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Monday 22 February 2021

34वां गार्डन टूरिज्म फैस्टिवल र्गाडन ऑफ फाइव सेंसेज में नीलम भागी 34th Garden Tourism Festival Organized at Garden of Five Senses Neelam Bhagi

 


पर्यावरण के प्रति जागरुक नौएडावासी साल भर स्टेडियम में लगनेवाले फ्लॉवर शो का इंतजार करते हैं। इसे देख कर लौटने वाले प्रत्येक पर्यावरण प्रेमी के हाथ में पौधा होता है या वह दिमाग में कोई आइडिया लेकर आता है। कोई गार्डिनिंग की शुरुवात करता है या पहले से बेहतर करता है। ऐसा करके वह अपने हिस्से का वायु प्रदूषण कम करता है। पर्यावरण प्रेमी श्वेता अंकूर मुझसे हमेशा की तरह पूछते,’’फ्लॉवर शो कितनी तारीख को लगेगा?’’ तीन दिन तक लगने वाले इस शो में एक दिन छुट्टी का जरुर होता है जिसमें एक ही जगह पर सब कुछ मिलने के कारण वे जमकर अपनी गाडर्निंग का शौक पूरा करने के लिए शॉपिंग करते हैं। इस साल शो न लगने के कारण हम सब बहुत दुखी हुए। 34वां गार्डन टूरिज्म फैस्टिवल, र्गाडन ऑफ फाइव सेंसेज दिल्ली में लगा है। इसके बारे में जानकारी प्राप्त की। 19 फरवरी से 13 मार्च सोमवार से शुक्रवार 11ः00 से 6ः00 बजे और सप्ताहंात में 11ः00 से 7ः30 बजे तक शामिल हो सकते हैं। यहां  पहुंचने के लिए निकतम मैट्रो स्टेशन साकेत है, जो पीली लाइन पर है। दर्शकों के लिए साकेत मैट्रो स्टेशन से आयोजन स्थल तक के लिए मुफ्त शटल सेवा उपलब्ध है।   

पंच इन्द्रिय उद्यान र्गाडन ऑफ फाइव सेंसेज नामक यह उद्यान दिल्ली के दक्षिणी भाग में सैद- उल- अजाब गांव के पास स्थित है। यह उद्यान दिल्ली पर्यटन एवं परिवहन विकास निगम द्वारा 20 एकड़ में विकसित किया गया है। बच्चों के लिए बहुत अच्छा है। महरौली और साकेत के बीच दिल्ली के एक प्राचीन और पुरातात्विक धरोहर परिसर के इस उद्यान में 200 से अधिक प्रकार के मोहक एवं सुगन्धित पौधों के बीच 25 से ज्यादा शिल्प आदि हैं। 

फरवरी 2003 में इस उद्यान की स्थापना दिल्ली की पहली स्थापित राजधानी महरौली के पास किया गया। राजपूत राजा पृथ्वीराज चौहान द्वारा बनवाए गए किला राय पथौरा के अवशेषों के पास इस उद्यान को भव्य तरीके से तैयार किया गया है। उद्यान पहुंचने के लिए सबसे आसान साधन जहांगीरपुरी कश्मीरी गेट हुडासीटी सेन्टर मेट्रोलाइन की मैट्रो है। फैस्टिवल के समय साकेत मैट्रो स्टेशन से उद्यान तक फ्री शटल सर्विस है।

मेले का पहला संडे 21 को था श्वेता अंकूर ने प्रोग्राम बनाया। अंकूर मुझे घर ले गया। श्वेता ने शाश्वत अदम्य से कहा कि अगर मेले में जाना है तो खूब चलना होगा और पहले पढ़ाई पूरी करनी है। दोनों ने बोल बोल के हिंदी पढ़नी शुरु कर दी। श्वेता अंकूर ने र्गाडनिंग के सामान की लिस्ट बना ली। बच्चे जा रहे थे इसलिए उस हिसाब से तैयारी की। एक बजे हम घर से निकले। मेले जाने की खुशी में बच्चों ने रास्ते में मोबाइल तक नहीं मांगा। श्वेता गूगल की मदद से रास्ता बताती जा रही थी। पास में खण्डहर से देख कर अदम्य ने पूछा कि यहां किंग रहते हैं। जवाब में शाश्वत ने कहा,’’अब किंग नहीं होते।’’ 55 मिनट में हम पार्किंग में पहुंच गए थे। पार्किंग शुल्क 20 रु प्रति घण्टा है। मैंने पूछा,’’ये कुछ ज्यादा नहीं है!!’’उसने वहां आई शटल की ओर इशारा करके कहा कि ये फ्री राइड का खर्चा यहीं से तो पूरा होगा न। सुन कर हम हंस पड़े। अच्छा लगा ये देख कर कि शटल जिसके लिए इंतजार नहीं करना पड़ रहा था। मैंने आने और जाने पर दोनों समय वहां खड़ी देखी। हमसे पूछा भी कि साकेत मैट्रो स्टेशन चलना है। ऐसे ही पब्लिक ट्रांसर्पोट को बढ़ावा मिलेगा।  क्रमशः



2 comments:

Shree Anish said...
This comment has been removed by the author.
सुशांत सिंघल said...

आपका बहुत आभार कि आपने इस ^पुष्प प्रदर्शनी के बारे में बताया। आपकी लेखन शैली अनौपचारिक तथा रोचक है। यूं ही लिखती रहिये!

सादर,
सुशान्त सिंघल