समारोह के बाद उत्कर्षनी वशिष्ठ अंतरराष्ट्रीय लेखिका (गंगू बाई कठियावारी) ससुराल चली गई। अगले दिन घर आई। आते ही दोनों अवार्ड अपनी नानी अम्मा के गले में पहना दिए। अम्मा बहुत खुश हुई और बोली, "शुक्र है भगवान का, मैंने जीते जी यह खुशी देख ली। आज इसके नाना होते तो बहुत खुश होते।" दोनों बेटियों गीता और दित्या को छोड़कर आई थी। 4 दिन तो सफर में लगते हैं। एक दिन हमारे पास रुकी। सब वहीं मिलने आ गए। मुंबई में ज़रूरी काम निपटा कर बच्चियों के पास लौट गई। आपकी शुभकामनाओं और आशीर्वाद के लिए हार्दिक आभार। नीलम भागी
2 comments:
Such are the 'returns'of the investments made during one's lifetimes. My personal greetings to the senior lady and 'keep it up' to the younger one. Sorry, nothing worthwhile left with me for you Neelam, my dear. Raj Bahadur Sharma.
हार्दिक आभार सर
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