हमेशा घर में गाय पाली थी। तब रोज मक्खन निकलता था और घी बनता था। पर पैकेट वाले दूध से घी बनाने का, मेरा यह तरीका बेहद आसान है। मक्खन गैस पर पिघलाती हूं क्योंकि इसमें से छाछ अच्छी तरह से निकली हुई है। थोड़ा सा उबालने के बाद ठंडा करके फ्रिज में रख देता हूं। जब यह अच्छी तरह से जम जाता है तो बाहर निकाल कर, चक्कू से बर्तन के किनारे से इसको अलग कर लेती हूं और ऊपर से जमे हुए घी का चक्का उठा लेती हूं। मेरा एक पसंदीदा घी बनाने का हैंडल टूटा नोक वाला बघार पेन है। जब बहुत बड़ा संयुक्त परिवार था तब उसमें ऊपर से दाल, रायते में बघार लगाती थी। उसमें मैं ये जमा हुआ घी डाल देती हूं। घी का चक्का उठाने से नीचे जो थोड़ी बहुत छाछ बची होती है, उसे कढ़ी में डाल देता हूं। इस फ्रिज से निकले घी के चक्के में छाछ बेहद कम होती है। कुछ देर गर्म करने पर वह भी नीचे बैठ जाती है। गैस बंद करके उसे ठंडा होने देता हूं फिर जिस भी बर्तन में रखना हो उसमें पलट देती हूं। जो नोक के कारण घी की धार तो बर्तन में चली जाती है। छाछ के कुछ टुकड़े पैन में रह जाते हैं। वैसे मैं मक्खन से घी, कढ़ी बनाते समय बनाती हूं। घी बनाते समय जो बाइ प्रोडक्ट निकलता है, वह कढ़ी में पड़ जाता है और आसपास घी बनने से खुशबू फैलती है। दो बर्तनों में, बहुत कम समय में, बिना छाने और बिना किसी वेस्टेज के खुशबू फैलाता शुद्ध घी तैयार हो जाता है। इस तरह घी बनाने में कोई विशेष आयोजन नहीं करना पड़ता। घर के काम करते हुए तुरंत बन जाता है। न ही छान्ना, न ही पड़ोसियों को बनते घी की दुर्गंध सूंघाना, न ही ख़ूब गैस फूंकना। ऐसा कुछ भी नहीं होता है। ज्यादा पकाते नहीं हैं इसलिए लाजवाब शुद्ध घर का बना दानेदार घी तैयार हो जाता है।
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Friday, 27 September 2024
Thursday, 26 September 2024
मलाई दही, फैट फ़्री दही और खुशबू फैलाता घी बनाना नीलम भागी भाग 1
मैं मलाई में जितना दही जमाना हो, उतना गर्म दूध डालकर, यह ध्यान रखती हूं कि यह मलाई मिला, जमाने वाला दूध गुनगुना गर्म हो। इसमें जामुन (थोड़ा सा दहीं) लगाकर, दही जमाती हूं। घर में जितना दूध आता है, उसे उबालकर ठंडा करके फ्रिज में रख देता हूं। मलाई साइड में करके दूध इस्तेमाल करती रहती हूं। अब जितना दूध मलाई बचता है, उसे गुनगुना करके, दहीं जमाने में इस्तेमाल कर लेती हूं। दूध के ऊपर से मलाई अलग नहीं निकाल कर रखती। जब दहीं जम जाता है तो उसे फ्रिज में रख देती हूं। 6, 7 घंटे के बाद उसके ऊपर से लगभग आधा या बर्तन का मुंह अगर छोटा है तो 1 इंच दही निकाल कर, एक अलग पतीले में रख देती हूं। यह मलाई दही का पतीला फ्रिज में ही रहता है। यह फुल क्रीम दही बहुत स्वाद होता है। दुबले पतले स्वाद लेकर इसे खा सकते हैं। अब नीचे का यह स्किम्ड दही, लो फैट दही, स्लिम और ट्रिम दही इस्तेमाल करती हूं क्योंकि इसमें फैट तो होती नहीं! खाने में, रायता बनाने में, लस्सी बनाने में इसे उपयोग में लाती हूं। जब मेरा वह पतीला, मलाई दही का एक निश्चित मात्रा तक भर जाता है तो उसमें कलुछी घूमाती हूं। हैंड ब्लेंडर भी ले सकते हैं पर बहुत जल्दी मक्खन निकल आता है इसलिए कलछी से घुमाती हूं। आपको जल्दी है तो ब्लेंडर इस्तेमाल कर सकते हैं या मिक्सी ले सकते हैं। चित्र के अनुसार जब इसमें से मक्खन और छाछ कुछ अलग सा दिखने लगे। फिर भी घूमाते जाओ। कुछ देर बाद छाछ और मक्खन बिल्कुल अलग हो जाएगा और घुमाएंगे तो मक्खन बिल्कुल गोल सा बनकर छाछ से अलगहो जाएगा। अब इसमें पानी डाल सकते हैं और मक्खन का जो गोल है, उसे छाछ में घूमा कर अलग निकाल लेंगे। इस मक्खन में थोड़ा-थोड़ा पानी डालकर धोते रहेंगे और पानी छाछ में डालते जाएंगे। जब पानी साफ हो जाए तो समझ लो मक्खन से सारी छाछ निकल गई है। अब इस छाछ की बहुत लाजवाब कढ़ी बनती है। अगर इसे कुछ घंटे बाहर रहने दे तो बहुत खट्टी कढ़ी बनती है। इसमें जरा भी गंध नहीं होती है। मक्खन भी बेहद स्वाद होता है। इस पूरे प्रोसेस में 10 मिनट भी नहीं लगते हैं। इस मक्खन से घी बनाते समय सारा घर महक जाता है। घी बनाने की बहुत आसान विधि अगले भाग में
Sunday, 22 September 2024
नोएडा मीडिया क्लब और निकोन इंडिया द्वारा कैमरा सर्विस और वर्कशॉप का सफल आयोजन हरवीर सिंह
नोएडा :- आज नोएडा मीडिया क्लब और निकोन इंडिया के संयुक्त सहयोग से नोएडा मीडिया क्लब कार्यालय, गंगा शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, सेक्टर-29 में एक विशेष कैमरा सर्विस और वर्कशॉप का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में दिल्ली-एनसीआर के 80 से अधिक फोटो जर्नलिस्टों ने हिस्सा लिया। निकोन इंडिया की तरफ से आयोजित इस वर्कशॉप का उद्देश्य फोटोग्राफरों को नई कैमरा तकनीकों से अवगत कराना और उनके उपकरणों की सर्विस करना था।
कार्यक्रम के दौरान विशेषज्ञों ने नई कैमरा तकनीकों, लो-लाइट और डे-लाइट में फोटोग्राफी की बारीकियों पर विशेष ध्यान दिया। फोटो जर्नलिस्टों को विभिन्न परिस्थितियों में कैमरे का उपयोग करने के तरीके और नए फीचर्स के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। साथ ही उपस्थित फोटो जर्नलिस्टों के कैमरों की सर्विस की गई और छोटी-मोटी तकनीकी समस्याओं का समाधान भी किया गया।
*फोटोग्राफी की तकनीकों में हो रहे तेजी से बदलाव :-*
फोटोग्राफी और कैमरा तकनीकों में तेजी से बदलाव हो रहा है, और इसी को ध्यान में रखते हुए इस प्रकार की वर्कशॉप का आयोजन समय की आवश्यकता है।
इस अवसर पर राष्ट्रीय सहारा के वरिष्ठ फोटो जर्नलिस्ट मनोहर त्यागी ने कहा, "नोएडा मीडिया क्लब और निकोन इंडिया की यह पहल सराहनीय है। ऐसी वर्कशॉप्स से फोटोग्राफरों को नई तकनीकों को समझने और अपडेट रहने में मदद मिलती है। यह आयोजन विशेष रूप से उन फोटोग्राफरों के लिए उपयोगी है, जो दिन-प्रतिदिन की बदलती तकनीक के साथ खुद को विकसित करना चाहते हैं।"
*सौरव राय ने कहा :-*
नोएडा मीडिया क्लब के उपाध्यक्ष सौरव राय ने कहा कि ऐसी कार्यशालाओं का आयोजन नियमित रूप से होना चाहिए ताकि फोटोग्राफर्स को अपनी फोटोग्राफी स्किल्स को निखारने का मौका मिले और वे आधुनिक तकनीकों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल सकें।
*पंकज पाराशर ने कहा :-*
नोएडा मीडिया क्लब के अध्यक्ष पंकज पाराशर ने इस आयोजन की सफलता पर निकोन इंडिया का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, "यह वर्कशॉप फोटो जर्नलिस्टों के लिए एक महत्वपूर्ण मंच साबित हुई है, जहां उन्हें नई तकनीकों से रूबरू होने का मौका मिला। इस प्रकार की कार्यशालाएँ न केवल फोटोग्राफरों की तकनीकी दक्षता को बढ़ाती हैं, बल्कि उन्हें अपने कार्य में बेहतर परिणाम देने के लिए भी प्रेरित करती हैं। भविष्य में भी ऐसी वर्कशॉप्स का आयोजन जारी रहेगा।"
*निकोन इंडिया स्टॉफ*
राम नीरज त्यागी: वरिष्ठ कार्यकारी-तकनीकी सहायता
सुमित रोहिल्ला: सर्विस इंजीनियरिंग।
आश मोहम्मद: सर्विस इंजीनियरिंग।
*मुख्य रूप उपस्थित रहे*
वरिष्ठ फोटो पत्रकार सुशील कुमार, शेखर घोष, वीरेंद्र सिंह गोसाईं, प्रेम सिंह यूएनआई, प्रदीप गौड़, श्रीकांत सिंह एएनआई,
देवदत्त शर्मा,अंजना भागी,नीलम भागी,ए.के लाल संगीता चौधरी, अमित शुक्ला, हिमांशु सिंह, मनोहर त्यागी,सुनील घोष, प्रमोद शर्मा, रमेश शर्मा,रवि यादव,के आशिफ,ईश्वर चन्द, सौरभ राय,रिंकू यादव, हरवीर चौहान, आदि मौजूद रहे।
Wednesday, 18 September 2024
94 वर्षीय चौहान साहब और जामुन का पेड़ नीलम भागी
हमारे ब्लॉक में प्रवेश करते ही एक जामुन का पेड़ है। उसके नीचे गार्ड बैठे रहते हैं। इस जामुन के पेड़ पर बहुत लाजवाब जामुन लगते हैं। इसकी कभी किसी ने सेवा नहीं की, न ही पानी दिया है। लेकिन यह पूरे साल ठंडी छांव देता है और मौसम पर मीठी-मीठी जमुनों से भर जाता है। मैं जब भी उस पेड़ के नीचे से गुजराती हूं, गार्ड भैया उसके नीचे बैठते हैं और मुझे उसे घर के पुराने मा लिक मिसेज शर्मा की याद आती है। वह इस कहानी को कई बार मुझे सुना चुकी थीं। एक बार मिस्टर शर्मा बहुत बढ़िया जामुन लाए। उन्हें वह घर शिफ्ट करना था। पर उन्होंने एक जामुन की गुठली गमले में लगा ली। जब नोएडा में अपना यह घर बनाया तो सबसे पहले आकर इस पेड़ को लगा दिया। घर बनता रहा और वो पेड़ सेवा की करते रहे। अब जो परिवार उस घर में रह रहा है। उसे भी साधुवाद उन्होंने बहुत खूबसूरत मकान बनाया है पर पेड़ को नहीं काटा है। मैंने देखा है कि ज्यादातर लोग खूबसूरत मकान बनाकर, उसके आगे के पेड़ को काट देते हैं। उनकी गवार सोच होती है कि पेड़ घर का लुक ढक रहा है। लेकिन यह जामुन का पेड़ कायम है और उसके पास इस परिवार ने कंटेनर गार्डेनिंग भी की है। इसके नीचे हमारे ब्लॉक के चौहान साहब जितनी देर घर में आराम करते हैं, घर में उतना ही रहते हैं। वरना पेड़ के नीचे अच्छी तरह से ड्रेसअप होकर, अपनी पानी की बोतल के साथ बैठे रहते हैं। उन बुजुर्गों की तरह नहीं की कुछ भी पहन लिया। आते जाते अपने से छोटों को आशीर्वाद देते हैं। जो नहीं दिखता उससे पूछते हैं," तबीयत ठीक थी! दिखाई नहीं दिए।" फल आदि भी खरीद लेते हैं। मैंने पढ़ा था कि जो लोग पेड़ के नीचे प्राकृतिक परिवेश में रहते हैं, उनकी उम्र लंबी होती है और स्वास्थ्य अच्छा रहता है। मेरी 95 वर्षीय अम्मा भी आंगन में पेड़ों की छांव में ही अखबार पढ़ती रहती हैं। बंदरों के डर से ही कभी अंदर बैठती हैं।
ईश्वर चौहान साहब को अच्छे स्वास्थ्य के साथ लंबी उम्र दे।
Tuesday, 10 September 2024
लाजवाब भंडारा न कचरा, न जूठन ! नीलम भागी
प्रभा प्रवीण जयरथ परिवार ने लक्ष्मी नारायण मंदिर, ए -2 सेक्टर 26 नोएडा में भंडारे का आयोजन किया। सभी परिचितों को भी आमंत्रण था। मंदिर के विशाल भवन में साप्ताहिक मंगलवार हनुमान चालीसा पाठ में सबने भाग लिया, उसके पश्चात भंडारा वितरण हुआ। ऐसा मैंने पहली बार देखा पर बहुत अच्छा लगा तो आपके साथ शेयर कर रहीं हूं। मंदिर के प्रांगण में सभी लाइन में लगे, भोजथाल में प्रसाद ले रहे थे। सीनियर सिटीजन के लिए अलग बैठने की व्यवस्था, चाहें तो आमंत्रित मित्र परिवार के लोग भी अलग बैठने की व्यवस्था में प्रसाद ले सकते थे। मैंने अपना प्रसाद लेकर, बाहर बैठने की बेंच पर बैठकर, भीड़ के साथ प्रसाद खाया। वहां देखकर अच्छा लगा कि कोई भी मुझे झूठा छोड़ता नजर नहीं आया है। कुछ लोगों के पास पॉलिथीन की थैलियां थी, जिसमें वह बार-बार लाकर पुड़िया भर रहे थे। घर ले जाकर अगर उसे इस्तेमाल करें तो यह भी अच्छा है, बस खाना बर्बाद नहीं होना चाहिए। जब मैं अपनी थाली रखने गई, तो हैरान रह गई। एक महिला वहां खड़ी थी और एक ही डस्टबिन था। इतनी भीड़ में भी वह मैं अभी आधा भरा हुआ, वह भी सिर्फ पेपर ग्लास! सभी सभ्य लोग थे इसलिए जूठन थी ही नहीं। अगर रहती तो महिला डस्टबिन में डालने को कहती। और एक महिला थाल साफ करके रखती जा रही थी। अब तक मुझे लगता था कि भंडारे में लगभग 30% खाना बर्बाद होता है और भंडारे के बाद कूड़े का देर लगता है। यह देखकर मेरी सोच बदलने लगी। इसके लिए मंदिर समिति को साधुवाद।
Friday, 6 September 2024
भारतीय नारी गौरव गरिमा और महिमा महिला सम्मेलन बड़ताल गुजरात
भारतीय नारी गौरव गरिमा और महिमा
महिला सम्मेलन बड़ताल गुजरात
19 प्रांत
195 प्रतिनिधि
विशेष - 50 से अधिक ट्रेनों के निरस्त होने के कारण कई प्रदेशों से बहिनों की उपस्थिति नहीं हो पाई
भव्य और गरिमायुक्त आयोजन
गुजरात की पूरी टीम का अभिनंदन
डॉ. पवन पुत्र बादल