कृष्ण और बलराम इस दिन से गाय चराने गए और गोपाल बने। कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की अष्टमी यानि गोवर्धन पूजा के सातवें दिन को गोपाष्टमी के रुप में मनाया जाता है। यह उत्सव श्री कृष्ण और उनकी गायों को समर्पित है। इस दिन गौधन की पूजा की जाती है। गाय और बछड़े की पूजा करने की रस्म महाराष्ट्र में गोवत्स द्वादशी के समान है। हमारे परिवार में तो गाय परिवार का मुख्य सदस्य थी तभी तो फैमली फोटोग्राफ में होती है। मेरी बेटी उत्कर्षनी वशिष्ठ(अंतर्राष्ट्रीय लेखिका) विदेश में कहीं भी जाती है तो कुछ भी खाने से पहले इनग्रेडिएंट चेक करती हैं कि उसमें बीफ तो नहीं है क्योंकि वह गंगा का दूध पीकर और उसकी बछियों यमुना आदि के साथ खेलते हुए पली है।
गोपाष्टमी पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। नीलम भागी