ये देखकर मुझे बहुत हैरानी होती है, जब कोई बबुआ सा बच्चा अपने पेरेंटस के साथ खिलौने की दुकान पर खड़ा होता है। उसके मम्मी पापा उससे पूछते हैं,’’बेटा कौन सा खिलौना लोगे?’’ बबुआ बोलने की बजाय, हाथों को उपयोग कर गोल गोल करके समझाता है कि बॉल लेनी है। मैं हैरान होकर देखती हूं कि इतना बड़ा बच्चा है, इसके मुंह में चुसनी भी नहीं है। कोई कमी होगी जो ये इशारे से बात कर रहा है। इतने में बच्चे के पापा थोड़ा सख्ती से कहते हैं कि आपको जो चाहिए मुंह से बोलो, तब हम खरीद के देंगे। ये शर्त सुन कर बच्चा बस खिलौने का नाम लेता है और चुप। ऐसे कई बच्चे देखें हैं जिनसे आप बात करो, वे सुनते रहेंगे, मुस्कुराते रहेंगे पर जवाब नहीं देंगे। इसका कारण है वे सब कुछ स्क्रीन पर ही देखते सुनते हैं दादी नानी की कहानियां भी। जिसमें न ये प्रश्न करते हैं न हूंगारा भरते हैं बस सामने जो परोसा जा रहा है, उसे बस सुनते हैं। इसलिए बतियाना ही भूल गए हैं। एकल परिवार है। कहीं दोनों नौकरी करते हैं। थकान या ..... बच्चे को खाना खिलाना बहुत धैर्य का काम है। उसे स्क्रीन के सामने बैठा कर खिलाने वाला, आप फोन पर लग जाता है और बच्चा आंख गड़ाए र्काटून देखता है। उसके मुंह में चम्मच से खाना डलता रहता है। उसका मुंह स्क्रीन पर दिखने वाले सीन की गति से चलता हैं। सीन तेजी से बढ़ रहा है तो वह तेजी से चबाता है। सीन धीमी गति से चल रहा है तो मुंह धीरे चल रहा है। अगर म्यूट पर है तो चबाना बंद। आप खिलाना बंद कर दो तो वह बोल कर मांगता नहीं है। ऑन लाइन क्लास में भी क्लास छोड़ कर, वह यू ट्यूब में पहुंच जाता है। क्योंकि टीचर नाम लेकर कुछ पूछेगी। उसे जवाब देना ही नहीं आता है क्योंकि वह तो सिर्फ सुनना ही जानता है। जिन्हे वह सुनता है वह एक तरफा है। वे सुनाते हैं न की सुनते हैं न ही कुछ पूछते हैं। हमारा बड़ा परिवार है। जिसमें सुपर सीनियर, सीनियर सीटीजन सभी आयु के सदस्य हैं। इनमें से कोई अगर दूसरे शहर में रहता है और उसका बच्चा बहुत छोटा है। वे बहुत व्यस्त हैं तो मेड के होते हुए भी कोई न कोई बुर्जुग बच्चे के पास आता जाता रहता था। वे बच्चों से इतनी बातें करते हैं कि किसी किसी बच्चे के टायं टांय करने के कारण उसका नाम तोता ही हो जाता है। गीता और अदम्य किसी से भी बतिया लेते हैं। गीता की अमेरिका जाने पर वहां भी खूब सखियां हो गईं। गीता की छोटी बहन दित्या का जन्म वहां पर हुआ है। उत्कर्षिनी उसका कोई भी विडियो भेजती तो 92 साल की अम्मा ध्यान से देखती और मुझसे पूछतीं कि ये दित्या से बातें क्यों नहीं कर रही है? दस दिन की है तो क्या हुआ? बच्चा पेट के अंदर से मां की आवाज सुनता है इसलिए पहचानता है। अम्मा ऊंचा सुनती है मैं वॉल्यूम स्पीकर पर कर देती हूं। उत्कर्षिनी का दित्या के साथ बतियाना सुनकर अम्मा बहुत खुश होती हैं। कहती है बच्चे से बतियाना बहुत जरुरी होता है। इससे उसकी समझ बढ़ती है।ं
उत्कर्षिनी को दित्या से बतियाते देख कर गीता भी उससे बातें करती है।
आज दित्या तीन महीने की हो गई है उसे हंसने को कहो तो वह हंसती है।
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