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Thursday 9 November 2017

नज़र के सामने ये क्या हुआ!! Nazar k samne ye Kya hua!! नीलम भागी



प्रभावशाली व्यक्तित्व के एक युवक ने मेरी दुकान में प्रवेश किया। वह मोबाइल पर किसी से पूछ रहा था, ‘‘पाँच रूपये के सिक्कों की कितनी थैलियाँ? दो रूपये के सिक्कों की कितनी? और एक रूपये के सिक्कों की कितनी थैलियां ?
रेज़गारी सुनते ही मेरा रेज़गारी के प्रति मोह बुरी तरह जाग जाता है। मैं उतावली होकर उसका मुंह ताकने लगी और इंतजार करने लगी कि इसका फोन बंद हो। जैसे ही फोन बंद हुआ, मैंने पूछा,’’ आप बैंक में काम करते हैं ? उसने उत्तर प्रश्न में दिया,’’ क्यों, कोई काम है? ‘‘मैंने कहा,’’ रेज़गारी चाहिए ? वह बोला, ‘‘पचास हजार रूपये की दे दूँ’’? इतनी रेज़गारी सुनकर मैं बहुत खुश हो गई। पर मेरे पास पचास हजार नहीं थे। मैंने कहा, ‘‘मेरे पास इतने रूपए नहीं हैं। वह मुझे हिकारत से देखकर दुकान से बाहर चला गया। मानो कह रहा हो बिजनेस कर रहे हैं, गल्ले में पचास हजार रूपये भी नहीं हैं।
फिर एक दम पलटा और आकर बोला, ‘‘ कोई बात नहीं जितने की भी चाहिए,  अमुक बैंक में रूपया लेकर फटाफट पहुँचों।’’मैंने कहा कि मेरे पास दस, बीस हजार रुपए ही है। उसने जवाब दिया,"कोई बात नहीं।"
 दस हजार रूपए लेकर, मैं अमुक बैंक के पास पहुँचने ही वाली थी। वह युवक पीछे से मोटर साइकिल पर आया और बोला, ‘‘आ गई आप?’’ और फोन पर किसी से कहने लगा, ‘‘पचास हजार के सिक्के बाहर ही ले आओ, लाइन पर रहते हुए मुझसे पूछने लगा, मैम आपको कितने की चाहिए?’’ मैं झट से बोली,’’ दस हजार की, पाँच के सिक्के ही देना’’ उसने फोन पर निर्देश दिया,’’ पाँच के सिक्कों की थैली पहले बाहर ले आओ। लेडी हैं, कहाँ परेशान होंगी। महिलाओं के प्रति उसके ऐसे विचार सुनकर मैं बहुत प्रभावित हुई। ‘‘लाओ मैडम दस हजार’’ वह बोला। मैंने कहा,’’ सिक्के।’’  ’’वो आ रहे हैं न’’ बैंक की तरफ इशारा करके वह बोला। बैंक से एक आदमी थैला लेकर निकल रहा था। थैले वाले की ओर इशारा करके, युवक बोला,’’ जाइए, ले लीजिए।’’ मैं खुशी से उसे दस हजार देकर, तेज कदमों से थैला लेने को लपकी। जैसे ही उसका थैला छूआ। थैले वाला बोला,’’ अरे ........! क्या कर रही हैं आप? मैने पीछे मुड़कर देखा। सभ्य मोटर साइकिल सवार युवक नोट लेकर गायब था। थैले वाला आदमी कथा बाँचने लगा, ‘‘बैंक आ रहा था, देशी टमाटर का ठेला जा रहा था। सस्ते मिल रहे थे, दो किलो ले लिए थे। देशी टमाटर से सब्जी बहुत स्वाद बनती है। हाइब्रिड टमाटर का रंगरूप तो सुंदर, पर सब्ज़ी में वो जाय़का भला कहाँ?’’ वो देसी टमाटर के फायदो पर निबंध सुनाने लगा और कोई समय होता तो मैं उससे सुने देसी टमाटरों के फायदों पर थीसिस लिख सकती थी, पर मेरी उड़ी हुई रंगत देखकर, उसने एक दम पूछा, ‘‘बहिन जी क्या हुआ?  ऐसे मौके पर जैसे वेदपाठी के मुँह से श्लोक निकलता है , हमेशा की तरह मेरे मुँह से सड़क साहित्य यानि ट्रक के पीछे पर लिखी चेतावनी निकली ‘नजर हटी, दुर्घटना घटी’।