इसके लिए प्याज़ की लम्बी थोड़ी मोटी स्लाइस काट लेते हैं। कढ़ाई में तेल और प्याज़ स्लाइस मिला कर, सुनहरा होने तक भून लेते हैं। प्याज सिकुड़ जाती है और तेल छोड़ देती है। गैस मंदी करके अब प्याज को कढ़ाई में से पूरी छानने वाले से इस तरह निकाल लेते हैं कि तेल कढ़ाही में बचे। इस तेल में मेथी दाना, जीरा, साबूत धनिया, अजवाइन, कैंची से कटी मोटी मोटी सूखी अखा लाल मिर्च का तड़का लगा कर इसमें कढ़ी का घोल डाल दो। घोल बनाने के लिए दहीं या खट्टी छाछ(फ्रिज में रखी दो दिन पुरानी, बाहर एक दिन पुरानी) में से थोड़ी सी छाछ लेकर उसमें बेसन डाल कर अच्छी तरह फेंट लेते हैं ताकि बेसन की कोई गांठ न बने। अगर दहीं से बनाते हैं तो बेसन का आठ गुना पानी डलता है। वैसे पतली या गाढ़ी अपनी पसंद अनुसार रख सकते हैं। अब इसे बाकि छाछ में मिला देते हैं। गैस की तेज आंच कर देते हैं। स्वादानुसार नमक और हल्दी डाल कर इसे लगातार कलछी से चलाते रहना है ताकि छाछ फटे नहीं, न ही कढ़ी तले में लगे। उबाल आने पर गैस स्लो कर देनी है। जब उबाल आने बंद हो जाएं और कढ़ी कढ़ने लगे तब पंद्रह मिनट के बाद गैस बंद कर दो।
अब वे भूने प्याज जो तड़के से पहले निकाले थे इसे कढ़ी में डाल दो। हैल्दी कढ़ी खाने के लिए तैयार है।
अब फाइनल टच भी दे सकते हैं, तड़का पैन में देसी घी इतना गर्म करें कि जिसमें बिना धुआं छोड़े लाल मिर्च और हींग भुन जाए और थोड़ी सी कसूरी मेथी डाल कर इसे कढ़़ी में डाल दो।
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