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Friday, 22 October 2021

शिवखोड़ी से कटरे की ओर 56वीं विशाल वैष्णों देवी यात्रा 2021 भाग 18 Vaishno Devi pilgrimage 2021 Neelam Bhagi

मैं जैसे ही महादेव यात्री निवास में पहुंची, सामने जलवाले गुरुजी। उन्हें प्रणाम किया। उन्होंने पूछा,’’आप दर्शन करने नहीं गईं!! मैंने जवाब दिया,’’मेरे स्वास्थ्य ने इजा़जत नहीं दी।’’उन्होंने कहा,’’स्वास्थ्य के अनुकूल ही चलो।’’ये सुनते ही मेरे अंदर शिवखोड़ी गुफा में न जा पाने का जो अजीबपन था, वो तुरंत गायब हो गया और अब मुझे अपना निर्णय गलत नहीं लगा। मैं सोचने लगी कि मैं हूं तो शिवालिक की पहाड़ियों में और ये मेरा सौभाग्य है। जहां हमारा स्टे है उसका नाम भी महादेव यात्री निवास है। अब मैं इसमें घूमने लगी। साफ सुथरा बहुत विशाल हॉल है। गद्दे तकिए रखे हैं। इण्डियन वैर्स्टन दोनों तरह के टॉयलेट हैं। बाथरुम अलग हैं। अटैच टॉयलेट वाले कमरे भी हैं। बेसमैंट भी इसी तरह से बना है। यहां बहुत बड़ी किचन है।






सफाई  यहां बहुत है। इसकी छत से बाहर देखना भी बहुत अच्छा लग रहा था।

नरेन्द्र कहने आए कि कन्या जीम रहीं हैं। उनके बाद आप सब भी प्रशाद लेना शुरु कर दो क्योंकि श्रद्धालु दर्शन करके आने शुरु हो गए हैं। फूली फूली गर्म पूरियां और आलू की सब्जी प्रशाद में थी। खाने के बाद मैं अपने उसी गद्दे पर आकर सो गई। शाम को 6 बजे मेरी नींद खुली। मैं नीचे चाय पीने गई। वहां बाले और सुधा और भी कई दूसरी बसों के यात्री बैठे थे। बाले सुधा पहली बार घोड़े पर बैठीं थीं, वे अपना अनुभव शेयर करने लगीं।

चाय पीते ही पता चला कि जलवाले गुरुजी का सत्संग, उसी हॉल में है जिसमें हम सोये थे। नीचे हॉल के भी श्रद्धालु ऊपर आ गए। मैं थोड़ा आगे जाकर बैठ गई। उनका प्रवचन मैंने बहुत ध्यान से सुना। उस पर अमल करके आम आदमी का पारिवारिक जीवन खुशहाल हो जायेगा। यात्रा से तो मैं प्रभावित थी ही। अब जो उन्होंने कहा कि इस आठ दिन की यात्रा में सिगरेट, बीढ़ी, पान, तम्बाकू, गुटका, पान मसाला आदि खाना मना है। आठ दिन बहुत होते हैं अब जिसने आठ दिन तक छोड़ दिया अब अगर अपनी इच्छाशक्ति से वह छोड़ना चाहता है तो वह जीवन भर के लिए छोड़ सकता है। क्योंकि आठ दिन किसी भी व्यसन की आदत को छोड़ने के लिए कम नहीं होते हैं। तो मैंने गौर किया कि मैं तो यात्रियों के बीच में ही रही हूं। अपनी बस वालों के साथ दर्शन के लिए निकलती तो अपनी स्लो मोशन के कारण सबसे पिछड़ जाती फिर दूसरी बसों वाले मेरे साथ कुछ दूर तक चलते पर रास्ते में आते जाते मैंने किसी को भी सिगरेट, बीढ़ी, पान, तम्बाकू, गुटका, पान मसाला आदि का सेवन करते नहीं देखा। अब जिस परिवार में ये सब वर्जित होगा उसमें तो खुशहाली आयेगी ही। साल में दो बार ये यात्रा आती है। न जाने कितने लोगों ने इन चीजों को छोड़ा होगा। ये कोरोना काल के बाद पहली यात्रा थी जिसमें सबसे कम यात्री थे। यानि 6 बसें। मैंने अपने जीवन में पहला ऐसा प्रवचन सुना जो सरल भाषा में सबके मन की बात था, जिसे श्रोता आत्मसात कर रहे थे। मैंने पहले शब्द से लेकर आखिरी वाक्य तक सुना। अब उन्होंने कहाकि प्रशाद तैयार है। पहले महिलाएं और बच्चे लें और आगे के कार्यक्रम की सूचना दी कि सुबह तीन बजे यहां से कटरा जाने के लिए निकलेंगे। आप एक जोड़ी कपड़ा ले लो। कम से कम सामान रखना क्योंकि चढ़ाई में सामान उठा कर चलना मुश्किल हो जाता है। बाकि सामान आपका बस में ही रहेगा। बस स्टॉप के सामने ही यात्री पर्ची बनती है। सबसे पहले उसे बनवाना। बान गंगा तक ऑटो टैंपू जाते हैं। वहां से आध क्वारी तक पैदल या घोड़े , पालकी से जा सकते हैं। आधक्वारी से बैटरी कार भी मिलती है। जो यात्री वहां रात को रुकेंगे। कंबल किराए पर मिल जाते हैं। आगे भैरो बाबा के दर्शन के लिए केबल कार से जा सकते हैं। बसे पार्किंग में खड़ी रहेंगी और अगले दिन हमेशा की तरह वही पुरानी जगह सीआरपीएफ कैंप के पास 2 बजे से भण्डारा होगा। आप प्रशाद लेकर शॉपिंग कर सकते हैं। 4 बजे के बाद यहां से निकलेंगे। दाल चावल, पूरी आलू की सब्जी का प्रशाद लिया और सब जल्दी से सो गए। रात 11 बजे से खूब बारिश, बिजली चमक रही। सब गहरी नींद में सो रहे। सेवादारों ने आकर खिड़कियां दरवाजे बंद दिए। बारिश देख कर मैं खुश हो गई ये सोच कर कि अब तो सुबह निकलेंगे, शिवखोड़ी का खूबसूरत रास्ता देखते हुए। पर रात दो बजे से जाने की तैयारी में सब अपने आप उठने लगे। 3 बजे बसें चल पड़ी। अब कटरे की ओर जा रहें हैं तो माता की भेंटें बज रहीं हैं।  क्रमशः       




 


2 comments:

Ompal singh said...

Aati sunder , bhot badiya 🙏♥️👌

Neelam Bhagi said...

हार्दिक आभार धन्यवाद ओमपाल सिंह जी