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Tuesday, 4 June 2024

सर्वभाषा साहित्यकार सम्मान 2023 भुवनेश्वर उड़ीसा यात्रा भाग 26 नीलम भागी

20 दिसंबर को सुबह, हम बसों द्वारा विश्वविद्यालय की ओर  गाते, बतियाते और शहर से परिचय करते हुए पहुंचे। गेट से लेकर हॉल  तक उड़िया साहित्यकारों, कवियों और मनीषियों की तस्वीर जीवन परिचय के साथ लगी हुई थीं। चलते जाएं और पढ़ते जाएं। हमारा पहला सत्र पूजनीय सरसंघचालक श्री मोहन भागवत जी के साथ था। साहित्यकारों ने उनसे प्रश्न पूछे और संतोष जनक जवाब मिले। इस सत्र का संचालन राष्ट्रीय महामंत्री श्री ऋषि कुमार मिश्र जी ने किया।

 भारतीय भाषाएं हमारी भाषाएं, भारत का गौरव है। हमारा देश बहुभाषी देश है। यहाँ की प्रत्येक भाषा की अपनी विशिष्टता है और उसका व्याकरण है। मनुष्य चिंतन, विचार और मनन सामान्यताः अपनी मातृभाषा में ही स्वाभाविक ढंग से कर सकता है, अतः सर्वाधिक महत्व अपनी मातृभाषा का ही है। अखिल भारतीय साहित्य परिषद् सभी भारतीय भाषाओं के साहित्य, साहित्यकार, कवियों, मनीषियों के लिये काम करने वाली संस्था है। ऐसा ही आयोजन है भारतीय भाषाओं के साहित्यकारों के सम्मान का। 17 भाषाओं के चयनित साहित्यकारों का सारस्वत सम्मान 20 दिसंबर को उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर में किया गया।

डॉ. बिदिशा सिन्हा कोलकाता पश्चिम बंगाल    बंगाली

श्री वैष्णवचरण मोहन्ती भुवनेश्वर उड़ीसा       उड़िया

डॉ. नुसरत मेहदी  भोपाल  मध्य प्रदेश        उर्दू

प्रो. भूषण भावे     परवारी     गोवा         कोंकणी

प्रो. श्यामा घोणसे   पुणे       महाराष्ट्र       मराठी

पद्मश्री् प्रो. हरमहेन्द्र सिंह बेदी अमृतसर पंजाब  पंजाबी

श्री आशा मेनन       पालक्काट्   केरल      मलयालम

डॉ. कमला गोकलानी    अजमेर   राजस्थान   सिन्धी

डॉ. महाराज कृष्ण भरत   जम्मू  जम्मू कश्मीर  कश्मीरी

डॉ. शिवबालक दिव्वेदी     कानपुर उत्तर प्रदेश  संस्कृत

डॉ. फणिधर बोरा          गुवाहाटी   असम    असमी

डॉ. हजारीमयूम सुबदनी देवी   पूर्व इम्फाल इम्फाल मणिपुरी

डॉ. एस. शंकरासुब्रमण्यम      मायलापोर  चेन्नई   तमिल

डॉ. श्री प्रेम शेखर            उडुपी    कर्नाटक  कन्नड

प्रो.़ भगरीथ भाई ब्रह्मभट्ट    आणंद    गुजरात   गुजराती

प्रो. कासि रेड्डी          सिकन्दराबाद तेलंगाना   तेलगु

सूर्यकुमार पाण्डेय         लखनऊ उत्तर प्रदेश     हिन्दी

उपरोक्त भारतीय भाषाओं के साहित्यकारों को पूजनीय सरसंघचालक मोहनभागवत जी द्वारा सम्मानित किया गया। इस अवसर पर परिषद् द्वारा प्रकाशित अनेक पुस्तकों का लोकार्पण भी किया गया। पूजनीय सरसंघचालक जी का पाथेय प्राप्त हुआ। इस  समारोह का मंच संचालन श्री पवन पुत्र बादलजी राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री ने किया।

पूरे देश से चयनीत अखिल भारतीय साहित्य परिषद् कार्यकर्ताओं का सहभाग रहा। सभी ने भव्य आयोजन की एक दूसरे को बधाई दी।

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क्रमशः














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