Search This Blog

Monday 27 March 2023

महिला सम्मान दिवस समारोह नीलम भागी Neelam Bhagi

 


नारी प्रगति सोशल फाउंडेशन और नई पहल के प्रयास से महिला सम्मान दिवस था आयोजन किया गया दोनों संस्थाओं को बहुत-बहुत धन्यवाद


















बेटियां

बेटियों के प्यार को कभी आजमाना नहीं,
वह फूल हैं उसे कभी रुलाना नहीं।
पिता का तो गुमान होती है बेटियां,
जिंदा होने की पहचान होती है बेटियां ।

उसकी आंखें कभी नम ना होने देना,
उसकी जिंदगी से कभी खुशियां कम ना होने देना।
उंगली पकड़कर कल जिसको चलाया था तुमने,
फिर उसको ही डोली में बिठाया था तुमने,
बहुत छोटा सा सफर होता है बेटी के साथ,
बहुत कम वक्त के लिए वह होती है हमारे पास।
असीम दुलार पाने की हकदार हैं बेटियां,
समझो भगवान का आशीर्वाद हैं बेटियां।

क्या लिखूं कि वो परियों का रूप होती हैं,
या कड़कती सर्दियों में सुहानी धूप होती हैं।
वह होती हैं चिड़ियों की चहचहाहट की तरह या कोई निश छ्ल खिलखिला हट।।

वह होती है उदासी के हर मर्ज की दवा की तरह,
या उमस में शीतल हवा की तरह।
वो पहाड़ की चोटी पर सूरज की किरण हैं,
वह जिंदगी सही जीने का आचरण हैं।।

हैं वो ताकत जो छोटे से घर को महल कर दे,
वो जो सबसे ज्यादा जरूरी है।
यह नहीं कहूंगी कि वह हर वक्त सांस सांस होती हैं
क्योंकि बेटियां तो सिर्फ एहसास होती हैं।।

श्रीमती भारती भागी कवियत्री 


Sunday 19 March 2023

एक नई शुरुआत! किताबें और स्कूल यूनिफॉर्म का रियूज नीलम भागी Neelam Bhagi

 



      स्कूल यूनिफॉर्म  और पाठ्य पुस्तकें, बच्चों की हर साल बदलती हैं क्योंकि वह नई कक्षा में जाते हैं और उन्हें उसी कक्षा का पाठ्यक्रम पढ़ना होता है। इसी तरह स्कूल समय में बच्चों का कद बढ़ता है, ड्रेस  छोटी होती जाती है फिर स्कूल में सर्दी की, गर्मी के , स्पोर्ट्स, हाउस यूनिफॉर्म  आदि आवश्यक होती हैं, जो सभी को लेनी पड़ती है। जब खरीदते हैं तो फिटिंग की ली जाती है ताकि बच्चा अपनी कक्षा में स्मार्ट दिखें, इस तरह नई कक्षा में आते हैं तो घर में इन सब का ढेर लग जाता है। मैं अंकुर के घर गई वहां इन सबसे भरे हुए बैग देखें और सोचने लगी कि इन कपड़ों और पाठ्यक्रम पुस्तकों का,   सार्थक उपयोग क्या है? क्योंकि जहां बच्चे पढ़ रहे हैं, यह शहर का और देश का नामी स्कूल है. सभी पेरेंट्स अफोर्ड करते हैं।  जब मेरी बेटी उत्कर्षिनी स्कूल जाने लायक हुई तो मेरा सपना था कि मैं उसे इस स्कूल में पढ़ाऊं , जहां यह बच्चे पढ़ रहे हैं तो मुझे भी इतना खर्च करना पड़ता। उस समय मेरी ऐसी स्थिति नहीं थी कि मैं यहां उसे पढ़ा सकूं।  लिखित परीक्षा पास करने पर भी शायद मेरी आर्थिक स्थिति देखकर, उसे इस स्कूल ने एडमिशन नहीं दिया गया था। फिर दिमाग में प्रश्न उठ खड़ा हुआ कि अभी कुछ लोग पर्यावरण से मेरी तरह लगाव रखते होंगे जो इन अच्छी कंडीशन  किताबों और स्कूल ड्रेस का रीयूज करेंगे। हमने व्हाट्सएप ग्रुप में अपने विचार डाल दिए और यूनिफॉर्म का साइज़,  किताबों के लिस्ट के साथ तस्वीरें लगा दी।  मुझे यह जानकर बेहद खुशी हुई। शुरुआत अच्छी हुई। हमारी भावना का पहले जिसने सम्मान रखा,  उन्हें ओके कर दिया और तुरंत ही 4 लोगों  ने सामान लेने की इच्छा जताई। जब हमने कहा कि हमारा कमिटमेंट हो गया तो उनका दुखी इमोजी का मैसेज आया अब लगातार और लोगों के भी मैसेज तस्वीरें स्कूल की किताब, ड्रेस की ग्रुप में लगने लगी। सब अपनी सुविधा के अनुसार एक दूसरे को समय देते कि कब सामान उठाना है, उनके घर से ले आते हैं। कितनी अच्छी शुरुआत हुई है! एक संकोच ही तो था। पहले सोचते रह जाते थे कि एक दूसरे अगर कहे तो वह बुरा ना मान जाए कि हम अपने बच्चे को सब कुछ अफोर्ड करा सकते हैं, यह सोच कर नहीं कहा जाता था। हां स्कूलों का नुकसान हुआ है । क्योंकि उनको मिलने वाला, 50% प्रिंट रेट का कमीशन कम हो गया है। लेकिन पर्यावरण को कितना फायदा होगा! यह तो कोशिश ही है और साधुवाद उन लोगों को जो इस तरह का एक दूसरे को सहयोग करके पेड़ों को बचाने की अप्रत्यक्ष मुहिम में लग गए हैं।

Friday 10 March 2023

हार्दिक आभार नीलम भागी

 






सम्माननीय मित्रों, मेरी बेटी उत्कर्षिनी वशिष्ठ (अंतरराष्ट्रीय लेखिका) के लिए आपकी शुभकामनाओं के लिए आपका हार्दिक आभार। नीलम भागी

Wednesday 8 March 2023

महिला दिवस नीलम भागी

8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर जगह-जगह महिलाओं के लिए कार्यक्रम होते हैं। सोशल मीडिया पर बधाई संदेश, कार्यक्रमों में सम्मान, स्नेह आदि शब्दों का महिलाओं के लिए खूब प्रयोग किया जाता है। लेकिन इस बार 8 मार्च को होली का पर्व है। अब हमारे देश की महिलाएं तो इस पर्व में आने वाले मित्रों, पड़ोसियों के सत्कार के लिए अपनी पाक कला की परंपरा को दिल से आगे बढ़ाती हैं। जो हमने दादी, नानी, मां से सीखा है, उसे बढ़ाया है।  कामकाजी महिलाएं भी इस सब के लिए अपनी व्यवस्थित दिनचर्या में से समय जरूर निकालती हैं। अपने बनाए पकवानों को सबको खिलाते समय उन्हें बहुत संतोष मिलता है। डॉ.बबीता शर्मा(B.S.Foundation) ने 26 फरवरी को विशाल होली मिलन कार्यक्रम का आयोजन किया था। जिसमें आगमन से उपस्थिति तक  स्वाद व्यंजनों का सबने नचाते, गाते हुए जमकर आनंद उठाया। समापन पर मधुर यादें लेकर  लौटे। डॉ बबीता शर्मा ने महिलाओं की व्यस्तता को देखते हुए,  5 मार्च को शाम को 04:00 बजे C ब्लॉक पार्क, सेक्टर 50 में महिला दिवस मनाने के लिए बुलाया। हम सब  आकर बैठे संगीता सिंह ने हर्बल  टी बनाई जो तुरंत बन गई, हम हैरान! चाय  के साथ स्नैकस और बतियाना, जिसमें सभी भाग ले रहे थे क्योंकि सब हट में गोले में बैठे थे इसलिए कोई मंचासीन नहीं था। लोकगीत बिहार के गाए मसलन 

जब हम लईका हली तोरे गोदी खेल हली, बेटा बेटा कहकर बुलाव हली बाबूजी"




 किस्से सुनाए फिर म्यूजिक बजा के सब नाचे, मुझे छोड़कर, क्योंकि मुझे नाचना नहीं आता है। इस समय सब कलाकार थे। और दर्शक थे जो पार्क में सेहत के लिए घूमने आए थे। अंधेरा होने पर सब घर में लौटते हुए  कहने लगी, "अब हम होली के पकवान बनाने में अपनी परंपराएं निभाएंगे।" डॉ.कविता शर्मा, सुनीता महेश्वरी,  सुरभि शर्मा,  गीता वार्ष्णेय, निवेदिता जी,  मोनिका अग्रवाल,  मोनिका, निवेदिता सिंह (सेक्टर 50) सुरेखा शर्मा,  संगीता,  रेखा पाठक, संगीता सिंह (सेक्टर 51),सुनीता जी सेक्टर 62, अनीता शर्मा( सेक्टर 27), नीलम भागी, अंजना भागी ,(सेक्टर 11) का डॉ.बबिता शर्मा और संगीता सिंह ने सभी का धन्यवाद किया। उपहार का पौधा लिए, बिना कचरा फैलाए और बिना किसी पौधे को नुकसान पहुंचाए हम "इको फ्रेंडली महिला दिवस" मना कर आए।











Monday 6 March 2023

उत्तर प्रदेश समाज द्वारा आयोजित होली मिलन में काव्य गोष्ठी

 

ऋतु वसंत आया है तेरे साथ में

उत्तर प्रदेश समाज द्वारा आयोजित होली मिलन में कवि गोष्ठी उत्तर प्रदेश समाज द्वारा आयोजित होली मिलन उत्सव में देश के माने जाने कवियों और शायरों ने भाग लिया. उपस्थित कवियों में प्रमुख थे: प्रोफेसर लल्लन प्रसाद, बाबा कानपुरी, अशोक मधुप, साहित्य चंचल, प्रेम सागर प्रेम, पूनम सागर, तूलिका सेठ, जे पी रावत, ओमप्रकाश सिंह कौशिक  ताबिश खैराबादी, हाशिम देहलवी, ओमपाल सिंह, नीलम भागी एवं देवेंद्र मित्तल। ब्रिगेडियर राजबहादुर मुख्य अतिथि थे, प्रतिष्ठित साहित्यकार डॉक्टर राम शरण गौड, एस पी गौड़ कायाकल्प के अध्यक्ष, डी आर वधावन, एचपी मल्होत्रा, आर के बजाज, हरपाल सिंह एवं राजीव वेंकट की भी गौरव मयी उपस्थिति थी। कार्यक्रम का संचालन डॉ अशोक मधुप ने किया, वीरेश तिवारी, वसुधा तिवारी एवं के बी पाहवा का कार्यक्रम के आयोजन में विशेष सहयोग था। इस अवसर पर राजीव वेंकट जी की पुस्तक जाति जाए जाने दो (कास्ट योर कास्ट अवे) का लोकार्पण भी हुआ।

अपनी सुंदर रचनाओं से कवियों ने लोगों का मन मोह लिया: 'तेरे लाल कपोल और ये चैती फूल गुलाब के, खिले सुहाने रस से साने, सच कहता हूं ऋतु वसंत आया है तेरे साथ में'। 'लो गया पतझड़ विदाई विदाई अब धरा खुद ही मगन है'। 'मन वृंदावन हो गया तन  यमुना का तीर'। 'रिश्तो की यह सारी नदियां आकर मुझ में मिलती हैं'। 'फुरकत-ए-गम है मेरा दर्द है तन्हाई'। 'सुख कहीं बिकता नहीं वह प्रेम का निधार है'। 'बहुत मीठा बोलते थे मगर ख्याल कच्चे लगे'। 'एक बहाना उन्हें छत पर आने का था, चादर पलट कर नहाते रहे'। 'प्रहलाद प्यार का है उसको बचा के रखना'। 'किसी ने हमको समझाया बहुत है बुजुर्गों का रहे साया बहुत है'। 'तुम चले जाओगे घर रूठ के बादल की तरह हम मना लेंगे तुम्हें प्यार में पागल की तरह'। धन्यवाद ज्ञापन उत्तर प्रदेश समाज के महामंत्री वीरेश तिवारी ने किया।


















नये भारत का साहित्य



 नये साहित्य में वर्ग संघर्ष नहीं, अपितु समन्वय पर जोर हो : अनिल जोशी

इन्द्रप्रस्थ साहित्य भारती (संबद्ध-अखिल भारतीय साहित्य परिषद्) द्वारा  02 मार्च, 2023 गुरुवार को विश्व पुस्तक मेला, नई दिल्ली में ‘नये भारत का साहित्य’ विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया। 

सेमिनार के मुख्य वक्ता केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल के उपाध्यक्ष श्री अनिल शर्मा जोशी ने अपने वक्तव्य में चिंता प्रकट करते हुए कहा कि भारतीय साहित्य में राष्ट्रीयता की उपेक्षा हो रही है, जबकि इसे विकसित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भक्ति काल में सर्वश्रेष्ठ साहित्य रचा गया। तुलसीदास, सूरदास, रवींद्रनाथ टैगोर, शरतचंद्र, निराला जैसे साहित्यकारों ने सामाजिक-सांस्कृतिक पुनर्जागरण का स्वर प्रखर किया। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद खंडित साहित्य रचा जाने लगा। अब नये भारत के साहित्य में वर्ग-संघर्ष नहीं, अपितु समन्वय पर जोर हो। भारतीय संस्कृति, जिसमें परिवार महत्वपूर्ण है, पर बल देना होगा। 

अखिल भारतीय साहित्य परिषद् की राष्ट्रीय मंत्री एवं दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर नीलम राठी ने कहा कि आज ऐसा साहित्य रचने की जरूरत है जो भारतीय संस्कृति को प्रतिष्ठित करे। खांचे में बांटकर साहित्य पर विचार न हो। हम समस्यापरक साहित्य नहीं बल्कि समाधानपरक साहित्य का सृजन करें। 

इन्द्रप्रस्थ साहित्य भारती के संरक्षक श्री तिलक चांदना ने कहा कि हमारा साहित्य लोकमंगल की भावना को प्रतिष्ठित करनेवाला हो। अखिल भारतीय साहित्य परिषद् के राष्ट्रीय मंत्री श्री प्रवीण आर्य ने कहा कि हमारे साहित्यकार बाल साहित्य की उपेक्षा करते हैं। नये साहित्य में बाल साहित्य पर गंभीरता से विचार और लेखन हो। अखिल भारतीय साहित्य परिषद्, काशी प्रांत के मंत्री डॉ. देवी प्रसाद तिवारी ने कहा कि नये साहित्य में समग्रता-बोध पर जोर हो। डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर की सहायक प्राध्यापक एवं लेखिका डॉ. सुजाता मिश्रा ने कहा कि नये भारत का साहित्य मन को संस्कारित करनेवाला हो। इस कार्यक्रम में श्रीमती सरोज दीक्षा ने भी अपने विचार रखे। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार श्री विनोद बब्बर ने कहा कि आज के साहित्य की भूमिका मनोबल बढ़ानेवाला हो। साहित्यकार अपनी भाषाओं एवं अपनी धरती से जुड़ें। आधुनिकता और परंपरा का समन्वय हो। 

इस सेमिनार का संचालन श्री संजीव सिन्हा ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन श्री बृजेश गर्ग ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ सुप्रसिद्ध गीतकार श्री जय सिंह आर्य द्वारा सरस्वती वंदना प्रस्तुत करने से हुआ और इन्द्रप्रस्थ साहित्य भारती की कार्यालय प्रमुख श्रीमती सुनीता बुग्गा द्वारा कल्याण मंत्र प्रस्तुत करने के बाद इसका समापन हुआ। 

इस कार्यक्रम में इन्द्रप्रस्थ साहित्य भारती के महामंत्री सर्वश्री भुवनेश सिंघल, कोषाध्यक्ष अक्षय अग्रवाल, पूर्व महामंत्री मनोज शर्मा, भारत भूषण, अनिल बंसल एवं नीलम भागी सहित अनेक साहित्यकारों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।