मेरी सहेली सुषमा नेब का फोन आया कि बहू को सरगी दे आई। मैंने जवाब दिया," उनके यहां सरगी खाने का रिवाज नहीं है।" वह बड़ी हैरानी से कहने लगी कि तुम देती तो वह खाती। मैंने कहा," इसमें बेटे जुड़ा है तो मैं किसी भी रिवाज को बदलने की हिम्मत नहीं करती, वह खुद चाहे बदल ले तो रोकूंगी नहीं बल्कि मुझे अच्छा लगेगा। नौकरी वाली लड़की है पर मैं हिम्मत नहीं कर पा रही हूं। बेटी उत्कर्षनी पंजाबी परिवार में है। उसे सरगी देती हूं पर वह भी नहीं खाती।" उसका जवाब था," तो वह भी मेड वाला करवा चौथ रखती है। जैसे वो लोग रात को 12:00 के बाद से कुछ नहीं खाती पीती। अगले दिन चांद देखकर ही खाती पीती है।" मैंने उसे समझाया कि मेरी बहन डॉ. शोभा भी इसी तरह का करवा चौथ रखती है। उसका जवाब,"यानि वह भी मेड वाला करवा चौथ रखती है।" मैंने कहा,"सनाढ्य ब्राह्मण और कुछ उत्तर भारत के राज्यों में इसी तरह रखा जाता है।" पंजाब में करवा चौथ पर मायके और ससुराल दोनों जगह से सरगी मिलती है। जिससे बहू अपनी पसंद के खाने पीने के समान लाती हैं। तड़के उठकर नहा कर एक थाली में गौरजा के लिए निकलती है। जिसमें जो भी उन्होंने खाना होता है, वह सब रखती हैं और श्रृंगार का सामान। इसे किसी भी महिला को दे देती है और फिर खाती हैं, पीती हैं। चाय की तलब न लगे इसलिए सरगी के बाद चाय भी पी लेती हैं। फिर सो जाती हैं और व्रत शुरू हो गया। पहले करवा चौथ पर सास अगर शाम को 4:00 बजे के करीब बायाना निकालने के बाद, सास जो दूध, चाय, कॉफी, जूस पिला दे तो यह हमेशा का रिवाज बन जाता है। बहू से कोई काम नहीं करवाया जाता है क्योंकि वह व्रती है। रात को चंद्रमा देखकर अर्घ्य देकर व्रत का पारण होता है। अगर पहली करवा चौथ है तो वह मायके में होता है। अब कुछ बदल रहा है। फिल्मों और सीरियल में पंजाबी करवा चौथ दिखाने से अब यह लगभग पूरे भारत में रखा जाने लगा है।
कुछ राज्यों में सरगी खाने का तो कोई मतलब ही नहीं। रात 12:00 बजे तक जो खाना पीना है, खा लो। और कई तरह के पकवान बनाने का रिवाज है, व्रत में कैसे टाइम कटेगा इसलिए व्रती ही यह सब बनाती हैं। पहले करवा चौथ में बहू के मायके से ही बायना आएगा, जो सास को दिया जाता है। बहुत कम परिवारों में जीजी उस समय इस बात को लेकर क्लेश करती है। मसलन मम्मी के लिए साड़ी ढंग की नहीं आई है। बहू की भूख प्यास तो यह सीन देखकर गायब हो जाती है। मम्मी, बेटे की पहली करवा चौथ पर आंसू टपकाते हुए, जीजी को चुप कराती है और साथ में बोलती जाती है," सूरत देख देख कर बेटा इतना बड़ा किया है पर मैं तो मां हूं न, जो लाए हैं, पहनूंगी ही।" फिर माहौल शांत होता है। तब तक चांद निकल आता है।
शोभा की मेड ने पिछली करवा चौथ पर कहा," आंटी आपकी उम्र हो गई है। शाम को चाय पानी क्यों नहीं लेती! आप डायबिटिक हो। आपके साथ शुरू नहीं करवाया था तो क्या हुआ!" वह नींबू पानी में नमक चीनी मिलाकर लाई। और शोभा से बोले," आंटी पति भी तो सास का बेटा है न, डॉक्टर साहब आपका शुरू करवा देते हैं, आप पी लो।"आंटी हम तो घर-घर काम करती हैं। मैडम लोग व्रती होती हैं, छुट्टी तो कर नहीं सकते इसलिए जरूरत होती है तो चाय पानी पी लेती हूं।जीजाजी डॉक्टर हैं। उन्होंने कहा," मैं इतनी बार समझा चुका हूं कि खा पी लिया कर, मानती नहीं है।" अब उस मेड ने शोभा का करवा चौथ का स्टाइल बदल दिया है। डॉ शोभा ने चुपचाप पी लिया।
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हार्दिक धन्यवाद
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