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Tuesday, 18 May 2021

कोेरोना टैस्ट का इंतज़ार ..... मैं कोरोना से ठीक हुई Be Positive and follow covid 19 protocols! I have survived covid! Whay can"t you? Part - 6 Neelam Bhag

 


आइसोलेशन में आज दूसरा दिन था यानि 15 अप्रैल और टैस्ट होगा 19 अप्रैल को, इतने दिन! बार बार दिमाग में बुखार कम होने पर एक ही प्रश्न उठ खड़ा हो रहा था कि अगर कोरोना पॉजिटिव हुआ तो! टी.वी. का प्लग तो मैंने कल ही निकाल कर रिमोट भी कहीं रख दिया ताकि कोई कोरोना की न्यूज़ न देख लूं। मोबाइल में कोरोना शब्द देखते ही हटा देती थी। फेसबुक में कोई अपने की अस्पताल के बैड पर कोरोना से जंग करते हुए, या किसी की अर्थी की पोस्ट लगाता तो वहां मैं अपने को देखने लगती। मोबाइल ही साथी था उसे ही ऑफ करना पड़ता। फिर खिड़की की तरफ मुंह करके गहरे सांस लेते हुए बाहर देखती हुई बुखार में सो जाती। उस समय गगन सूरी की बात याद आती जब मैंने उसे कहा,’’ गगन 24 मार्च के बाद आज 9 फरवरी को मैं पहली बार किसी आयोजन में आईं हूं, कोरोना के डर से न कहीं जाती, न बाहर का खाती।’’यह सुनते ही वह हंसते हुए बोला,’’दीदी मुझे और ये जितनी बैठीं हैं न इन सबको कोरोना हो चुका है।’’ वे शायद 4 या 5 थीं। सुनकर मुझे बड़ा अच्छा लगा कि 5 लोग तो कोरोना से जीत कर मेरे सामने बैठे हैं।’’ मेरे अंदर हिम्मत आती थर्मामीटर लगाती। ऑक्सीजन देखती। उसी समय मैंने सोच लिया था कि ठीेक होने पर ही पोस्ट लगाउंगी। और टैस्ट के लिए उतावली हो जाती कि बस किसी तरह टैस्ट हो  जाए। अंकुर का फोन आया कि 16 को दोपहर 2 और 3 बजे बीच आपका टैस्ट होगा। बड़ी मन को तसल्ली हुई। घर के सदस्य चिन्तित से गेट से बाहर लगे पेड़ पौधों में पानी लगाते, फल सब्जी खरीदते, सभी दिख जाते। बस अम्मा नहीं दिख रही थी। उत्सव फोन पर हाल पूछता। उसके मामा भी हॉस्पिटल में एडमिट थे। इसलिये भाभी भी बहुत परेशान थीं। टी.वी. चलने तक की आवाज़ नहीं आती थी। अगले दिन 2 बजे से टैस्ट के लिए इंतजार किया। 3 बजे अंकुर ने फोन पर पूछा कि मेरा टैस्ट हो गया? न सुनते ही फोन बंद। फिर अंकुर का फोन आया, बोला,’’7 बजे हो जायेगा। चिंता नहीं करो आज जरुर हो जायेगा।’’ उसने मुझे उसका फोन नम्बर भी दे दिया। 7 बजे भी नहीं आया। 7.30 बजे मैंने फोन किया। उसने कहा कि आज आपका टैस्ट होगा, जितनी मर्जी देर हो जाये। भाप लेकर, बुखार की गोली खाकर टैस्ट के इंतजा़र में पड़ी रही। बिना प्यास के भी एक मग गर्म पानी का करके घूट घूट पीती रहती थी, अब भी पीती रही। रात दस बजे के बाद मैं सो गई। अंकुर का फोन आया, बोला बाहर सैंपल के लिए खड़े हैं। लाइट तो रुम की 24 घण्टे जलती रहती थी। मैंने परदा हटा कर उसे आने को कहा। मैंने सोच लिया था कि मैं उसे रुम में नहीं बुलाउंगी। जब मैं अपने घर वालों के नॉक करके जाने के बाद खाना उठाती हूं। कोई जाली लगी खिड़की के पास बात करने आता है तो मैं उसे कहती हूं, दूर खड़े हो। क्योंकि मेरा बैड खिड़की से सटा हुआ है। ये भी तो किसी का बेटा है। ऐसे कठिन समय में घर से सैंपल ले रहा है। उसने अभी गेट खोल कर अंदर कदम रखा ही था कि किसी का सैंपल लेने के लिए उसे फोन आया। उसने उसका सेक्टर पूछा फिर कहा कि यहां से पास हैं। आधे घण्टे में पहुंच जाएगा। वो फोन कर रहा था, इतनी देर में मैंने बाहर की लाइट जला कर कुर्सी खींच कर दरवाजे के बीच में रखी। हाथ में आधार कार्ड लेकर बैठ गई। वो तैयारी करने लगा। उसने तैयारी की और बोला,’’मेरी तरफ पीठ कर लो, दस्ताने वाले हाथों से मेरी गर्दन की पोजिशन बना कर कहा कि हिलना नहीं। सैंपल लिया और चला गया। नीलम भागी क्रमशः