कुछ समय मुम्बई रही। वहां देखा कि सबके घर की खिड़की पर एक करी पत्ते(मीठा नीम) का पौधा गमले में लगा होता था। बाजार में भी मिलता है। सब्ज़ी खरीदने के साथ करी पत्ता साथ में जरुर लाते। जब कभी खत्म हो जाए तो गमले से तोड़ कर बघार, छौंक, तड़का लगा लेते हैं। मुझे भी इसके स्वाद की आदत हो गई। वहां से आते ही मैंने एक पौधा खरीद कर, बाउण्ड्री वॉल के साथ बाहर मिट्टी में लगा दिया। वो तो अच्छा भला झाड़ बन गया गया। नापा तो नहीं है पर दस फीट से तो ज्यादा ही है। ताजा तोड़ कर जिसमें भी डालती हूं स्वाद और महक बहुत अच्छी लगती है। हरा भरा देखना तो अच्छा लगता ही है। पेड़ की कुछ टहनियां आंगन में आ गई हैं। जब इसके बीज पकते हैं तो जो आंगन गिरते हैं। उनको मैं संभाल लेती हूं। जो उगाने के लिए मांगता है, उसे दे देती हूं। जो बाहर मिट्टी में गिरते हैं कुछ समय बाद बिना हमारी मेहनत के नये करी पत्ते के पौधे बन जाते हैं। घर के आगे से जो पौधे बेचने वालेे माली निकलते हैं, उनसे कह देती हूं कि ले जाओ। वे बेचते हैं। मेरा ऐसा मानना है कि जो पौधा मांग कर ले जाते हैं या खरीदते हैं वे उसकी प्यार से देखभाल भी करते हैं।
करी पत्ते से मैं कुछ न कुछ बनाती रहती हूं। गर्मी में धनिया कम होता है। इसके पत्ते चटनी में इस्तेमाल होते हैं। मैं प्रोफैशनल शैफ तो हूं नहीं जो हर चीज नाप तोल के लिखूं ,सब कुछ अंदाज से करती हूं। मूंगफली के भूने दाने(छिलका उतार कर) अदरक, लहसून, हरी मिर्च डाल कर मिक्सी में पीसती हूं। फिर दहीं और स्वादानुसार नमक इसमें डाल कर मिक्सी चला देती हूं। चटनी तैयार।
यात्राएं बहुत करती हूं ,करी पत्ते की सूखी चटनी साथ में ले जाती हूं जो ग्रुप में सबको बहुत पसंद आती है। लौटने पर जिसके घर में करी पत्ते का पौधा नहीं होता वह भी लगा कर मुझे तस्वीर भेजता है। इस सूखी चटनी के लिए मैं करी पत्ते धोकर सूती कपड़े से पोंछ कर गर्म कड़ाही में थोड़ा तेल डाल कर हल्की आंच पर करी पत्ते भूनती हूं। जब पत्ते क्रिस्पी हो जाते हैं। कड़ कड़ की आवाज करते हैं तो इनको थाली में निकाल कर, उसी कड़ाही में पत्तों के अंदाज़ में कुछ लहसून की कलियां सूखी भून लेती हूं इसमें तेल नहीं डालती। भूना चना या भूनी मूंगफली या सूखा नारियल तीनों में से जो भी घर में हो इनमें से एक को थोड़ा सा लेती हूं। अगर नारियल होता है उसको हल्का सा भून लेती हूं। इन सब को मिक्सी में डाल कर लाल मिर्च पाउडर और स्वादनुसार नमक डाल कर पीस लेती हूं। खट्टा करना हो तो थोड़ा मैंगो पाउडर मिला सकते हैं। यात्रा में ये पाउडर चटनी किसी के साथ भी खा लेते हैं। उत्कर्षिनी विदेश से आई, बोली,’’करी पत्ता मिस करती हूं। मैंने जैसे सूखी चटनी के लिए भूना था, कुछ का पाउडर बना कर दे दिया। कुछ करी पत्तों को धोकर सूती कपड़े से पोंछ कर, काग़ज के लिफाफों में डाल कर फ्रिज में रख दिया। चार पांच दिन में सूख गये। महक और स्वाद में कोई फर्क नहीं आया। ले गई जितने दिन भी चले। वैसे धोकर पोंछ कर छाया में फैला दो, सूखने पर रख लो, तब भी खराब नहीं होते। छाछ और रायते में इसका तड़का लाजवाब स्वाद देता है। थोड़े से गर्म देसी घी या तेल में सरसों डालती हूं,जब सरसों फूट फूट कर रोने लगे मतलब चटक जाए तो उसमें कैंची से काट कर सूखी लाल मिर्च मोटी मोटी डाल कर उसपर करी पत्ता डाल कर, काला नमक मिले रायते या छाछ में इस छौंक को डाल देती हूं। इसको डालने से स्वाद बढ़ाने के तो सारे नुस्खे मुझे याद हैं। करी पत्ता खाने के अनगिनत फायदे, मैं याद नहीं रखती क्योंकि मैं तो इसे खाती हूं ।
करी पत्ता लगाना
किसी भी कंटेनर या गमले में किचन वेस्ट फल, सब्जियों के छिलके, चाय की पत्ती आदि सब भरते जाओ और जब वह आधी से अधिक हो जाए तो एक मिट्टी तैयार करो जिसमें 60% मिट्टी हो और 30% में वर्मी कंपोस्ट, दो मुट्ठी नीम की खली और थोड़ा सा और बाकी रेत मिलाकर उसे मिक्स कर दो। इस मिट्टी को किचन वेस्ट के ऊपर भर दो और दबा दबा के 6 इंच किचन वेस्ट के ऊपर यह मिट्टी रहनी चाहिए। बीच में गड्ढा करिए छोटा सा 1 इंच का, अगर बीज डालना है तो डालके उसको ढक दो।और यदि पौधे लगानी है तो थोड़ा गहरा गड्ढा करके शाम के समय लगा दो और पानी दे दो।
7 comments:
Gud
इस लेख में जो आपने कड़ी पत्ता की 34 चटनी बनाने के तरीके और तड़का लगाने का तरीका बताया है यह वाकई में मुझे नहीं मालूम था अब तक हम लोग सिर्फ इसे पोहa के छोंक में इस्तेमाल करते थे धन्यवाद काफी चलता हूं इसलिए अगली बार आलू के पराठे के साथ यह चटनी जरूर लेकर जाऊंगा। वैसे घर के बाहर वह का बहुत बड़ा पौधा भी लगा हुआ है।
हार्दिक आभार
Nice Article, Thank you for sharing a wonderful blog post, I loved your blog post.
You can also check - करी पत्ते के 9 फायदे और नुकसान
हार्दिक आभार
हार्दिक आभार एन.के. गुरुजी
Post a Comment