। उनके घर लौटने पर टी.वी. चलता है। राशन से मोबाइल मिलता है। कोरोना काल में स्कूल बंद हैं।
प्रैप में पढ़ने वाले अदम्य की ऑनलाइन क्लास 10 बजे से 11 बजे तक चलती है। जिसे वह बड़े बेमन से अटैंड करता है क्योंकि उसे स्कूल जाना पसंद है। क्या करें! मजबूरी है कोरोना के कारण स्कूल बंद हैं। अदम्य एक घंटे की क्लास में गुड मार्निंग टीचर करने के बाद, मन मार कर बैठता है। इसी समय उसे सू सू भी आता है। खूब पानी भी पी लेता है।
क्लास खत्म होते ही वह दीदी की मदद करता है। दीदी बहुत समझदार है। अदम्य की उर्जा का सदुपयोग करती है इसलिए वह सोमवार से शुक्रवार मेथी, बथुआ, पालक आदि हरे पत्तेदार सब्जियां और मटर लेती है। जिसे तोड़ने छिलने में चटाई पर बिठा कर बड़े प्यार से अदम्य की मदद लेती है।
अदम्य बड़ी लगन से मेथी तोड़ता है। छुट्टी के दिन अंकूर श्वेता घर में होते हैं। अदम्य को कोई काम नहीं होता तो वह अपनी उर्जा शैतानी में लगाता है मसलन घड़ी तोड़ कर रसोई में छिपना आदि।
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