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Saturday 15 May 2021

होम आइसोलेशन में.... मैं कोरोना से ठीक हुई Part 4 Be Positive and follow covid 19 protocols! I have survived covid! Whay can"t you? Neelam Bhagi

इतने में घर सैनेटाइज़ करने वाले आ गए। मैं और अम्मा एक ही रुम में रहते हैं जैसे ही ये रुम सैनेटाइज़ हुआ। अम्मा को दूसरे रुम में शिफ्ट किया क्योंकि मुझे मेरा स्वास्थ्य ठीक नहीं लग रहा था न बुखार न खांसी था । पिछली रात को मुझे बार बार सू सू के लिए जाना पड़ रहा था। शरीर में बहुत दर्द था। अपनी जरुरत का सब सामान और माइक्रोवेव रख लिया। मैंने होम आइसोलेशन कर लिया था। अब अंकुर को फोन किया और बताया कि हेमू कोरोना पॉजिटिव है। मुझे न तो खांसी है, न ही बुखार है। इस तरह से मेरी तबियत आज तक खराब नहीं हुई। उसने कहा कि बाद में सुनुंगा, पहले कोरोना टैस्ट के लिए आपका रजिस्ट्रेशन करवा दूं। कुछ देर में उसका फोन आया कि घर से सैंपल लेने के लिए 19 अप्रैल को 2 और 3 बजे के बीच में आयेंगे। और उस दिन 14 अप्रैल था। फोन पर 900रु की रसीद आ गई और समय आ गया। अंकुर का फोन आया। वह बोला,’’ शाबाश इस बार आपने जरा जल्दी बता दिया कि आपकी तबियत ख़राब है।’’ मैंने उसे नहीं बताया कि आज तीसरा दिन है। उसने कहा कि वह कोशिश कर रहा है कि टैस्ट जल्दी हो जाए। डॉक्टर से ऑन लाइन बात करके आपकी दवाइयां लेकर आ रहा हूं। मैंने पूछा,’’डॉक्टर तेरी पहचान का है!’’ वो बोला,’’नहीं, हमारे ऑफिस में किसी को कोरोना हुआ था, उसके मम्मी पापा को भी उसी ने ठीक किया था। हमारे ऑफिस में कोई बिमार जब ठीक होता है तो सब उसका हाल चाल पूछते हैं अगर उसने डॉक्टर की तारीफ़ कर दी तो डॉक्टर का फोन नम्बर अपने पास सेव कर लेते हैं हम लोगों के पास छुट्टियां बहुत कम होती हैं, इसलिए।’’उसने फोन रख दिया। बाहर अम्मा घबरा रहीं उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था। मैंने रुम से बाहर स्टूल रख दिया। उस पर मेरा खाना पीना रख दिया जाता, मैं मास्क लगा कर बाद में उठा लेती। खा, पी के बर्तन साफ करके अपने पास रख लिये। मेरी पूरी कोशिश थी कि घर के बाकि सदस्यों को मेरे रुम की हवा भी न लगे। ये रुम गेट के सामने है। उसके आगे पार्क हैं। क्रास वेंटिलेशन का पूरा ध्यान रखा। मुझे बुखार भी लगने लगा। अंकुर का फोन आया कि उसी डॉ. के प्रिसक्रिपशन की दवाइयां लेकर आ रहा है। मैंने कहा कि तूं घर में नहीं आना, गेट पर रख देना। वो दवाइयां, स्टीमर, थर्मामीटर, ऑक्सीमीटर और जरुरत की सब चीजें जो मैंने सोची भी नहीं थीं, ले आया। मोबाइल में डॉक्टर का प्रिस्क्रिप्शन भी आ गया। यहां मैं दवा का नाम नहीं लिखूंगी क्योंकि कुछ लोग अपना इलाज़ स्वयं करने लग जाते हैं। अंकुर ने कहा,’’पहले टैम्परेचर लो, बुखार होने पर वो गोली लेना। मैंने थर्मामीटर लगाया सौ से ज्यादा बुखार था। दवा ले ली। सो गई। अंकुर दवा के समय के बाद पूछता कि मैंने फलां दवा ले ली। अनिल दिन में दो बार फोन करता कि मैंने गरारे किए, भाप ली। यशपाल रोज ताजा मुरंगा(सहजन) का सूप बना कर देता। मैं बर्तन स्टूल पर रख देती। उसमें जितना मैं फोन पर अंजना को बोलती, उतना खाना डाल दिया जाता, मैं बाद में मास्क लगा कर उठा लेती। स्वाद तो मुंह में था ही नहीं इसलिये बैंगन शिमला मिर्च सब एक से ही थे। खिड़की के पास लेटी हुई पेड़ो को देखती रहती और गहरी सांसंे लेती। ज्यादा गहरी नहीं क्योंकि खांसी आने लगती थी। कोराना का टैस्ट हो जाये इसका बेसब्री से इंतजार था। नीलम भागी क्रमशः          


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