यहां सबसे अच्छी बात यह है कि रीति रिवाज सब करते हैं लेकिन अगर जरुरत हो तो उसमें दूसरे की सुविधा देखकर बदलाव भी कर लेते हैं। रिश्ता होते ही लड़के का पिता, लड़की के पिता से कहेगा,’’हमें आप समधी नहीं, संबंधी समझो। रिंग सैरामनी को चुन्नी चढ़ाना कहते हैं। कई बार तो चुन्नी चढ़ाने आयेंगे साथ ही हंसी खुशी फेरे करवा कर लड़की ले जाते हैं और अपने घर प्रीतिभोज(रिसेप्शन) कर लेते हैं। कभी दूसरे शहर से बारात आती है। तो जनवासे में स्वागत सत्कार के बाद, वहीं सगाई दे देते हैं फिर वे लोग चुन्नी चढ़ाने आते हैं। लड़की का अपनी परंपरा अनुसार श्रृंगार करते हैं, साड़ी वगैरहा पहनाते हैं। वह इतनी सुंदर लगती है कि लगता है ये तो जयमाला के लिए ही तो तैयार है। उनके जाने के बाद, लड़की फिर ब्राइडल मेकअप के लिए पार्लर जाती है। जब वहां से आती है तो पहले से अलग लगती है। रात को बारात बारातियों के नाचने के कारण जितनी मर्जी लेट आए पर शादी की रस्में सब होंती हैं। मुहूर्त पर ही सप्तपदी होगी। शादी लोकल है तो तारों की छावं में विदाई होती है। यानि एक दिन में सब कुछ और नववद्यु के स्वागत में अगले दिन रिसेप्शन किया जाता है। ये सब पहले आपस में बैठ कर, हंसी ठहाकों के बीच में तय किया जाता है। रस्में कोई कम नहीं होतीं कम से कम दो दिन का शादी जश्न तो रहता ही है। तीन चीजें यहां मैंने पहली बार देखीं थी लड़कियां बारात को अंदर नहीं आने देतीं। दूल्हे से तय बाजी करती हैं, जब नेग मिल जाता हैं तब रिबन कटवा कर उन्हें अंदर आने देती हैं। और तब जयमाला होती है| दूसरा गोलगप्पे(पानी पूरी) तैयार कर, पानी से भरे हुए वेटर आपको प्लेट में लगा कर सीट पर देकर जायेगा। तीसरा आइसक्रीम हाफ प्लेट में पहाड़ जितनी आपके पास आयेगी। वैसे बूुफे लगा होता है आप जाकर अपनी सुविधानुसार ले सकते हैं वरना वह आगमन से उपस्थिति तक, आप जहां बैठे हैं, वहां देने आता ही रहेगा। और ड्राइफ्रूट की सब्ज़ी में किशमिश की मात्रा इतनी होती है कि सब्जी में हल्की सी मिठास, उसके स्वाद को कई गुणा बढ़ा देती है।यहां मेहमान खाना खाकर घर नहीं दौड़ते, ज्यादातर शादी एंजॉय करते हैं। सप्तपदी में भी प्रत्येक भंवर पर चावल से भरा बर्तन, रिश्तेदार वर को देते हैं। सबका ऐसे समारोहमें आपस में मिलना होता है। वे आपस मे बतियाने में इतने मशगूल रहते हैं कि कन्यादान, विवाह संपन्न होने पर उन्हें पता चलता है। फिर वे चाैंक कर सबको बधाई देते हैं। लावां फेरों केे बाद लड़की ससुराल का सूट पहनती है। उसी में उसकी बिदाई होती है। विवाह स्थल से आकर रात भर के सब जगे होते हैं। मेहमानों की विदाई शुरु होती है। मैं एक दिन बाद लौटती हूं। दोपहर को सब सो लेते हैं। बेटी की बिदाई के बाद घर में एक दिन पहले जैसी रौनक नहीं रहती है। अगले दिन बिटिया ने फेरा डालने आना है। शाम को उसकी तैयारी भी हो जाती है। गुड्डी दीदी महाराज को खाना बनाने को कह कर, हम सब गोल्डन टैंपल जाते हैं। रास्ते में हमेशा एक ही बात मेरे ज़हन में आती है कि ये अम्बरसर का पानी है जो यहां मैंने कभी किसी रिश्तेदार को खुशी के मौके पर नाक मुंह फुलाए नहीं देखा। क्रमशः ं
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Sunday, 28 June 2020
हम अब समधी नहीं, संबंधी हैं!! अमृतसर यात्रा भाग 11 नीलम भागी Neelam Bhagi Amritsar yatra 11
यहां सबसे अच्छी बात यह है कि रीति रिवाज सब करते हैं लेकिन अगर जरुरत हो तो उसमें दूसरे की सुविधा देखकर बदलाव भी कर लेते हैं। रिश्ता होते ही लड़के का पिता, लड़की के पिता से कहेगा,’’हमें आप समधी नहीं, संबंधी समझो। रिंग सैरामनी को चुन्नी चढ़ाना कहते हैं। कई बार तो चुन्नी चढ़ाने आयेंगे साथ ही हंसी खुशी फेरे करवा कर लड़की ले जाते हैं और अपने घर प्रीतिभोज(रिसेप्शन) कर लेते हैं। कभी दूसरे शहर से बारात आती है। तो जनवासे में स्वागत सत्कार के बाद, वहीं सगाई दे देते हैं फिर वे लोग चुन्नी चढ़ाने आते हैं। लड़की का अपनी परंपरा अनुसार श्रृंगार करते हैं, साड़ी वगैरहा पहनाते हैं। वह इतनी सुंदर लगती है कि लगता है ये तो जयमाला के लिए ही तो तैयार है। उनके जाने के बाद, लड़की फिर ब्राइडल मेकअप के लिए पार्लर जाती है। जब वहां से आती है तो पहले से अलग लगती है। रात को बारात बारातियों के नाचने के कारण जितनी मर्जी लेट आए पर शादी की रस्में सब होंती हैं। मुहूर्त पर ही सप्तपदी होगी। शादी लोकल है तो तारों की छावं में विदाई होती है। यानि एक दिन में सब कुछ और नववद्यु के स्वागत में अगले दिन रिसेप्शन किया जाता है। ये सब पहले आपस में बैठ कर, हंसी ठहाकों के बीच में तय किया जाता है। रस्में कोई कम नहीं होतीं कम से कम दो दिन का शादी जश्न तो रहता ही है। तीन चीजें यहां मैंने पहली बार देखीं थी लड़कियां बारात को अंदर नहीं आने देतीं। दूल्हे से तय बाजी करती हैं, जब नेग मिल जाता हैं तब रिबन कटवा कर उन्हें अंदर आने देती हैं। और तब जयमाला होती है| दूसरा गोलगप्पे(पानी पूरी) तैयार कर, पानी से भरे हुए वेटर आपको प्लेट में लगा कर सीट पर देकर जायेगा। तीसरा आइसक्रीम हाफ प्लेट में पहाड़ जितनी आपके पास आयेगी। वैसे बूुफे लगा होता है आप जाकर अपनी सुविधानुसार ले सकते हैं वरना वह आगमन से उपस्थिति तक, आप जहां बैठे हैं, वहां देने आता ही रहेगा। और ड्राइफ्रूट की सब्ज़ी में किशमिश की मात्रा इतनी होती है कि सब्जी में हल्की सी मिठास, उसके स्वाद को कई गुणा बढ़ा देती है।यहां मेहमान खाना खाकर घर नहीं दौड़ते, ज्यादातर शादी एंजॉय करते हैं। सप्तपदी में भी प्रत्येक भंवर पर चावल से भरा बर्तन, रिश्तेदार वर को देते हैं। सबका ऐसे समारोहमें आपस में मिलना होता है। वे आपस मे बतियाने में इतने मशगूल रहते हैं कि कन्यादान, विवाह संपन्न होने पर उन्हें पता चलता है। फिर वे चाैंक कर सबको बधाई देते हैं। लावां फेरों केे बाद लड़की ससुराल का सूट पहनती है। उसी में उसकी बिदाई होती है। विवाह स्थल से आकर रात भर के सब जगे होते हैं। मेहमानों की विदाई शुरु होती है। मैं एक दिन बाद लौटती हूं। दोपहर को सब सो लेते हैं। बेटी की बिदाई के बाद घर में एक दिन पहले जैसी रौनक नहीं रहती है। अगले दिन बिटिया ने फेरा डालने आना है। शाम को उसकी तैयारी भी हो जाती है। गुड्डी दीदी महाराज को खाना बनाने को कह कर, हम सब गोल्डन टैंपल जाते हैं। रास्ते में हमेशा एक ही बात मेरे ज़हन में आती है कि ये अम्बरसर का पानी है जो यहां मैंने कभी किसी रिश्तेदार को खुशी के मौके पर नाक मुंह फुलाए नहीं देखा। क्रमशः ं
Friday, 4 October 2019
बिना अफेयर के मैरिज!! विदेश को जानो, भारत को समझो घरोंदा Videsh Ko Jano, Bharat Ko Samjho GHARONDA Part 9 नीलम भागी
उत्कर्षिनी कात्या मूले
के बारे में बताये जा रही थी कि ये दुबई में इवेंट मैनेज करती है। हमारे कॉलिज से
हम कुछ स्टूडैंंट इसके पास ट्रेनिंग के लिये भेजे गये थे। आपकी नसीहत है कि कभी काम
में वक्त कटी नहीं करो, दूसरे का काम, अपना काम समझ कर करो। मैंने वैसा ही किया। जाते समय इसने
मुझे कहा कि पढ़ाई खत्म होने पर मैं उससे मिलूं। मेरा कैंपस सलैक्शन हो गया था।
मुझे कमरे की तलाश थी। मैं इसके पास आई इसने कहाकि अपने बैग उठा लाओ। ये भी किराये
के विला में रहती है। इसने मुझे यह रहने की जगह दे दी। दस परसेंट साल का बढ़ाती है।
इसी में ही इसका ऑफिस है। टाइम से अपने ऑफिस में बैठेगी। लंच के समय निकलेगी या
मीटिंग के लिये जाती है। यानि ऑफिस कम रेजिडेंस. कात्या मूले के बारे में जान कर
मुझे बहुत अच्छा लगा और मैं समझ गई कि ये व्यस्त महिला है। जब ये अपनी सुविधानुसार
बुलायेगी, तभी जाना है। इतने में
उसने नीलम नीलम के नारे लगाये| बेटी बोली,”जाओ बुलावा आ गया है| अब वो कुत्ता लेकर मुझसे बोली,’ चलो घूमने ।“ मैं चल दी। आज
कुत्ता जल्दी फारिग हो गया। हम जल्दी लौट आये। उसने मुझे कहा कि मैं वहीं पर उसके
बार बी क्यू के आस पास ही घूमती रहूं ,जब तक एक घण्टा नहीं हो जाता। वो सिगरेट सुलगा कर बैठ गई। मैं मन में इंतजार
ही करती रही कि उस दिन की बात कन्टीन्यू हो। पर उसने मुझसे पूछा,” नीलम तुम्हारे कितने अफेयर हुए हैं?“ मैंने कहा,” कोई नहीं।“ उसने कहा कि तुम्हारी तो शादी हुई है न। मैंने
कहा,”हाँ, तो!”उसने हैरान होकर पूछा,”बिना अफेयर के मैरिज!!” मैंने समझाया कि हमारे यहाँ लड़की ने क्या पढ़ना
है? कहाँ पढ़ना है? किससे शादी करनी है, ये परिवार देखता है। वो बोली,” फिर प्यार! मैंने
कहा,” जिससे शादी होती है उससे करते हैं न। कहते हैं
उसके साथ सात जन्मों का बंधन होता है। फिर एक दूसरे को समझते समझते प्यार हो जाता
है।“ वो बोली,” अगर पति अच्छा
नही होता तो !” तो क्या! अपनी किस्मत समझ
कर इस उम्मीद में समय निकालते हैं कि सबकुछ ठीक हो जायेगा। ऐसे ही समय निकल जाता
है। हाँ लड़की यदि आत्मनिर्भर है। तो वह कभी कभी विरोध कर लेती है। फिर उसे परिवार
मिल कर समझाता है ताकि घर टूटे न। मैंने भी यही किया मेरी बेटी क्या पढेगी?
ये निश्चित मैंने किया| बेटी की रूचि नहीं
देखी। बारहवीं तक उसे मैथ और बायोलॉजी दोनों सब्जेक्ट लेकर दिए| ये सोच कर कि मेडिकल में आ गई तो डॉक्टर बन
जायेगी| इंजीनियरिंग के एंट्रेंस में आ गई तो इंजिनियर बन जायेगी| मैं इन प्रतियोगिता परीक्षाओं के आसपास से
गुजरीं होती तो मुझे पता होता कि दो जगह तैयारी करना कितना मुश्किल था| बेटी है न, आज्ञा दे दी| वो मेहनत करने लगी| उसने मेरी इच्छा के अनुसार इंजीनियरिंग की, एमबीए किया। आज लगता है मैं गलत थी। मुझसे अलग होते ही यह
मन का काम कर रही है। अब देखना ये इससे संबंधित पढ़ाई साथ साथ करेगी क्योंकि बचपन
से मैंने इसे पढ़ने की आदत जो दी है। अब मैं र्सिफ दर्शक का काम करूंगी। मुझसे मदद या
सलाह मांगेगी तो दूंगी। इस पर अपनी इच्छा नहीं थोपूंगी। ये सब सुनकर वह बहुत हैरान हुई। अब वो मायूस होकर बोली कि
तुम्हारे तो अफेयर ही नहीं हुए तो ब्रेकअप कहाँ से होंगे? मैंने कहा कि संस्कारों से बंधे होने से हम इस जद्दोजहद से
भी बचे रहते है। अब समय को सिनेमा बदल रहा है। जैसे ब्रेकअप के बाद सैलिब्रेशन
होने लगा हैं।
मेकअप कर लिया, सैंया जी के साथ
मैंने ब्रेकअप कर लिया.....। हमारी समय
सीमा समाप्त हुई। हम अपने अपने घर चल दिये। क्रमशः
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