मेरा चेहरा तो पेड़ों को देखते हुए गेट की तरफ ही रहता था। 20 अप्रैल दोपहर को गेट से दो मीटर दूर एक महिला खड़ी पूछ रही थी कि यहां कोरोना संक्रमित है। सुनते ही अंजना गेट पर आई और मुझे बुलाने लगी। वह प्रशासन की ओर से आई महिला तुरंत बोली,’’संक्रमित को मत बुलाओ।’’पर घर के सभी लोग अपने आप बाहर आ गए। उनके पीछे अम्मा भी आ गई। भाभी ने महिला से पूछा कि कोरोना टैस्ट हो सकता है? नीलम दीदी की पॉजिटिव रिर्पोट आने के बाद रजिस्ट्रेशन करवाया है पर घर से टैस्ट का सैंपल लेने के लिए बड़ी लंबी डेट मिली है। सुनकर महिला ने कोई जवाब नहीं दिया। उसने अपने साथी से कहा,’’संक्रमित के लिए दवा दो। उसने दस गोलियों का पत्ता पकड़ा दिया।’’अंजना ने पूछा,’’अम्मा 92 साल में हैं। इनके लिए बहुत चिंता हो रही है।’’ सुनते ही महिला ने गोलियां दीं और कहा,’’ अम्मा को दो गोलियां अभी खिला दो। जो सीनियर सीटीजन हैं वो ये वाली 2 खाना, फिर एक सप्ताह बाद खाना फिर एक महीने के बाद खाना और एक डिब्बा दिया कि इसका काढ़ा बना कर पीना। घर में बच्चों को हल्दी वाला दूध पिलाना।" दीवार पर स्टिकर चिपकाया फिर साथी से कहा कि इनकी फोटो लो। अंजना को महिला ने कहा,’’ दवाओं को हाथ में पकड़ लो।’’ अंजना ने जो भी उन्होंने दिया, उसे इस तरह डिसप्ले कर के पोज़ दिया, मानों उन दवाओं का विज्ञापन कर रही हो। महिला बहुत प्रसन्नता से गाड़ी में बैठ कर चल दी। मैंने पूछा,’’स्टिकर क्यों चिपकाया है।’’वो बोली कि उस पर लिखा है कि एक मई तक क्वारनटाइन है। मैंने उनकी दवा काढ़ा कुछ भी नहीं लिया क्योंकि मेरी दवा तो चल रही थी। बाकि सब ने महिला की दी दवा खाई और बाहर बैठ कर बतियाने लगे। सब के चेहरे पर से कुछ घंटे पहले के भय और चिंता लगभग गायब थी। कुछ देर बाद सब काढ़ा पीते दिखे। अम्मा नहीं दिख रहीं थीं। शायद अंदर काढ़ा पी रहीं होंगी। थोड़ी देर बाद वे भी अखबार हाथ में उठाए बाहर आकर पढ़ने लगीं। मैं समझ गई कि काढ़े का प्रभाव है। 92 साल तक एलोपैथिक दवा खाई है पर काढ़े चटनियों पर इनका बहुत विश्वास है इन्हें वे संजीवनी बूटी समझती हैं। अंजना खिड़की के पास से बोली,’’अम्मा को तो सुबह उठते ही काढ़ा पिला दिया करेंगे। हम सब तो इतने डरे हुए थे कि इन्हें कुछ हो गया तो इस समय कैसे करेंगे? कह कर वह चली गई। इतने में अंकुर का फोन आया पूछा,’’ टैम्परेचर कितना है! प्रत्येक दवा की गोलियों की संख्या पूछी। शाबाशी दी कि मैंने कोई डोज़ मिस नहीं की। टैम्परेचर लो, ऑक्सीजन देखो फिर पूछता हूं। देखा थर्मामीटर का सैल खत्म हो गया। टैम्परेचर देखकर ऑफ करना भूल गई थी। ऑक्सीमीटर का भी सेल वीक था। मैंने सोचा अब देखना नहीं पड़ेगा। अंकुर ने फोन किया मैंने बताया वह बोला,’’मैं दूसरा लेकर आ रहा हूं। एक घण्टे बाद वह ले आया। इस बार थर्मामीटर मरकरी वाला था और नया ऑक्सीमीटर था। वह गेट से बाहर फोन करे मुझे अभी टैम्परेचर और ऑक्सीजन बताओ र्कफ्यू लगने वाला है। देखा टैम्परेचर सौ से .1 पॉइंट कम था और ऑक्सीजन 97 सुनकर वह चला गया। तीन दिन से स्थिर थी। पर उस समय कुछ ठीक लगा। नीलम भागी क्रमशः
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Friday, 21 May 2021
क्वारनटाइन ..... मैं कोरोना से ठीक हुई Be Positive and follow covid 19 protocols! I have survived covid! Whay can"t you? Part - 8 Neelam Bhagi
मेरा चेहरा तो पेड़ों को देखते हुए गेट की तरफ ही रहता था। 20 अप्रैल दोपहर को गेट से दो मीटर दूर एक महिला खड़ी पूछ रही थी कि यहां कोरोना संक्रमित है। सुनते ही अंजना गेट पर आई और मुझे बुलाने लगी। वह प्रशासन की ओर से आई महिला तुरंत बोली,’’संक्रमित को मत बुलाओ।’’पर घर के सभी लोग अपने आप बाहर आ गए। उनके पीछे अम्मा भी आ गई। भाभी ने महिला से पूछा कि कोरोना टैस्ट हो सकता है? नीलम दीदी की पॉजिटिव रिर्पोट आने के बाद रजिस्ट्रेशन करवाया है पर घर से टैस्ट का सैंपल लेने के लिए बड़ी लंबी डेट मिली है। सुनकर महिला ने कोई जवाब नहीं दिया। उसने अपने साथी से कहा,’’संक्रमित के लिए दवा दो। उसने दस गोलियों का पत्ता पकड़ा दिया।’’अंजना ने पूछा,’’अम्मा 92 साल में हैं। इनके लिए बहुत चिंता हो रही है।’’ सुनते ही महिला ने गोलियां दीं और कहा,’’ अम्मा को दो गोलियां अभी खिला दो। जो सीनियर सीटीजन हैं वो ये वाली 2 खाना, फिर एक सप्ताह बाद खाना फिर एक महीने के बाद खाना और एक डिब्बा दिया कि इसका काढ़ा बना कर पीना। घर में बच्चों को हल्दी वाला दूध पिलाना।" दीवार पर स्टिकर चिपकाया फिर साथी से कहा कि इनकी फोटो लो। अंजना को महिला ने कहा,’’ दवाओं को हाथ में पकड़ लो।’’ अंजना ने जो भी उन्होंने दिया, उसे इस तरह डिसप्ले कर के पोज़ दिया, मानों उन दवाओं का विज्ञापन कर रही हो। महिला बहुत प्रसन्नता से गाड़ी में बैठ कर चल दी। मैंने पूछा,’’स्टिकर क्यों चिपकाया है।’’वो बोली कि उस पर लिखा है कि एक मई तक क्वारनटाइन है। मैंने उनकी दवा काढ़ा कुछ भी नहीं लिया क्योंकि मेरी दवा तो चल रही थी। बाकि सब ने महिला की दी दवा खाई और बाहर बैठ कर बतियाने लगे। सब के चेहरे पर से कुछ घंटे पहले के भय और चिंता लगभग गायब थी। कुछ देर बाद सब काढ़ा पीते दिखे। अम्मा नहीं दिख रहीं थीं। शायद अंदर काढ़ा पी रहीं होंगी। थोड़ी देर बाद वे भी अखबार हाथ में उठाए बाहर आकर पढ़ने लगीं। मैं समझ गई कि काढ़े का प्रभाव है। 92 साल तक एलोपैथिक दवा खाई है पर काढ़े चटनियों पर इनका बहुत विश्वास है इन्हें वे संजीवनी बूटी समझती हैं। अंजना खिड़की के पास से बोली,’’अम्मा को तो सुबह उठते ही काढ़ा पिला दिया करेंगे। हम सब तो इतने डरे हुए थे कि इन्हें कुछ हो गया तो इस समय कैसे करेंगे? कह कर वह चली गई। इतने में अंकुर का फोन आया पूछा,’’ टैम्परेचर कितना है! प्रत्येक दवा की गोलियों की संख्या पूछी। शाबाशी दी कि मैंने कोई डोज़ मिस नहीं की। टैम्परेचर लो, ऑक्सीजन देखो फिर पूछता हूं। देखा थर्मामीटर का सैल खत्म हो गया। टैम्परेचर देखकर ऑफ करना भूल गई थी। ऑक्सीमीटर का भी सेल वीक था। मैंने सोचा अब देखना नहीं पड़ेगा। अंकुर ने फोन किया मैंने बताया वह बोला,’’मैं दूसरा लेकर आ रहा हूं। एक घण्टे बाद वह ले आया। इस बार थर्मामीटर मरकरी वाला था और नया ऑक्सीमीटर था। वह गेट से बाहर फोन करे मुझे अभी टैम्परेचर और ऑक्सीजन बताओ र्कफ्यू लगने वाला है। देखा टैम्परेचर सौ से .1 पॉइंट कम था और ऑक्सीजन 97 सुनकर वह चला गया। तीन दिन से स्थिर थी। पर उस समय कुछ ठीक लगा। नीलम भागी क्रमशः
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