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Tuesday 2 August 2022

मांगे ननद रानी कंगना,मचली मोरे अंगना। विश्व स्तनपान सप्ताह नीलम भागी

   




विश्व स्तनपान सप्ताह 1 से 7 अगस्त तक मनाने का विश्व स्वास्थ संगठन का उद्देश्य कामकाजी महिलाओं में स्तनपान संबंधी जागरूकता पैदा करना है। 

 अमेरिका में प्रसव से पहले सरकार की तरफ से ब्रैस्ट पम्प आया। उत्कर्षिनी ने उसकी तस्वीर मुझे भेजी। आप भी देखिए। डिब्बे पर पिता बच्चे को बोतल से मां का दूध पिला रहा है। मां ने पम्प करके दूध फ्रिज में रख दिया। एकल परिवार है। पैटरनिटी लीव में मां प्रसव के बाद आराम कर सकती है। बच्चे के दूध के समय मां सो रही है या ऑफिस में है तो पिता स्टोर किया मां का दूध बच्चे को पिला देता है। 

   सिंगापुर में छोटी छोटी दूध की बोतलें और कुछ छोटे छोटे दूध के पाउच उन पर तारीख और समय लिख कर, उच्च पद और लम्बे समय तक काम में व्यस्त रहने वाली महिलाओं के फ्रिज में मैंने देखे। महिलाओं के मन में ज़रा भी गिल्ट नहीं रहता है कि उनके बच्चे माँ के दूध से वंचित हैं और फार्मूला मिल्क पर पल रहीं हैं। इलैक्ट्रिक ब्रैस्ट पम्प की बदौलत बच्चे भरपूर माँ का दूध पीते हैं। वहाँ मैटरनिटी लीव तीन महीने की है।

     फ्रिज़ में माँ का दूध तीन दिन तक और फ्रिज़र में तीन महीने तक खराब नहीं होता है। बस रखने में साफ सफाई का पूरा घ्यान रखना पड़ता है। पम्प को इस्तेमाल के बाद सैनेटाइज़ करना जरुरी है। प्रसव के बाद माँ का दूध बहुत होता है, छोटा बच्चा उतना नहीं पी सकता है इसलिए पम्प करके पाउच से हवा निकाल कर सील करके या बॉटल में फ्रिज़र में रखते जाते हैं। घर में बच्चे की जो देखभाल करता है, वह माँ के दूध को फ्रिज़ से निकाल कर, गर्म पानी के कटोरे में रख देता है। ठण्डा होने से फैट ऊपर जम जाती है। इससे दूध में फैट भी पिघल जाती है गुनगुना मां का दूध बच्चे को पिला देते हैंे।

       बेबी को दूध पिलाने से, पम्ंिपग करने से दूध का प्रोडक्शन बना रहता है। इसलिए वहां ऑफिस में एक पम्ंिपग रुम है। दूधमुँहें बच्चों की माँ, वहाँ पम्प करने जाती हैं। वह मोबाइल पर अपने बच्चे की हरकतों को देखते हुए पम्ंिपग करती है। मैंने पूछा,’’घर आने तक दूध खराब नहीं होता।’’उन्होंने एक बैग और रबर की पानी से भरी थैली दिखाई और बताया कि पानी की थैली को फ्रिजर में जमा देते हैं। दूध भी फ्रिज़र में रख देते हैं। लाइट यहां कभी जाती नहीं है। शाम को बैग में जमा दूध और बर्फ की थैली रख कर चैन बंद कर देते हैं। घर आते ही फिर फ्रिज में रख देते हैं। 

    हमारे देश में तो नवजात बच्चे को पहली बार मां का दूध पिलाने की रस्म, उत्सव की तरह होती है। जच्चा प्रसव के बाद कमजोर होती है, बच्चे की बुआ स्तनपान करवाने में मदद करती है। जिसका ननद नेग मांगती है। बाहर महिलाएं ढोलक की थाप पर बारगनिंग वाला सोहर(जन्म के समय गाये जाने वाले लोकगीत) गाती हैं।

 मांगे ननद रानी कंगना, मचली मोरे अंगना।

  ये कंगना मेरे मायके से आया, बाबा ने बनवाया, भइया ने जड़वाया।

  कमले सुनार का, पूरे हज़ार का, न दूंगी, न दूंगी कंगना.....

    गीतों के बाद, महिलाएं जलपान करतीं हुई बतियातीं हैं, जिसका विषय होता है कि उन्होंने अपने बच्चों को कब तक दूध पिलाया। पहला दूध तो डॉ. प्रसव के कुछ समय बाद से ही पिलाना शुरू करवा देतीं हैं। लेकिन घर आने पर यह रस्म की जाती है। इससे बेटी भी मायके आकर कुछ दिन जच्चा बच्चा को संभालने में मदद कर देती हैं।