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Saturday, 26 September 2020

ऑन लॉइन ढंग से लो.... फीस दे रहें हैं नीलम भागी On Line Class Neelam Bhagi


 

कोरोना महामारी का समय है। गीता से बात करने के लिए कॉल करती हूं, उसी समय उत्त्कर्षिणी धीरे से बोलेगी,’’उसकी ऑनलाइन क्लास चल रही है। ब्रेक में बात करना। ब्रेक का इंतजार करती हूं। अचानक एक प्रश्न उठा क्या सभी बच्चे ठीक से पढ़ते होंगे? मैंने बच्चों को पढ़ाया है, ज्यादातर के मां बाप अनपढ़ थे। पर सभी अपने बच्चों को इस भाव से स्कूल लाते थे कि वे खूब पढ़ें। कुछ बच्चे तो पढ़ने के बहुत शौकीन होते हैं और औसत बच्चों में शौक डालना पड़ता हैं। कुछ बहुत ही देर से समझतें हैं। टीचर अपनी कक्षा के सभी बच्चों को समझती है। उसके साथ वैसा ही व्यवहार करती हैै। मकसद होता है बच्चे पढ़ जाएं। उन्हें मोटीवेट करने के लिए किस्से कहानियां भी सुनाई जाती हैं।

 इस बारे में मैंने कुछ अघ्यापिकाओं से बात की। सभी बच्चों के परिवारों के लिए चिन्तित लगीं। वे बताने लगी कि हम तो घरों में पहुंच गए हैं। हम क्लास ले रहीं हैं जो पापा घर पर हैं वे बच्चे के साथ बैठ जाते हैं, लुंगी बनियान में और बच्चा भी चढ्ढी बनियान में पढ़ता हैं। पापा का ध्यान पूरा बच्चे पर होता है कि टीचर जो पढ़ा रही है, बेटा ध्यान से सुन रहा है या नहीं। जरा सा बच्चे का ध्यान इधर उधर गया नहीं। बाप चिल्लायेगा,’’हरामजादे शरम कर, टीचर देख रही है।’’कुछ बच्चे मस्ती करते हैं। सो जाते हैं। भाई बहन लड़ रहें हैं। बच्चा टीचर को सुन रहा है और मां अपने हाथ से खाना खिला रही है। रमा डांस टीचर है। उसने बताया कि मैं डांस करती हूं तो बच्चे मुझे देखते हुए मेरे साथ नाचते हैं। बच्चे के पापा वाइफ से कहेंगे,’’तूं भी मैडम की तरह कमर मटका पतली हो जायेगी। तेरी कौन सा फीस लग रही है।’’

कुछ हमें कहेंगे ऑन लाइन ढंग से लो फीस देते हैं। पर किसी ने भी ये बातें हंसते हुए नहीं कहीं क्योंकि वे जानतीं हैं ये फायर किए गए हैं जब तक हायर नहीं किए जायेंगे तब तक ऐसे ही करेंगे। बच्चे होम वर्क नहीं करते। कभी भी रात को भी फोन करके होम वर्क पूछेंगे।

सरकारी टीचर ने बताया कि 85 बच्चों की क्लास में 30-35 बच्चे ही क्लास ज्वाइन कर पाते हैं। कारण चार भाई बहन में एक ही मोबाइल है। कैमरा डैमेज है। स्क्रीन छोटी है। घर में कोई टैक्नोलॉजी सिखाने वाला नहीं है। पापा की नौकरी छूट गई है। मैमोरी एप नहीं है। वाई फाई की सुविधा नहीं है। डेटा र्काड पर निर्भर हैं। झोपड़ पट्टी में आस पास कोई गाली गलौच करे या लड़ाई झगड़ा  करे तो सब की आवाज आती है। जैसे बाप कहेगा,’’ बात कर लिये मैडम से क्या कह रही यू।’’ टीचर से मैंने पूछा,’’कैसे पढ़ती होंगी?’’ उन्होंने जवाब दिया कि स्पेस न होने से वे संकोच में रहतीं हैं। उनसे कहती हूं, विडियो और माइक ऑफ रक्खो, नही ंतो डेटा ज्यादा खर्च होगा। हम विडियो ऑडियो बना कर व्हाट्सअप कर देते हैं।’’ कुछ समय की बात है कोरोना जायेगा सब कुछ पहले की तरह हो जायेगा।          


4 comments:

kulkarni said...

Mast hai

Neelam Bhagi said...

हार्दिक धन्यवाद

डॉ शोभा भारद्वाज said...

प्यारी चंचल लाडो कितनी तन्मयता से पढ़ रही हैं।

Neelam Bhagi said...

हार्दिक धन्यवाद