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Sunday 28 February 2021

चुकंदर के सैडविच श्वेता का संडे स्पैशल नीलम भागी Shweta's Sunday Special Healthy Multigrain Veg. Sandwich Neelam Bhagi




आयरन, कैल्शियम, मिनरल से भरपूर चुकंदर बच्चों को खिलाना बड़ा मुश्किल है। नया खिलाने की कोशिश  श्वेता संडे को करती है। क्योंकि उसकी छुट्टी होने के कारण, न खाने पर बच्चों के लिए कुछ और बनाया जा सकता है। वह बना रही थी और इसके फायदों पर मेरा व्याख्यान साथ साथ चल रहा था। मसलन इसे खाने से हीमोग्लोबिन की कमी नहीं होती, हड्डियां मजबूत होती हैं आदि। चुकंदर, गाजर, बींस, शिमला मिर्च, हरी प्याज, टमाटर उसने बारीक काट कर रख लिये और हरी चटनी और मीठी चटनी और पनीर भी बना लिया।



उसने पनीर प्याज, चुकंदर को अच्छी तरह हल्का नमक डाल कर मिला लिया। मल्टीग्रेन ब्रैड की स्लाइस पर हरी चटनी लगा कर उस परं इस भरावन को रखा।



दूसरे स्लाइस में बटर लगाकर इसके ऊपर रख दिया। स्लाइस के ऊपर घी लगा कर सैंडविच मेकर में रख कर स्विच ऑन कर दिया।


सैंडविच तैयार। बच्चों को सैंडविच से झांकता लाल और सफेद रंग बहुत पसंद आया। उन्होंने बड़े स्वाद से खाये। गाजर, बींस, शिमला मिर्च,, टमाटर ये सोच के काटे थे कि बच्चों को चुकंदर नहीं पसंद आया तो चुकंदर सब्जियां से बदल देंगे। पर उन्हें तो बहुत यम्मी लगे। मैंने भी चुकंदर के सैंडविच ही खाये। चुकंदर की मिठास, पनीर और खट्टी हरी चटनी के साथ मिल कर सैंडविच का स्वाद बढ़़ा रही थी। पहले बच्चों ने रंग देख कर चखा फिर पेट भर कर खाया और रेड एंड व्हाइट सैंडविच उनकी पसंद बन गए।    


Friday 26 February 2021

लाजवाब मुफ्त के कंटेनर और छत पर बागवानी की शुरुवात नीलम भागी Terrace gardening in recycled overhead water tanks! Neelam Bhagi

 

जब भी आंधी आती तो हमारे ब्लॉक में हमारी पानी की टंकियों के कारण कोलाहल मच जाता था। उस समय मैं भीष्म प्रतिज्ञा करती कि कल जरुर कबाड़ी को बुला कर, ये पुरानी हजार हजार लीटर की तीनों टंकियां दूंगी। मौसम साफ होते ही दिमाग से टंकियां भी साफ हो जाती। जब नई टंकियां बदलीं थीं तब मैंने पल्ंबर से पुरानी ले जाने को कहा तो उसने कहा कि ये सीढ़ियों से उतरेंगी नहीं। उसने उतारने का लंबा चौड़ा खर्च और ले जाने का टैम्पू का भाड़ा और जोड़ दिया। नौएडा में ऐसे समय में मुझे मेरठ बहुत याद आता है। खै़र उस समय मैंने नहीं उठवाई। फिर भूल गई। अब ये आंधी के समय छत पर लुड़कती, एक दूसरे से टकराती हुई शोर करतीं थीं लेकिन रोज रोज तो आंधी आती नहीं। काफी समय से मेरा छत पर जाना नहीं हुआ था। कोरोना काल में घर में ही रहना है और कड़ाके की ठंड पड़ने से मैं छत पर धूप सेकने गई तो देखा टंकियों की आपस में टकराने से शेप ही बदल गई थी।

बराबर के घर में रिनोवेशन चल रहा था। लेबर लंच के समय में धूप में आग ताप रही थी। हमारी छत पर एकदम स्वस्थ एलोवेरा लगा था जबकि नीचे लगा हुआ एलोवेरा मुर्दे की तरह बेजान सा था। बाकि पौधों की नीचे, मैं खूब देखभाल करती हूं पर बड़े पेड़ों के कारण मनचाहा परिणाम नहीं मिलता है। क्योंकि उन्हें ठीक से धूप नहीं मिलती है। और यहां एलोवेरा में भी फूल लग रहें हैं। ये देखकर मैं टैरेस गार्डिनिंग के बारे में सोचने लगी, जिसका पहला सिद्धांत है कि छत पर भार कम हो। यहां तो एलोवेरा से कंटेनर फट रहे थे। इतने में एक मजदूर ने मुझसे टंकियों की ओर इशारा करके पूछा कि ये प्लास्टिक वह ले जाये। मैं तपाक से बोली,’’हां हां ले जाना।’’छुट्टी के बाद जब वह औजार लेकर टंकियों को काटने लगा तो मेरे दिमाग में टेैरेस गार्डिनिंग ने जन्म ले लिया। मैंने सोचा कि पता नहीं मैं छत पर पौधों की देखभाल कर पाउंगी!! मैं पहले कंटेनर पर कम, अच्छे बीजों और हल्की मिट्टी तैयार करने पर खर्च करती हूं। फल लगे या न लगें। इसलिए शुरुवात पत्तेदार सब्जियों से करती हूं। मैंने उसे कहा कि तुम मुझे आधे या उससे थोड़े कम टंकियां काट कर तीन घेर दे दो। मुझे उनमें पौधे लगाने हैं। कटवाई के मैं तुम्हें पैसे दूंगी। वह बोला,’’लंच और छुट्टी के बाद मै करता रहूंगा। सर्दियों की बरसात थी। धूप नहीं निकल रही थी। एक हफ्ते बाद मैं छत पर गई। तो मुझे तीन बड़े टंकियों के कंटेनर मिले। जिसकी गहराई 10’’ से कम ही थी। और ड्रेनेज होल भी कर रखे थे। उनके नीचे ईंटें लगा रखीं थीं। और ऐसी ऐसी जगह रखे थे जहां सारा दिन धूप रहती है।


इनमें मैंने काट काट के एलोवेरा आधे भाग में भर दी। उपर पॉटिंग मिक्स भर कर मेथी, पालक, सरसों, धनिया बो दिया। बथुआ अपने आप उग गया। इतने स्वस्थ पौधे हैं कि देख कर मन खुश हो जाता है।

सीढ़ियां चढ़ने में जरा आलस नहीं आता। दिन में दो बार मैं उन्हें देखने जाती हूं। रोज कुछ न कुछ तोड़ कर लाती हूं।    





Thursday 25 February 2021

सरस आजीविका मेला नीलम भागी SARAS Aajeevika Mela 2021 Showcasing Crafts From Rural India Neelam Bhagi

22 साल से देश की संस्कृति से रुबरु करवाता सरस आजीविका मेला 2021 पहली बार नौएडा हाट सेक्टर 33 में आयोजित किया जा रहा है। 26 फरवरी से 14 मार्च तक 11ः00 बजे से रात 8ः00 बजे तक परंपरा, क्राफ्ट, कला एवं संस्कृति के मनोरम माहौल थीम के साथ हम इसका आनन्द सपरिवार और मित्रों के साथ उठा सकते हैं।


इसमें मुख्य रुप से शिल्प कलाओं का प्रर्दशन किया जायेगा। 300 से अधिक महिला शिल्प कलाकार की उपस्थिति है और उनके हुनर से बना उत्कृष्ट प्रर्दशन जो हैंडलूम, साड़ी और ड्रैस मैटीरियल में  विभिन्न राज्यों से हैं वो इस प्रकार हैं-आंध्र प्रदेश से कलमकारी, आसाम से मेखला चादर, बिहार से कॉटन और सिल्क, छत्तीसगढ़ से कोसा साड़ी, गुजरात से भारत गुंथन और पैच वर्क, झारखंड से तसर और कॉटन, दुपट्टे, ड्रैस मैटीरियल, कर्नाटक से इकत, मध्य प्रदेश से चंदेरी और बाग प्रिंट, मेघालय से इरी प्रोडक्ट्स, ओडिसा से तासर और बांदा, तमिलनाडु की कांचीपुरम तो तेलंगाना की पोचमपल्ली, उत्तराखंड से पश्मिना, कांथा, बातिक प्रिंट, तात और बालुचरी पश्चिम बंगाल से। फुलकारी, बाग बूटी के लिए पंजाब नहीं जाना पड़ेगा। क्योंकि सरस आजीविका मेले में 27 राज्यों के 150 स्टाल में देश के ग्रामीण इलाकों की हुनरमंद महिलाओं के हुनर का प्रोडक्ट आया है। ये मेला उनके बनाए सामान को मार्केटिंग प्लेटफॉर्म देता है। सरस मेले से राष्ट्रीय आजीविका मिशन के अंर्तगत गा्रमीण महिला अपने हुनर से सशक्त होती है। क्योंकि उसका प्रोडक्ट शहरों के उपभोक्ताओं तक पहुंचता है। 

ये हुनरमंद सृजन करना जानते हैं पर उत्पादन का प्रचार करना नहीं जानते हैं।्यहां इनके लिए वर्कशॉप लगेगी। जिसमें इन्हे सोशल मीडिया से उत्पादन का प्रचार करना, कुछ तो केवल अपने क्षेत्र की भाषा ही जानते हैं, उन्हें और बाकियों को भी कम्यूनिकेशन स्किल सिखाना, फोटोग्राफी आदि सिखाया जायेगा।

इसके साथ ही 27 राज्यों के हैंडीक्राफ्ट, ज्वैलरी और होम डेकोर के प्रोडक्ट आदि भी एक ही स्थान पर ले सकते हैं। फूड प्राडक्ट के स्टाल, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ बच्चों के मनोरंजन का पुख्ता इंतजाम है।



मेले में प्रवेश करने के लिए कोविड-19 के प्रोटोकॉल का भी पूरा ध्यान रखा गया है। मास्क बिल्कुल अनिवार्य है।  मेले में प्रवेश शुल्क नहीं है मेले में लाजवाब सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन है। Free entry Noida Haat, Sector 33A, Noida


     



Tuesday 23 February 2021

बच्चों की पसंद, प्रेमिकाओं की परेशानी 34वां गार्डन टूरिज्म फैस्टिवल र्गाडन ऑफ फाइव सेंसेज भाग 2





पार्किंग के बाद अंकुर टिकट लेने चले गए।


यहां सबके मास्क लगे हुए थे। 3 दिन लगनेवाला मेला इस बार 3 सप्ताह के लिए लगा है। खूब भीड थी शायद कोरोना के लंबे दौर के कारण लोग बोर हो चुके थे और यहां खूब एंजॉय कर रहे थे। मुंह पर मास्क था पर बहुत चहक रहे थे। भीड़ देख कर खुशी से बच्चे बेमतलब इधर से उधर और उधर से इधर भाग रहे थे। अंकुर ने अदम्य की दोनों बाहों पर अपना फोन नम्बर लिख कर

समझाया कि अगर खो जाओ तो वहीं खड़े रहना। सिक्योरटी को दिखा कर कहा कि जिन्होंने ऐसी यूनीर्फाम पहनी होंगी वे सिक्योरटी हैं उन्हे फोन नम्बर दिखा देना वो हमें फोन कर देंगे, हम तुम्हें आकर ले जायेंगे। घबराना नहीं। अब तो अदम्य आपे से बाहर हो गया। मौका देखते ही जिधर दिल करे भागे। पकड़ कर लाएं और उसे डांटे तो वह हमें बांह दिखा कर समझाए कि घबराओ नहीं जब मैं खो जाउंगा तो अंकल को फोन नम्बर दिखा दूंगा। वो आपको बुला देंगे। हम हैंगिंग बास्केट पर अटके तो बच्चे फ्लोरल, जानवर, पक्षियों  और मोन्यूमैंट को खड़े निहारते जा रहे थे। बहुतायत में यहां प्रेमी युगल थे।

वे जम कर सेल्फी ले रहे थे। अदम्य को सू सू आ गया तो सब टॉयलेट गए। महिला प्रसाधन बने तो अच्छे हैं पर गंदे थे।

शायद खाली न रहने के कारण सफाई नही हो पा रही थी। पर शीशे और वॉशवेसिन एकदम साफ थे। हैण्डवाश भी रखा था। लड़कियां आते ही फिर से मेकअप लगाने के लिए चेहरा धोतीं। टिशूपेपर से चेहरा साफ करके कहां फैंके? डस्टबिन था ही नहीं। अब घर से लड़कियां टॉवल तो लेकर चलती नहीं। कर्मचारी बोलती,’’ यहीं फैंक दो न, हम बाद में झाड़ू लगा देंगी।’’ एक लड़की ने तो डस्टबिन न होने पर ’देश स्वच्छ क्यों नहीं रह पाता?’, इस पर व्याख्यान देना शुरु कर दिया। मैंने तो रुक कर सुना नहीं क्योंकि मैं तो गार्डन उत्सब में प्रकृति के रंग देखने  गई थी और सजाने वालों की रचनात्मकता! बेकार टायरों का इतना सुंदर उपयोग!!


जिसे देख कर कोई ये नहीं बहाना कर सकता कि र्गाडनिंग महंगा शौक है हम इसलिए नहीं करते क्योंकि कंटेनर बहुत महंगे आते हैं। या हमारे पास जगह कम है। हमारे पास जगह नहीं है। ध्यान से देखते हुए घूमों तो हमारे हर प्रश्न का जवाब मिल रहा था। साथ ही पीने के पानी की उचित व्यवस्था थी साथ में पेपेर ग्लास भी रखे थे। थकने पर बैठो फिर देखो। क्रमशः         ़  


Monday 22 February 2021

34वां गार्डन टूरिज्म फैस्टिवल र्गाडन ऑफ फाइव सेंसेज में नीलम भागी 34th Garden Tourism Festival Organized at Garden of Five Senses Neelam Bhagi

 


पर्यावरण के प्रति जागरुक नौएडावासी साल भर स्टेडियम में लगनेवाले फ्लॉवर शो का इंतजार करते हैं। इसे देख कर लौटने वाले प्रत्येक पर्यावरण प्रेमी के हाथ में पौधा होता है या वह दिमाग में कोई आइडिया लेकर आता है। कोई गार्डिनिंग की शुरुवात करता है या पहले से बेहतर करता है। ऐसा करके वह अपने हिस्से का वायु प्रदूषण कम करता है। पर्यावरण प्रेमी श्वेता अंकूर मुझसे हमेशा की तरह पूछते,’’फ्लॉवर शो कितनी तारीख को लगेगा?’’ तीन दिन तक लगने वाले इस शो में एक दिन छुट्टी का जरुर होता है जिसमें एक ही जगह पर सब कुछ मिलने के कारण वे जमकर अपनी गाडर्निंग का शौक पूरा करने के लिए शॉपिंग करते हैं। इस साल शो न लगने के कारण हम सब बहुत दुखी हुए। 34वां गार्डन टूरिज्म फैस्टिवल, र्गाडन ऑफ फाइव सेंसेज दिल्ली में लगा है। इसके बारे में जानकारी प्राप्त की। 19 फरवरी से 13 मार्च सोमवार से शुक्रवार 11ः00 से 6ः00 बजे और सप्ताहंात में 11ः00 से 7ः30 बजे तक शामिल हो सकते हैं। यहां  पहुंचने के लिए निकतम मैट्रो स्टेशन साकेत है, जो पीली लाइन पर है। दर्शकों के लिए साकेत मैट्रो स्टेशन से आयोजन स्थल तक के लिए मुफ्त शटल सेवा उपलब्ध है।   

पंच इन्द्रिय उद्यान र्गाडन ऑफ फाइव सेंसेज नामक यह उद्यान दिल्ली के दक्षिणी भाग में सैद- उल- अजाब गांव के पास स्थित है। यह उद्यान दिल्ली पर्यटन एवं परिवहन विकास निगम द्वारा 20 एकड़ में विकसित किया गया है। बच्चों के लिए बहुत अच्छा है। महरौली और साकेत के बीच दिल्ली के एक प्राचीन और पुरातात्विक धरोहर परिसर के इस उद्यान में 200 से अधिक प्रकार के मोहक एवं सुगन्धित पौधों के बीच 25 से ज्यादा शिल्प आदि हैं। 

फरवरी 2003 में इस उद्यान की स्थापना दिल्ली की पहली स्थापित राजधानी महरौली के पास किया गया। राजपूत राजा पृथ्वीराज चौहान द्वारा बनवाए गए किला राय पथौरा के अवशेषों के पास इस उद्यान को भव्य तरीके से तैयार किया गया है। उद्यान पहुंचने के लिए सबसे आसान साधन जहांगीरपुरी कश्मीरी गेट हुडासीटी सेन्टर मेट्रोलाइन की मैट्रो है। फैस्टिवल के समय साकेत मैट्रो स्टेशन से उद्यान तक फ्री शटल सर्विस है।

मेले का पहला संडे 21 को था श्वेता अंकूर ने प्रोग्राम बनाया। अंकूर मुझे घर ले गया। श्वेता ने शाश्वत अदम्य से कहा कि अगर मेले में जाना है तो खूब चलना होगा और पहले पढ़ाई पूरी करनी है। दोनों ने बोल बोल के हिंदी पढ़नी शुरु कर दी। श्वेता अंकूर ने र्गाडनिंग के सामान की लिस्ट बना ली। बच्चे जा रहे थे इसलिए उस हिसाब से तैयारी की। एक बजे हम घर से निकले। मेले जाने की खुशी में बच्चों ने रास्ते में मोबाइल तक नहीं मांगा। श्वेता गूगल की मदद से रास्ता बताती जा रही थी। पास में खण्डहर से देख कर अदम्य ने पूछा कि यहां किंग रहते हैं। जवाब में शाश्वत ने कहा,’’अब किंग नहीं होते।’’ 55 मिनट में हम पार्किंग में पहुंच गए थे। पार्किंग शुल्क 20 रु प्रति घण्टा है। मैंने पूछा,’’ये कुछ ज्यादा नहीं है!!’’उसने वहां आई शटल की ओर इशारा करके कहा कि ये फ्री राइड का खर्चा यहीं से तो पूरा होगा न। सुन कर हम हंस पड़े। अच्छा लगा ये देख कर कि शटल जिसके लिए इंतजार नहीं करना पड़ रहा था। मैंने आने और जाने पर दोनों समय वहां खड़ी देखी। हमसे पूछा भी कि साकेत मैट्रो स्टेशन चलना है। ऐसे ही पब्लिक ट्रांसर्पोट को बढ़ावा मिलेगा।  क्रमशः



Saturday 20 February 2021

ताजे नारियल और बेसन की बर्फी नीलम भागी Fresh Coconut Besan Berfi Neelam Bhagi


 बहुत आसान और जल्दी बनने वाली ये पौष्टिक स्वादिष्ट बर्फी, मैंने पहली बार अपनी खुद की रैस्पी से बनाई। जो सबको पसंद आई। इसे बनाने के लिए एक ताजा नारियल की गरी को छोटे टुकड़ों में काट कर ग्राइंडर में रोक रोक कर सूखा पीस लें।

इस नारियल के बुरादे को किसी भी बर्तन में दबा कर नाप लें। बुरादे के बराबर बेसन, चीनी, दूध, चौथाई मिल्क पाउडर, चार हरी इलायची और थोड़े बादाम, काजू इन्हें तलने के लिए थोड़ा घी लिया।

चीनी पसंद के अनुसार कम कर सकते हैं। बेसन को हल्का रंग बदलने तक लो फ्लेम पर सूखा भून लेना है।

कढ़ाई में थोड़ा सा देसी घी डाल कर ड्राइफ्रूट को काट कर हल्का भूनना है जैसे ही रंग बदले, इसे निकाल कर, इसमें नारियल का बुरादा डाल कर लगातार चलाते हुए लो फ्लेम पर भूनना है।

नारियल का रंग बदलते ही इसमें चीनी डाल कर चलाना है फिर इसमें मिल्क पाउडर, बेसन मिलाकर चलना है।

दो मिनट बाद इसमें दूध मिला कर अच्छी तरह चलाते रहना है ताकि गुठलियां न बने।


अब बीच बीच में चलाते रहें। जब ये कढ़ाई के किनारे छोड़ कर इक्ट्ठा होने लगे तब इसमें ड्राइफ्रुट मिला दें। गैस बंद करके एक थाली में घी लगा कर इस मिश्रण को उस पर फैला दिया।

ठंडा होने पर फ्रिज में दो घण्टे के लिए रखा और बाद में मन चाहे आकार में काट लिया।

लाजवाब बर्फी के स्वाद का जवाब नहीं। हलवाई नहीं हूं इसलिये शेप उनकी तरह नहीं दे सकी।     


Friday 19 February 2021

मीठे चावल और ज़र्दा पुलाव नीलम भागी Zafrani Pulao Zarda Neelam Bhagi

 


मीठे चावल बनाने बहुत आसान हैं। एक कटोरी चावल, एक कटोरी चीनी, डेढ़ कटोरी पानी, देसी घी और पसंद का कतरा हुआ मेवा बादाम, काजू, किशमिश, नारियल आदि, दो हरी इलायची और चार लौंग, 10-12 केसर के धागे और और केसर भिगोने के लिए आधा कप दूध।

ज़र्दा पुलाव के लिए गोल्डन सेला बासमती चावल लेने होंगे और रेड ऑरेंज फूड कलर  

मीठे चावल बनाने के लिए चावल धोकर, डेढ़ कटोरी पानी में प्रेशर कूकर में आधे घंटे भिगोने के बाद कूकर को गैस पर हाई फ्लेम पर रख दें। जब सीटी बजनेवाली हो तो गैस बंद कर दें क्योंकि ये चावल पूरी तरह नहीं पकाने हैं।


भाप नहीं निकालें। कढ़ाई में घी डाल कर ड्राई फ्रूट हल्की आंच पर रंग बदलने तक भून लेना है और थोड़े से गार्निश करने के लिए निकाल लेने है।


अपने आप जब चावलों में प्रेशर खत्म हो जाए तो चावलों को ड्राई फ्रूट वाली कढ़ाई में डाल कर उसमें एक कटोरी चीनी चावल के नाप वाली डाल कर हल्की आंच पर चढ़ा दें चीनी पिघलने लगेगी। इसमें लौंग, कुटी इलायची, दूध में भीगे केसर वाला दूध डाल कर ढक कर पकाएं। बीच बीच में विडियों में दिखाये तरीके से चलायेंगे ताकि चावल न टूटे।


लौंग, इलायची, चावल बनाते समय भी कूकर में डाल सकते हैं। जब चीनी का पानी सूख जाये तो गैस बंद कर दस मिनट के लिए ढक कर रख दें। सर्व करने से पहले जो भूना मेवा निकाला था उससे गार्निश करदें। बसंत पंचमी को ये चावल जरुर बनते हैं।

ज़र्दा पुलाव

ज़र्दा पुलाव के लिए गोल्डन सेला बासमती चावल एक घंटा भिगोते हैं। ये चावल पकने में ज्यादा समय लेते हैं। चावलों को चार कटोरी पानी में थोड़ा सा रेड ऑरेंज फूड कलर  डाल कर पतीले में उबालते हैं। जब चावल 90 प्रतिशत पक जाएं तब इन्हें छान कर फालतू पानी निकाल देना है। कढ़ाई में घी डाल कर ड्राई फ्रूट हल्की आंच पर रंग बदलने तक भून लेना है और थोड़े से गार्निश करने के लिए निकाल लेने है। उबले रंगीन चावलों को ड्राई फ्रूट वाली कढ़ाई में डाल कर उसमें एक कटोरी चीनी, चावल के नाप वाली डाल कर हल्की आंच पर चढ़ा दें चीनी पिघलने लगेगी। इसमें लौंग, कुटी इलायची, दूध में भीगे केसर के 20-25 धागे वाला दूध डाल कर ढक कर पकाएं। बीच बीच में चलायेंगे।


जब चीनी का पानी सूख जाये तो गैस बंद कर दस मिनट के लिए ढक कर रख दें। सर्व करने से पहले जो भूना मेवा निकाला था उससे गार्निश करदें। ये चटक रंग का केसर की भीनी भीनी महक वाला ज़ाफ़रान जर्दा में खोया भी स्वाद बढ़ाता है।