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Friday, 4 October 2019

बिना अफेयर के मैरिज!! विदेश को जानो, भारत को समझो घरोंदा Videsh Ko Jano, Bharat Ko Samjho GHARONDA Part 9 नीलम भागी


उत्कर्षिनी  कात्या मूले के बारे में बताये जा रही थी कि ये दुबई में इवेंट मैनेज करती है। हमारे कॉलिज से हम कुछ स्टूडैंंट इसके पास ट्रेनिंग के लिये भेजे गये थे। आपकी नसीहत है कि कभी काम में वक्त कटी नहीं करो,  दूसरे का काम, अपना काम समझ कर करो। मैंने वैसा ही किया। जाते समय इसने मुझे कहा कि पढ़ाई खत्म होने पर मैं उससे मिलूं। मेरा कैंपस सलैक्शन हो गया था। मुझे कमरे की तलाश थी। मैं इसके पास आई इसने कहाकि अपने बैग उठा लाओ। ये भी किराये के विला में रहती है। इसने मुझे यह रहने की जगह दे दी। दस परसेंट साल का बढ़ाती है। इसी में ही इसका ऑफिस है। टाइम से अपने ऑफिस में बैठेगी। लंच के समय निकलेगी या मीटिंग के लिये जाती है। यानि ऑफिस कम रेजिडेंस. कात्या मूले के बारे में जान कर मुझे बहुत अच्छा लगा और मैं समझ गई कि ये व्यस्त महिला है। जब ये अपनी सुविधानुसार बुलायेगी, तभी जाना है। इतने में उसने नीलम नीलम के नारे लगाये| बेटी बोली,”जाओ बुलावा आ गया है| अब वो कुत्ता लेकर मुझसे बोली,’ चलो घूमने ।मैं चल दी। आज कुत्ता जल्दी फारिग हो गया। हम जल्दी लौट आये। उसने मुझे कहा कि मैं वहीं पर उसके बार बी क्यू के आस पास ही घूमती रहूं ,जब तक एक घण्टा नहीं हो जाता। वो सिगरेट सुलगा कर बैठ गई। मैं मन में इंतजार ही करती रही कि उस दिन की बात कन्टीन्यू हो। पर उसने मुझसे पूछा,” नीलम तुम्हारे कितने अफेयर हुए हैं?मैंने कहा,” कोई नहीं।उसने कहा कि तुम्हारी तो शादी हुई है न। मैंने कहा,”हाँ, तो!उसने हैरान होकर पूछा,”बिना अफेयर के मैरिज!!मैंने समझाया कि हमारे यहाँ लड़की ने क्या पढ़ना है? कहाँ पढ़ना है? किससे शादी करनी है, ये परिवार देखता है। वो बोली,” फिर प्यार! मैंने कहा,” जिससे शादी होती है उससे करते हैं न। कहते हैं उसके साथ सात जन्मों का बंधन होता है। फिर एक दूसरे को समझते समझते प्यार हो जाता है। वो बोली,” अगर पति अच्छा नही होता तो !तो क्या! अपनी किस्मत समझ कर इस उम्मीद में समय निकालते हैं कि सबकुछ ठीक हो जायेगा। ऐसे ही समय निकल जाता है। हाँ लड़की यदि आत्मनिर्भर है। तो वह कभी कभी विरोध कर लेती है। फिर उसे परिवार मिल कर समझाता है ताकि घर टूटे न। मैंने भी यही किया मेरी बेटी क्या पढेगी? ये निश्चित मैंने किया| बेटी की रूचि नहीं देखी। बारहवीं तक उसे मैथ और बायोलॉजी दोनों सब्जेक्ट लेकर दिए| ये सोच कर कि मेडिकल में आ गई तो डॉक्टर बन जायेगी| इंजीनियरिंग के एंट्रेंस में आ गई तो इंजिनियर बन जायेगी| मैं इन प्रतियोगिता परीक्षाओं के आसपास से गुजरीं होती तो मुझे पता होता कि दो जगह तैयारी करना कितना मुश्किल था| बेटी है न, आज्ञा दे दी|  वो मेहनत करने लगी| उसने मेरी इच्छा के अनुसार इंजीनियरिंग की, एमबीए किया। आज लगता है मैं गलत थी। मुझसे अलग होते ही यह मन का काम कर रही है। अब देखना ये इससे संबंधित पढ़ाई साथ साथ करेगी क्योंकि बचपन से मैंने इसे पढ़ने की आदत जो दी है। अब मैं र्सिफ दर्शक का काम करूंगी। मुझसे मदद या सलाह मांगेगी तो दूंगी। इस पर अपनी इच्छा नहीं थोपूंगी। ये सब सुनकर वह बहुत हैरान हुई। अब वो मायूस होकर बोली कि तुम्हारे तो अफेयर ही नहीं हुए तो ब्रेकअप कहाँ से होंगे? मैंने कहा कि संस्कारों से बंधे होने से हम इस जद्दोजहद से भी बचे रहते है। अब समय को सिनेमा बदल रहा है। जैसे ब्रेकअप के बाद सैलिब्रेशन होने लगा हैं। 
मेकअप कर लिया, सैंया जी के साथ मैंने ब्रेकअप कर लिया.....।  हमारी समय सीमा समाप्त हुई। हम अपने अपने घर चल दिये। क्रमशः