मैंने आटे की खाली थैली ली। उसमें फल सब्जियों, अण्डे के छिलके, धुली चाय की पत्ती आदि डालती रही और पेड़ की सूखी पत्तियाँ भी। जब यह आधी से ज्यादा भर गई, तो इसको अच्छी तरह दबाया। अब मिट्टी में 20%वर्मी कम्पोस्ट मिला कर और थोड़ी सी नीम की खली मिला कर 6 इंच भर दिया। समतल करके 6 करेले के बीज आधा इंच गहरे बो कर पानी डाला और बोरी के नीचे छेद कर दिया ताकि जब भी फालतू पानी हो, वह बह जाये। बोरी को ऐसी जगह रक्खा जहाँ कम से कम तीन चार घण्टे धूप आती है। 6 में से 5 बीजों से पौधे निकल आये। अब मैंने कचरे से दो इसी प्रकार थैलियाँ और तैयार कर लीं। जब पाँचों पौधे 15 दिन के हो गये तो मैंने उन्हें अलग बड़ी थैली में दो दो और छोटी थैली में एक पौधे को लगा दिया। जब इसे सहारे की जरूरत हुई, मैंने प्लास्टिक डोरी बांधी वे नहीं लिपटीं। जैसे ही सूती डोरी सें बांधा वे लिपट गईं। अब उनमें फूल और छोटे छोटे करेले आ गये हैं और मैं आपके साथ शेयर कर रहीं हूँ।
वजन कम होने से छत पर रख दिया|
मुझें ये मुफ्त के करेले कड़वे नहीं लगते| एक दो करेले मिलते रहते हैं| जब मैं दाल सब्जी छोंकने लगती हूँ तो करेला तोड़ कर, धो पोंछ कर बिना छीले, इसके पेट में चीरा लगा कर छोंक में डाल देती हूँ| मसाले के साथ यह भी भुन जाता हैं| जहां चीरा लगाया था वहीं करेले का पेट खोल कर, स्वादनुसार चाट मसाला डाल देती हूँ| दाल के साथ लाजवाब लगता है|
किसी भी कंटेनर या गमले में किचन वेस्ट फल, सब्जियों के छिलके, चाय की पत्ती आदि सब भरते जाओ और जब वह आधी से अधिक हो जाए तो एक मिट्टी तैयार करो जिसमें 60% मिट्टी हो और 30% में वर्मी कंपोस्ट, दो मुट्ठी नीम की खली और थोड़ा सा और बाकी रेत मिलाकर उसे मिक्स कर दो। इस मिट्टी को किचन वेस्ट के ऊपर भर दो और दबा दबा के 6 इंच किचन वेस्ट के ऊपर यह मिट्टी रहनी चाहिए। बीच में गड्ढा करिए छोटा सा 1 इंच का, अगर बीज डालना है तो डालके उसको ढक दो।और यदि पौधे लगानी है तो थोड़ा गहरा गड्ढा करके शाम के समय लगा दो और पानी दे दो।#Kitchen waste management