राष्ट्र की संस्कृति को लेकर आयोजित लोकमंथन 20 24 भाग्य नगर में शामिल होने के लिए जब मैं एयरपोर्ट पहुंची तो वहां पर विदेश से आए ग्रुप भी मेरी फ्लाइट में थे। बेल्ट से सामान उठते समय भी कोई हाय हेलो नहीं थी। कार्तिक ने पिकअप के लिए हमें एक जगह बिठाया तो परिचय हो गया। होटल के लिए एक ही बस में बैठे बस हाइटेक सिटी हैदराबाद की ओर चल दी। मेरे आगे आयोवा और साइड में ईवा बैठी थीं। ये आर्मेनिया और लिथुआनिया से थीं। बस चलते ही अपनी भाषा में बहुत सुंदर गाने लगी। पहले तो मैं इनकी भाषा ना जानते हुए भी, इनकी खुशी में गाए हुए गीत के भाव को समझते हुए, आनंद उठाती रही फिर मैं उठकर वीडियो बनाने लगी , ईवा तो हंस कर चुप हो गई। शाम को ठंड हो गई थी। मैंने आयोवा से कहा, खिड़की बंद कर लो। उसने जवाब दिया मैं भारत में आई हूं। मैं यहां की आवाज को, हवा को और जो यहां कि महक आ रही है, खिड़की खोलने से सबको महसूस करते हुए आनंद उठा रही हूं। यह सुनकर मैं उस भाव को लिख नहीं सकती जो मैंने महसूस किया।