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Wednesday, 31 May 2023

नैसर्गिक सौंदर्य में ज्ञान सरोवर!! माउंट आबू की यात्रा मीडिया महासम्मेलन एवं मेडिटेशन रिट्रीट 2023 भाग 4 नीलम भागी

  

अंदर सड़क के दोनो ओर फूलों से लदी क्यारियां हैं।  बस से उतरते ही वहां खड़े वॉलिंटियर ने हमारे सामान  की ओर इशारा किया। अपना लगेज लेकर मैं चलने लगी, तो दूसरे ने  कहा, "रिसेप्शन में जाएं।" वहां जाते  ही दीदी ने कहा, " ऊपर जाएं,  लगेज यहीं छोड़ दें।"वहां जाते  ही मैंने रजिस्ट्रेशन  का प्रिंट दिखाया। उन्होंने मुझे  स्लिप और किट दी और  कहा, "विष्णु पूरी चले जाइए रूम नंबर 15, बाहर गाड़ी खड़ी है।"  नीचे  आई दीदी ने  सामने खड़ी गाड़ी की ओर इशारा किया। मैं उसके पास पहुंची तुरंत मेरा लगेज गाड़ी में रख कर, मुझे  बैठने को कहा। दो लोग और बैठे और गाड़ी हमारे निवास की ओर चल दी। खूबसूरत रास्ते से जा रहे हैं। पहाड़ झील देखती जा रही हूं।  बहुत सुंदर भवन  के सामने गाड़ी रुकी। रिसेप्शन पर स्लिप दिखाई। उन्होंने लिफ्ट की ओर इशारा किया। लिफ्ट में बुजुर्ग भाई सेवा दे रहे हैं। सेकंड फ्लोर पर उतरने को कहा और समझाया वहां ऑफिस में यह स्लिप दिखा देना। मैंने जाकर स्लिप दिखाई। उन्होंने मुझे 15 नंबर कमरे की चाबी दे दी और सामने लिफ्ट की ओर इशारा किया यह ऊपर के 2 फ्लोर पर जाती है। मैं गई, देखा उस रूम में कोई है। खटखटाया, एक महिला निकली मैं  मुस्कुराई। उन्होंने पूछा आप यहां किस लिए? मैंने कहा, "मुझे यह रूम दिया है।" वह बोली," मैं किसी के साथ शेयर नहीं करती। मैं लौट के ऑफिस में गई। उन्हें बताया कि उस रूम की महिला रूम शेयर नहीं कर रही हैं। इतने में वह महिला भी आ गई, आते ही बोली," यह रूम खुला था।  इसलिए मैं सेटल हो गई हूं।"  भाई जी ने पूछा," आपने रिसेप्शन से स्लीप ली? इनके पास स्लिप है। आप शांतनु जी के पास जाइए।" वे महिला हंसते हुए मेरे साथ आई और अपना  सामान लेकर चली गई। अब मैंने रूम को देखा बहुत सुंदर साफ-सुथरे कंबल, मोटी चादर और बहुत प्यारी लाइट कलर की बेडशीट वाले, दो सिंगल बेड बीच में छोटा सा  स्टूल, दो कुर्सियां टेबल, खिड़की, अलमारियां उनके नीचे भी स्पेस अगर कंबल नहीं ओढ़ना तो वहां रख सकते हैं और आपका बेड खाली।  बालकोनी जिसमें कपड़े सुखाने का स्टैंड, चिमटियां लगा हुआ। मैं तो  लॉन्ड्री बैग साथ में लाती हूं। मैले कपड़े घर में ही धोती हूं। पर यहां कम कपड़ों  को भी आप ला  सकते हैं। हर फ्लोर पर कपड़े प्रेस करने के लिए बड़ी मेज रखी हुई है, साथ में प्रेस और स्प्रे रखा हुआ है। और अगर साड़ियां पहनते हैं एक खुली छत पर जिस पर सब प्रकार के हुक आदि  हैं। आप वहां फैला सकते हैं।




टॉयलेट एकदम साफ सुथरा ताजा और गर्म पानी दोनों का  प्रोविजन है। मैंने किट निकालकर दिनचर्या देखी। उसमें 8 से 9 ब्रेकफास्ट टाइम था।  8:30 बज गए थे 20 मिनट में मैं नित्य कर्म निपटा कर तैयार होकर ब्रेकफास्ट के लिए निकली। पूछते हुए पहुंच गए गई । बहुत बड़ी बिल्डिंग में 7 नंबर हॉल में हमें नाश्ता करना है।

यहां खूब भीड़, पर सब काम बहुत कायदे से चल रहा है। जो सफेद पोशाक में दीदी और भाई जी  हैं, उनमें से कुछ सेवा कार्य में लगे हुए हैं। साफ-सुथरे भोज थाल और कटोरिया गिलास चम्मच  रखें हैं। मैं यहां पहली बार आई हूं। हां, लेकिन व्यवस्था इतनी उत्तम है कि किसी से कुछ भी पूछने के जरूरत नहीं है।  छाछ लिखा है। दही पर दही। मीठी चाय के साथ में फिका दूध, उसके पास टी बैग और कॉफी पाउडर चीनी रखा है।  यानि कि आप फीकी चाय और कॉफी स्वयं बना सकते हैं। ब्रेकफास्ट के लिए  जो दीदियां परोस रहीं हैं , अपने अपने व्यंजन मुस्कुराते हुए मेरी थाली में रख रहे हैं, आप जितना खा सकते हैं, उतना उनसे लें। एक बार ले चाहे बार-बार ले। यह मेरा कहना है कि फेंकने के लिए अधिक ना ले। दीदी तो आप जितना कहेंगे उतना  देंगी। नाश्ता लेकर मैं टेबल चेयर पर  बैठी स्वादिष्ट नाश्ता करते हुए बाहर देखने लगी। यहां से नजर नहीं हट रही है। अपनी प्लेट लेकर बाहर आ गई। वहां भी ऐसे ही बैठने की व्यवस्था  है। हवा इतनी गजब ! जो सिर्फ महसूस की जा सकती है, लिख नहीं सकते। यहां सब आपस में परिचय कर रहे हैं। मैं जिसे भी मिली, वह यहां पहले भी आया हुआ है। नाश्ता करने के बाद मैं अपनी थाली रखने गई। वहां पर बहुत सराहनीय व्यवस्था थाली, कटोरी, चम्मच, गिलास के लिए अलग  जगह और तीनों  ओर हर तरह का पानी मसलन ठंडा, नॉर्मल, हाथ धोने का आदि। बस जूठन रखने का बर्तन देखकर अपनी आदत के अनुसार उसमें देखा, जूठन देखकर तकलीफ हुई कि यहां पर सभी पढ़े लिखे लोग हैं। फिर कैसे कुछ लोग  स्वादिष्ट पौष्टिक खाना जूठा छोड़ सकते हैं!! अपने रूम की तरफ यह सोच कर चल दी कि रात को गाड़ी में ठीक से सोई नहीं हूं।  कुछ देर सोकर यहां की खूबसूरती में घूमूंगी। ओपनिंग सेशन  शाम को 4 बजे से है। पर यहां के प्राकृतिक सौंदर्य ने  मुझे रूम में जाने ही नहीं दिया। फूल इस तरह खिले हुए हैं,  जैसे मैं किसी फ्लावर शो में आ गई हूं। क्रमशः








Monday, 29 May 2023

रास्ता ही इतना खूबसूरत!! माउंट आबू की यात्रा मीडिया महासम्मेलन एवं मेडिटेशन रिट्रीट 2023 भाग 3 नीलम भागी Neelam Bhagi

 




प्लेटफार्म नंबर एक पर उतरते बाएं हाथ पर बड़ा सा गेट है। वहां सफेद कपड़ों में एक सेवादार खड़े थे। उन्हें मैंने बताया कि माउंट आबू मीडिया महासम्मेलन में जाना है तो उन्होंने तुरंत मेरा लगेज ले लिया और सामने खड़ी बस की ओर चले दिए। मैं उनके पीछे चल दी। मुझे बस में बैठने को कहा और मेरा लगेज साथ में ले गए। कुछ सवारियों के बैठते ही बस चल पड़ी। मौसम बड़ा प्यारा है और आबू रोड शहर जागने लगा है। सड़कों पर सफाई शुरू हो रही है। लगभग 7 किलोमीटर जाने पर हमारी बस,  शांतिवन परिसर में पहुंची जो एक साफ सुथरा विशाल मैदान है। सामने भवन है। इसका दूसरा छोर नहीं दिखाई दे रहा है। मैं यह सब बस की खिड़की से ही देख रही हूं। आम के पेड़ पर आम लटक रहे हैं। बस रुकते ही उसमें और लोग आ गए। बस भर गई। अब हमारी बस शांतिवन से चल पड़ी। बढ़िया साफ-सुथरी सड़क पर बस चल रही थी। आसपास प्राकृतिक सौंदर्य बढ़ता जा रहा था। कुछ ही देर में वहां बोर्ड नजर आने लगे, जिन पर जंगली जानवर के चित्र बने थे। बस चल रही थी बोर्ड की भाषा एक ही थी मसलन जलती हुई वस्तु फेंकने पर सजा होगी।
प्लास्टिक फेंकना, वन्य जीवों को खाद्य सामग्री डालना दंडनीय अपराध है। लेकिन उस वन्य जीव अभ्यारण में रहने वाले जानवरों के चित्र बदलते जा रहे थे। यहां सिगरेट शराब पीने की मनाही है। यहां तक की बड़ी संख्या में लंगूर, वानर हैं पर किसी भी जानवर को खाना देने की, पकड़ने की  सख्त पाबंदी है। रास्ते में कहीं-कहीं मोड़ पर निर्देश है कि गाड़ी सावधानी से चलाएं। लाजवाब बनी सड़क पर गाड़ी बहुत अच्छे से चढ़ाई चढ़ रही है। कहीं-कहीं कुछ घर हैं, मंदिर आते हैं।
वीर बाबा मंदिर, कुछ दूरी पर आरणा हनुमान मंदिर। सूरज निकलने  पर जंगल की खूबसूरती  गजब  की लग रही है। सूरज  की किरने जंगल की वनस्पति पर पड़ने से उसे और खूबसूरत बना रही हैं। मेरी तो आंखें बाहर टिकी हुई हैं। सात घूम व्यू प्वाइंट पर पर्यटक प्राकृतिक सौंदर्य को कैमरे में कैद कर रहे हैं।
राजस्थान में पहाड़  सोचने  से भी, मेरे मन में अजब कौतुहल था।  28 किलोमीटर  की   यह यात्रा, पलक झपकते हो  समाप्त हो गई और  हमारी बस ज्ञान सरोवर के विशाल खूबसूरत प्रांगण में पहुंच गई।





Friday, 26 May 2023

उत्कर्षिनी वशिष्ठ बनी बेस्ट स्क्रीन प्ले राइटर और बेस्ट डायलॉग राइटर नीलम भागी

 


उत्कर्षिनी वशिष्ठ बनी बेस्ट स्क्रीन प्ले राइटर और बेस्ट डायलॉग राइटर

सम्माननीय मित्रों, मेरी बेटी उत्कर्षिनी वशिष्ठ (अंतरराष्ट्रीय लेखिका) गंगू बाई काठियावाड़ी के लेखन पर,  आईफा अवार्ड 2023 आबू धाबी में बेस्ट डायलॉग लेखिका और बेस्ट स्क्रीन प्ले लेखिका का आईफा अवार्ड   मिला।  आपकी शुभकामनाओं के लिए आपका हार्दिक आभार। Neelam Bhagi




Tuesday, 23 May 2023

रफ्तार! करे कोई, भरे कोई नीलम भागी,Neelam भागी

 किसी की तेज रफ्तार गाड़ी ने ऑटो  को टक्कर मारी, जिस  पर  सवार होकर मैं जा रही थी। वह टक्कर मार कर भाग गया।  ऑटो बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। मुझे एक भला ऑटो वाला हॉस्पिटल के इमरजेंसी में छोड़ गया। मैंने उसे धन्यवाद करते हुए कहा ," पैसे निकाल लो।"उसने कहा जल्दी जाकर इलाज कराओ, वह बिना पैसे लिए , चला गया। बांह में फ्रैक्चर, सिर पर टांके और कई खरोच समय पर इलाज हो गया भला हो उस ऑटो वाले का

नीलम भागी


Thursday, 18 May 2023

रेल में हमारी संस्कृति माउंट आबू की यात्रा मीडिया महासम्मेलन एवं मेडिटेशन रिट्रीट 2023 भाग 2 नीलम भागी Neelam Bhagi

 

नियत समय पर गाड़ी छूटी। सहयात्री भी बहुत अच्छे मिले हैं। 100 लोगों का ग्रुप चार धाम की यात्रा करके, अहमदाबाद लौट रहा था। उनके पास करने को यात्रा संबंधी खूब बातें थीं। वे गुजराती में बतिया रहे थे। मैंने कहा, "आप लोग हिंदी में बोले तो मैं भी आपकी बातों का आनंद उठा सकती हूं ।" वह हिंदी में बोलने लगे। उन्होंने मुझसे पूछा," दिल्ली में क्या बारिश हो रही है? मैंने जवाब दिया, "हां और मौसम भी बहुत ठंडा है लग ही नहीं रहा कि मई का महीना है।" उन्होंने जवाब दिया कि वहां पर भी बारिश होने से बहुत ठंड और रास्ता ऐसा हो गया था कि बहुत सावधानी से हम यात्रा कर रहे थे फिर भगवान को  हाथ जोड़कर धन्यवाद किया कि उनके चार धाम की यात्रा पूरी हो गई। मेरा खाना बुक था पर उन्होंने तरह-तरह के घर के बने स्नैक्स, मूंगफली की बर्फी न जाने कितनी वैरायटी निकाली और मुझे भी ऑफर की। साथ-साथ मुझे बताने लगे कि उनका खाना पैकेज में था। लेकिन ट्रेन का अपना होता है। जाते समय तो हम बना कर ले गए थे। यह स्नैक्स के बॉक्स आज खुले हैं। हर चीज बहुत उम्दा  बनी थी। उनमें से एक जोड़ा सेना से रिटायर था फिर वे अपनी पूरे भारत भ्रमण की नौकरी के समय की बातें बताने लगे। मेरा डिनर आ गया। तब तक वे सब बातें करते रहे, जैसे ही मेरा डिनर खत्म हुआ। मैं उठ कर खड़ी हो गई कि मुझे सोना है। मैं जानती थी, यह लोग  यात्रा से बुरी तरह थके हुए हैं। मेरे कारण बैठे हैं। तुरंत मिडिल सीट खोली गई। बिस्तर लगे। मैंने लाइट ऑफ की और पूरे में खर्राटों की आवाज आने लगी। देर से सोने वाली और देर से उठने वाली, मैं भी जल्दी सो गई। 2:00 बजे मेरी नींद खुल गई, इस डर से कि कहीं मैं सोती न रह जाऊं। सोने से पहले मेरे  सहयात्रियों ने मुझे बताया था कि वो कभी भी माउंट आबू चले जाते हैं, वहां की हवा खाने। जहां आप जा रही हैं, उसका परिसर जरूर घूमना बहुत खूबसूरत है। 5 बजे दो-तीन लोगों ने मुझे आवाज लगाई। आप उठ जाएं। आबू रोड 25 मिनट में आने वाला है। जाग तो मैं रही थी पर उनका इस तरह ध्यान रखना, मुझे अच्छा लगा। स्टेशन आने पर एक सहयात्री मेरे लगेज के साथ आकर खड़े हो गए। मुझे कहा, "आप उतारिए, मैं लगेज पकड़ता हूं।" मैं उतर गई, उन्होंने मेरा  लगेज नीचे रख दिया । मेरी तो यात्रा की शुरुआत ही बहुत अच्छी हुई। क्रमशः






माउंट आबू की यात्रा मीडिया महासम्मेलन एवं मेडिटेशन रिट्रीट 2023 भाग 1 नीलम भागी Neelam Bhagi

 


मेडिटेशन मुझसे नहीं होता था। कितने  आयोजनों में गई, जहां  मेडिटेशन कराया जाता है पर मेरा ध्यान कहीं ना कहीं भटकता था। 'नोएडा मीडिया क्लब' में  ब्रम्हाकुमारीज द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई। बी. के. मेधा दीदी और बी. के. सुशांत दोनों को सुना।  मेधा दीदी ने मेडिटेशन  कराया। मेरा पहली बार ध्यान लगा। समापन पर मेरी तंद्रा टूटी। बी.के. मेधा दीदी ने करोना के बाद शांतिवन माउंट आबू में होने वाले सितंबर 2022 के मीडिया सम्मेलन में, हमें आमंत्रित किया। उससे पहले उन्होंने  सेक्टर 26 नोएडा में आयोजित एक दिवसीय मीडिया कॉन्फ्रेंस में आमंत्रित किया। वहां गई, मुझे बहुत अच्छा लगा। समापन तक मैं वहां रही। माउंट आबू जाने के लिए  रजिस्ट्रेशन कराया। ट्रेन में टिकट बुक करवाली लेकिन जाने से पहले मेरी बहन को कैंसर डायग्नोज हो गया। मैंने मेधा दीदी को फोन पर न जाने की असमर्थता जताई। उन्होंने कहा कि आप वहां जाइए, आपको अच्छा लगेगा, मन बदलेगा पर मैं नहीं गई। 20 अप्रैल को मेधा दीदी का इन्विटेशन मैसेज था।


माउंट आबू में होने वाली 5  से 9 मई, ज्ञान सरोवर माउंट आबू राजस्थान में आयोजित मीडिया कॉन्फ्रेंस ब्रह्माकुमारीज़ का। एक लिंक भेजा था, जिसे भर कर भेजना था।   ब्रह्माकुमारीज़ के द्वारा 5  से 9 मई 2023 तक "राष्ट्रीय विकास के लिए मीडिया की जिम्मेदारी" पर पांच दिवसीय मीडिया सम्मेलन और ध्यान रिट्रीट का आयोजन किया जा रहा था। राजयोग एजुकेशन एंड रिसर्च फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित यह सम्मेलन ब्रम्हा कुमारियों के ज्ञान सरोवर, माउंट आबू के हार्मनी  हॉल में आयोजित किया जा रहा था।

 माउंट आबू अध्यात्मिक स्थान के रूप में विश्व भर में प्रसिद्ध है और लोग यहां दूर-दूर से अध्यात्मिक आनंद और योग के लिए  आते हैं।  मुझसे जो जानकारी मांगी गई, मैंने दिए गए लिंक पर भेज दी। 23 अप्रैल को सुबह, मुझे मेल द्वारा मेरा रजिस्ट्रेशन नंबर आ गया।  मैंने राजधानी में 4 मई का रिजर्वेशन करवाया, लौटने का 9 और 10 अप्रैल का करवाया जो दोनों वेटिंग में 8 नंबर था।  और मैंने जाने की तैयारी कर ली। यहां पहली बार मैं जा रही थी पर मन में बहुत सा उत्साह था। उत्साह का एक कारण यह भी था की गाड़ी से उतरते ही पिकअप था इसलिए कोई चिंता नहीं थी। नई दिल्ली से 7.55 की गाड़ी थी, जिसने  सुबह 5:30, आबू रोड पर पहुंचना था। समय से काफी पहले स्टेशन पर पहुंच गई। बी- 12  डिब्बा  स्टेशन से  बहुत दूर था। जब मैं वहां पहुंची।



ढेर सारे सामान के साथ एक लड़का मुझसे आकर बोला," प्लीज आप मेरे सामान का ध्यान रखना मैं और सामान   ले आऊं।" मैंने कहा," ठीक है।" वह चला गया काफी देर हो गई, मुझे उसके सामान के पास खड़े हुए। गाड़ी चलने का समय हो गया। मेरे पास तो हल्का सा लगेज था। दूर से उसे आता देख, मैं डिब्बे में चढ़ने लगी। अभी भी वह खूब सामान लेकर आया  मैं डिब्बे में चढ़ गई। क्रमशः

सहजन #Moranga नीलम भागी Neelam Bhagi

 सहजन #Moranga 






मेरे घर में लगे सहजन के पेड़ पर खूब फलियां लगी हैं। कुछ बहुत ऊंचाई पर है सेकंड फ्लोर तक पहुंच गई हैं। जो तोड़ी नहीं जा सकती। हमेशा की तरह जब यह पक कर फटने से इनके बीच नीचे गिरते हैं तो बरसात में मैं उनको दूर-दूर तक पार्कों में फैलाती हूं ताकि कहीं तो सहजन के पेड़ लगेगें। नीलम भागी

Saturday, 13 May 2023

आंखों में आंसू भरे थे बेटी को अवार्ड लेते कैसे देखती!! भाग 2 नीलम भागी

 


उत्कर्षिणी को उसके मित्र दूर से हाथ हिला रहे थे। सीटों के बीच में इतनी जगह नहीं थी कि कोई खड़े होकर बात कर सके क्योंकि हम समय से पहुंचे थे। लोग आकर अपनी सीट ले रहे थे। किसी को असुविधा न हो इसलिए उत्कर्षिनी स्टेज के पास खुली जगह में चली गई और अपने साथियों से मिलती रही, बतियाते रही फिर बीच में आकर मुझे समझा कर गई कि  बीच में उसे भी देख लूं। "मैं सबसे बताती वो मेरी मम्मी। वह आपको हाथ हिलाते हैं। आप पता नहीं कहां देख रही होती हो। वे मुझे कहते हैं, तुम्हारी मम्मी  तो सेलिब्रिटी  देखने में मस्त हैं।" अब मैंने इस बात का ध्यान रखा। बीच-बीच में उत्कर्षिनी पर भी नजर रखती। वे हाथ हिलाते तब मैं भी हाथ हिला देती। 

शो की मेजबानी सलमान खान और उनके को-होस्ट आयुष्मान खुराना और मनीष पॉल रहे।विकी कौशल, टाइगर श्रॉफ, जानवी कपूर, गोविंदा, जैकलिन फर्नांडीस की धमाकेदार प्रस्तुतियों ने इस इवेंट को चार चांद लगाये।

 बेस्‍ट एक्‍ट्रेस आलिया भट्ट,बेस्‍ट एक्‍टर राजकुमार राव,

 'गंगूबाई काठियावाड़ी' और 'बधाई दो' का जलवा रहा. फिल्‍म फेयर अवॉर्ड की लिस्‍ट के अनुसार बेस्ट फिल्म गंगूबाई काठियावाड़ी को तो बेस्ट क्रिटिक्स फिल्म का अवॉर्ड 'बधाई दो' को मिला।  बधाई दो फिल्‍म में  राजकुमार राव को बेस्‍ट एक्‍टर का अवॉर्ड मिला है, वहीं गंगूबाई काठियावाड़ी में अपनी एक्टिंग की लाज़वाब छाप छोड़ने वाली आलिया भट्ट को बेस्‍ट एक्‍ट्रेस का अवॉर्ड दिया गया है.

बेस्‍ट डायरेक्‍टर संजय लीला भंसाली

संजय लीला भंसाली को गंगूबाई काठियावाड़ी के लिए बेस्‍ट डायरेक्‍टर का अवॉर्ड मिला।  सपोर्टिंग रोल के लिए बेस्ट एक्टर अनिल कपूर को जुग जुग जीयो के लिए मिला है। वध के लिए बेस्ट क्रिटिक्स एक्टर अवॉर्ड संजय मिश्रा को मिला है,  बेस्ट क्रिटिक्स एक्ट्रेस का अवॉर्ड भूमि पेडनेकर को बधाई दो के लिए और तब्‍बू को भूल भुलैया 2 के लिए दिया गया है। प्रकाश कपाड़िया और उत्कर्शिनी वशिष्ठ  को गंगूबाई काठियावाड़ी के लिए बेस्ट डायलॉग लेखन का अवॉर्ड मिला है।

डेब्‍यू मेल और डेब्‍यू फीमेल अवॉर्ड

अक्षत घिल्डियाल, सुमन अधिकारी और हर्षवर्धन कुलकर्णी को बधाई दो के लिए बेस्ट स्क्रीनप्ले का अवॉर्ड मिला है तो वहीं अक्षत घिल्डियाल और सुमन अधिकारी  को फिल्म बधाई दो के लिए बेस्ट स्टोरी का अवॉर्ड मिला है। अंकुश गेदम को फिल्म झुंड के लिए बेस्ट डेब्यू मेल का अवॉर्ड मिला. एंड्रिया केविचुसा को फिल्म अनेक के लिए बेस्ट डेब्यू फीमेल अवॉर्ड मिला है। जसपाल सिंह संधू और राजीव बरनवाल को फिल्म वध के लिए बेस्ट डेब्यू डायरेक्टर का अवॉर्ड मिला।

अन्‍य अवॉर्ड विनर्स 

फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से प्रेम चोपड़ा  सम्मानित।






बेस्ट लिरिक्स का अवॉर्ड अमिताभ भट्टाचार्य को ब्रह्मास्त्र पार्ट वन शिवा के केसरिया गाने के लिए, 

प्रीतम को फिल्म ब्रह्मास्त्र पार्ट 1 शिवा के लिए बेस्ट म्यूजिक एल्बम के अवॉर्ड से नवाजा गया

DNEG And Redefine को फिल्म ब्रह्मास्त्र पार्ट 1 शिव के लिए बेस्ट वीएफएक्स कैटेगरी में अवॉर्ड दिया गया।

संचित बल्हारा और अंकित बल्हारा को फिल्म गंगूबाई काठियावाड़ी के लिए बेस्ट बैकग्राउड स्कोर का अवॉर्ड मिला है।

कविता सेठ को बेस्ट प्लेबैक सिंगर फीमेल चुना गया. उन्‍हें ये अवॉर्ड जुग जुग जियो के रंगसारी गाने के लिए दिया गया।

ब्रह्मास्त्र पार्ट वन  शिवा के केसरिया गाने के लिए अरिजीत सिंह को बेस्ट प्लेबैक सिंगर मेल का अवॉर्ड मिला है।

बेस्ट कोरियोग्राफी कैटेगरी में गंगूबाई काठियावाड़ी के गाने ‘Dholida’ के लिए कृति महेश को अवॉर्ड दिया गया।

निनाद खानोलकर को फिल्म एन एक्शन हीरो के लिए बेस्ट एडिटिंग अवॉर्ड से नवाजा गया।

सुब्रत चक्रवर्ती और अमित रॉय को फिल्म गंगूबाई काठियावाड़ी के लिए बेस्ट प्रोडक्शन डिजाइन का अवॉर्ड मिला है

विश्वदीप दीपक चटर्जी को फिल्म ब्रह्मास्त्र पार्ट वन शिवा के लिए बेस्ट साउंड डिजाइन का अवॉर्ड दिया गया है।

फिल्म गंगूबाई काठियावाड़ी की सिनेमैटोग्राफी के लिए सुदीप चटर्जी को चुना गया।

विक्रम वेधा के लिए बेस्ट एक्शन का अवॉर्ड परवेज़ शेख को मिला।

 उत्कर्षिनी के नाम की घोषणा  बेस्ट डायलॉग लेखन  गंगूबाई काठियावाड़ी के लिए हुई। वह मंच पर अवॉर्ड लेने जा रही थी। मेरी आंखों से  टप टप आंसू बह रहे थे। स्टेज से उतरते ही उसे इंटरव्यू लेने के लिए ले गए। थोड़ी देर बाद वह आई। उसने मेरे हाथों में अवार्ड दिया। मेरे आंसू नहीं थम रहे थे। उसके पीछे कॉफी,  कुकीज और पानी लिए वेटर था। मुझसे कुछ भी नहीं खाया पिया जा रहा था। बस कुछ देर में मैं नॉर्मल हो गई। शायद 2:30 फंक्शन संपन्न हुआ और हम घर पहुंचे हैं। मेरी 10:30 की फ्लाइट थी। उत्कर्षिनी एयरपोर्ट छोड़ने आई। मैं बहुत खुश थी उससे अलग होने का  दुख था।  पर उसकी भी बेटियां उसका इंतजार कर रही थीं इसलिए अपनी इमोशन पर कंट्रोल रखा। एयरपोर्ट में जाते ही सबसे पहले विनीत चौधरी(गायक एवम् कलाकार) का नोएडा से बधाई का  फोन आया। सबको धन्यवाद देने लगी।आप सब की शुभकामनाएं और आशीर्वाद हमेशा उत्कर्षिनी के साथ रहे। समाप्त

Friday, 12 May 2023

फ़िल्म फेयर अर्वाड(2023) में मेरा जाना नीलम भागी

उत्त्कर्षिनी का अमेरिका से फोन आया बोली,’’माँ, गंगुबाई काठियावाड़ी कई कैटगरी में नामित हुई है। मैं अर्वाड फंग्शन अटैण्ड करने भारत आ रहीं हूँ। मैं 25 को पहुँच रही हूँ। अंकुर ने आपकी मुंबई के लिए 26 की फ्लाईट बुक कर दी है। 27 अप्रैल को अवार्ड फंग्शन है। उसे अटैण्ड करके आप 28 को दिल्ली लौट आना, मैं अमेरिका। क्योंकि दित्या को छोड़ कर आ रही हूँ। आपको ले जाना जरुरी है। दित्या आपके सिवाय यहाँ और किसी के भी पास रुकेगी नहीं, तो आप जा नहीं पाओगी।" 

एक अप्रैल को वह सपरिवार भारत आई थी। 15 अप्रैल को वह लौट गई थी। तब तक इनविटेशन नहीं आया था। मुझे वह अपने साथ ही मुंबई ले गई थी। दोनों बेटियाँ गीता और दित्या मेरे साथ खूब लाड लडा कर गईं थीं। तैयारी मुझे कुछ करनी नहीं थी। चार साड़ियाँ  रख लीं। सलैक्शन उत्त्कर्षिनी ने ही करनी थी। ज्वैलरी मैं पहनती नहीं। सरबजीत के प्रीमियर के समय भी वह मेरी माँ बन गई थी। जैसे कहती, मैं करती रही थी। अब भी यही  सोच कर चल दी। फ्लाइट 20 मिनट डिले थी। मुंबई एयरर्पोट पर उत्त्कर्षिनी और रंजीत मुझे लेने आए। 2012 में उत्त्कर्षिनी ने गाड़ी ली थी, तब से रंजीत साथ में हैं। अब इसकी सहेली नेहा मनपुरिया के साथ है। हम घर पहुँचे, नेहा खाना लगाने लगी। उत्त्कर्षिनी ने मेरे हाथ में फ़िल्म फेयर अर्वाड(2023) का इनविटेशन र्काड रखा और साथ में आए गिफ्ट। 




कार्ड हाथ में पकड़ कर मेरी सोच को बैक गेयर लग गया। सबसे पहली फिल्म इसने गंगुबाई लिखी थी। बाद में खूब लेखन किया जिस पर खूब काम हुआ। पर गंगुबाई पर ही इसका मन अटका रहता था। आखिर दस साल बाद, ये लाज़वाब फिल्म बनी। जिसने बेस्ट डॉयलॉग लेखन के लिए ज़ी सिनेमा अर्वाड, आइफा अर्वाड और बेस्ट स्क्रीन प्ले लेखन पर आइफा और फिल्म फेयर से भी बहुत उम्मीद है। अब दोनों सखियाँ कल क्या करना है इस पर चर्चा करती रहीं। मुझे तो कुछ सोचना ही नहीं था। जो ये करवायेगी, करवा लूंगी। उत्तकर्षिनी तो जैटलॉक में थी। मैं सो गई। वो सुबह सोई। दस बजे नींद खुली। शाम को जल्दी आने का कह कर नेहा ऑफिस चली गई थी। बेटी मुझे लेकर पार्लर गई। जो करते रहे, मैं करवाती रही। मेकअप को छोड़ कर। घर लौटे बेटी ने र्काड पढ़ा, समय देखा, अमेरिका में रहने से उत्त्कर्षिनी समय की बहुत पाबंद हो गई है। महाराष्ट्र पर्यटन  के साथ 68वें हुंडई फिल्मफेयर अवार्ड सेरेमनी, मुंबई के जियो  वर्ल्ड कन्वेंशन सेंटर  में आयोजित थी। उसने कितनी देर में पहुँचेंगे, ट्रैफिक का हिसाब किताब लगा कर, जल्दी से मुझे तैयार करके बिठा दिया। आप फटाफट तैयार होने लगी। रंजीत पता नहीं कितनी बार वहाँ गया है पर दीदी को देर न हो जाए इसलिए गूगल मैप से जा रहा था। खै़र उसने हमें समय से पहुँचा दिया। बाहर खूब भीड़ और सिक्योरिटी। 5 जगह हमारा कार्ड चैक हुआ । कार्ड में लिखा सीट नंबर पर


हमें बिठाया गया। बैठते ही अपने आस पास देश की नामी हस्थियों को देख रही थी। इन्हेें मैंने स्क्रीन पर, अखबारों में, रजत पटल पर ही देखा था। वहाँ वे ही व्यक्तित्व बैठे थे, जिनका नॉमिनेशन किसी न किसी कैटागिरी में था। या जिनके हाथों से विजेताओं को पुरुस्कृत किया जाना था। मैं उत्कर्षिनी के कारण बैठी थी। यहाँ फोटो खींचना, विडियो बनाना मना था। इसलिए मोबाइल पर्स में रख लिया। क्रमश!