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Saturday, 31 July 2021

थपकी देने की मशीन चाहिए!! नीलम भागी Baby Shusher Neelam Bhagi


उत्कर्षिनी ने अमेरिका से  वीडियो भेजा। उसकी 45 दिन की बेटी दित्या अकेली लेटी हुई है और उसके पास से ही shheeee की आवाज  आ रही है। मैं  हैरान! कि आवाज कहां से आ रही है। जब ध्यान दिया तो देखा, उसके कान के पास एक छोटा सा खिलौना जैसा रखा हुआ है। दित्या मुंह बनाकर कुछ ऑब्जर्व कर रही है। मुझे लगा कि वह सोच रही है कि आवाज उसके मम्मी पापा और गीता की नहीं है। 

वीडियो खत्म होते ही मैंने उत्कर्षिनी को कॉल लगाया। जवाब में उसने मुझे फिर एक वीडियो भेज दिया। इस बार Sheeeee मशीन दित्या के पेट के पास रखी हुई थी और उसकी sheeeee आवाज से दित्या की आंखें नींद में बंद हो रही थी, धीरे-धीरे जैसे मां गोदी में लेकर बच्चे को थपकाते हुए शीशीशी..... करती है और बच्चा सो जाता है और यह सो गई।

अब  बेटी ने मुझे चहकते हुए कॉल लगाई और कहने लगी  कि दित्या का जन्म  समय से पहले हो गया है, मेरा कमिटमेंट है। इसके जन्म के 21 दिन से मैं काम करने लग गई हूं। यह सोती रहती और मैं लेखन करती रहती हूं। जिन को समय दिया है वह मेरी डेट आने वाली है तो मुझे काम देना जरूरी है। पहले ये तो सोई रहती थी दिन में 17 घंटे। यहां बिस्तर ऐसा, जैसे मां की गोदी है। आज ये Sheeee मशीन सुला रही है। अब तो मेरा काम भी आसान हो जाएगा। एक बेबी को थपकी देने वाली मशीन भी बना ले तो कितना अच्छा हो!  मेरा काम भी हो जाएगा और मेरी बेटी भी खुश रहे। गीता को समर स्कूल में डाल दिया है। छुट्टी के बाद राजीव उसे स्पोर्ट्स के लिए ले जाते हैं और आकर वह हमारे साथ समय बिता करना दित्या के साथ सो जाती है।


बात खत्म हो गई। लेखन में खो जाने वाली मेरी बेटी अपनी दोनों छोटी बेटियों के साथ भी, समय पर काम देने का कमिटमेंट  पूरा कर रही है।  यह सुनकर मुझे अच्छा लगा और कोरोना वायरस पर गुस्सा भी आया वह इसलिए कि मैं चाहती हूं फिर भी बेटी की मदद नहीं कर सकती।
2 दिन बाद उत्कर्षिनी का फोन आया, बोली, "दित्या को पता नहीं क्या हो गया है? अपने बेड पर सो नहीं रही है। गोदी में ही सो रही हैं। बेड पर लिटाते ही रो रही है। कभी मैं गोदी में लेती हूं, कभी राजीव लेते हैं। कभी इसने तंग नहीं किया। अब देखो रात के 10:30 बज रहे हैं, अरे ये ऐसी है जैसे सोना ही नहीं है।"  मैंने पूछा," सुसु पॉटी कर रही है? ठीक से दूध पी रही है? खेल रही है?" उत्कर्षिणी ने जवाब दिया," सब कुछ ठीक से कर रही है पर कर, गोदी में ही रही है।" मैंने अपनी 92 साल की अम्मा से पूछा, सुन कर अम्मा ने जवाब दिया, मां के पेट से आए हुए इसे दिन ही कितने हुए हैं!  ए.सी में ठंड लगती हैं। गोदी मिलेगी तो मां की गर्मी मिलती है तो उसमें  खुश रहेगी।"  बेटी बोली," पहले तो यह सोती थी।" अम्मा बोली, "इसको कपड़े अच्छे से पहनाओ, इसको ठंड लग रही है।" उत्कर्षिनी ने जवाब दिया, " मां  कपड़े पूरे लपेटे हुए हैं बल्कि माथे में पसीना आ रहा है। हमें घबराहट हो रही है क्या करें ? समझ नहीं आ रहा है।" मैंने उत्कर्षिनी से कहा," बेटी घबरा मत, गोदी में तो शांत है न। देख ले थोड़ा, फिर डॉक्टर से सलाह करना।" ओ.के. जी, ठीक है फोन बंद हो गया। अब मुझे याद आया कि बेटी जब भी फोन करती है तो दित्या के बारे में बताती कि बड़ी शांत लड़की है। कई बार मेरी गोद में  होती है और मीटिंग और उसका दूध पीने का टाइम होता है तो मैं गोदी में  लिए मीटिंग एक एक घंटा कर लेती हूं ये सो लेती है पर कभी रोती नहीं है। इतनी अच्छी बच्ची,,! तो मुझे लगा यह अकेलेपन के कारण ना ऐसे कर रही हो फिर मैंने उत्कर्षिनी को वॉइस मैसेज किया और कहा कि इसके आसपास ही रहो। अगले दिन बेटी का वॉइस मैसेज आया मां अच्छी तरह से सो रही है। दूध भी जगा कर पिला रही हूं। फोटो भेजा। फोटो क्या है!! सोफे पर साथ में बेटी को लिटाया अपनी एक टांग को उससे टच किया हुआ है और गोदी में लैपटॉप रखे हुए लेखन कर रही है।

जब गीता आएगी तो इसके साथ सोएगी। तीनों मिलकर बारी बारी से दित्या को टच करते हुए रख रहे हैं। मैंने यह सुनकर  बेटी से पूछा,"बेटी थपकी वाली मशीन चाहिए!" उसने तपाक से जवाब दिया," नहीं मां, हमने भी तो हद कर दी थी। अपने कमिटमेंट के आगे कुछ सोचा ही नहीं। यह तो जब बहुत जरूरत हो तब इस्तेमाल करनी चाहिए। तुम्हारा काम भी हो गया और बच्चा भी संभल गया। इसको अपनी जगह नहीं देनी चाहिए। छोटा बच्चा बोल नहीं सकता पर महसूस तो करता है ना। अब दित्या ममां के साथ अखबार पढ़ती है।


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