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Friday 10 February 2023

महिलाओं के लिए ये तो होना चाहिए! पुण्डरीक क्षेत्र, पुनौरा सीतामढ़ी बिहार यात्रा भाग 21 नीलम भागी Pundarikshetra Bihar Yatra Part 21 Neelam Bhagi

मेरे पास से कुछ महिलाएं बतियाते हुए गुजरी तो पीछे से एक लड़की ने उनमें से एक को आवाज़ लगाई,’’अरी ओ किरिप वाली।’’ और दौड़ती हुई उनके पास पहुँच गई। मैंने भी आवाज लगा कर पूछा कि इसका नाम क्लिप वाली है! जवाब में सब खी खी खी करके हंसते हुए चली गई। पर उसने जाते जाते पीछे मुड़ कर बता दिया कि उसका नाम मधु है। मधु ने सिर पर पल्लू लिया हुआ था। मुझे तो कहीं भी बालों में क्लिप नज़र नहीं आया। पर मुझे उनका चहकते हुए जाना अच्छा लगा। कुछ देर बंद सूर्य मंदिर के आगे खड़ी रही। भुवनेश सिंघल और धर्मेन्द्र पाण्डे तो दूर दिखने वाले पुण्डरि केश्वर महादेव मंदिर पहुँच गए थे।



अचानक मेरी नज़र एक नाई पर पड़ी जो पेड़ के नीचे ज़मीन पर बैठा 5 या 6 साल के लड़के को उस्तरे से गंजा कर रहा था। पास में उसके हम उम्र और भी लड़के, बैठे खड़े थे। मैंने मन में सोचा ये अच्छा है ’ओपन हेयर कटिंग सैलून’ और ग्राहक भी अपनी बारी का इंतजार कर रहें हैं। मैं पास जाकर खड़ी होकर देखने लगी।


 नाई ने पूछा,’’आप कहाँ से आए हो?’’ मैंने जवाब दिया,’’दिल्ली से।’’बच्चों में कोई भी शैतानी नहीं नज़र आ रही थी। मुझे कुछ अजीब सा लगा। मैंने नाई से ऐसे ही कह दिया,’’भइया ये इसके दोस्त इसको गंजा होता देखने को बैठे हैं!’’ नाई ने जबाब दिया कि इन सब के भी बाल उतरने हैं क्योंकि इनके घर में मौत हो गई है। मैंने देखा कुछ दूरी पर वहाँ र्बोड लगा था, जिस पर लिखा था सिद्धेश्वरी शमशान काली मंदिर।


 मैं वहाँ से चल पड़ी। कुछ दूरी पर उसी मधु का घर था। मैं बात करने लगी। मैंने पूछा,’’मधु को क्लिप वाली नाम से क्यों पुकारा जा रहा था?’’ जवाब मधु ने दिया कि उसके मायके के गाँव का नाम किरिपपुर है। इसलिए गाँव का नाम ही बहू का नाम होता है। वहाँ खड़े उस घर के आदमी ने भी मुझे यही समझाया 
https://youtu.be/TLinOGM_kG8
और मुझसे पूछा कि मैं कौन से देश से आई हूँ। उनसे बतियाकर मैं पुण्डरिकेश्वर महादेव मंदिर पहुँच गई।


 पास में ही इस प्राचीन तालाब का घाट बना है। लाल पत्थर की सीढ़ियाँ बनी हैं। महिलाएँ बच्चे नहा रहे हैं। पर ये देख कर अच्छा नहीं लगा कि महिलाओं के लिए कपड़ा बदलने को कोई चेंज रुम नहीं है।



 प्रशासन द्वारा इस स्थान का जीर्णोद्वार किया है जो दिखाई दे रहा है। थोड़ा इस ओर भी ध्यान देना चाहिए था। तालाब की परिक्रमा मार्ग बहुत अच्छा बना है। पर कोई वहाँ ऐसा है जो खूबसूरती का बैरी है उसने एक कोने में इसपर उपले बना रखे हैं। गोबर जमा किया है।


 जो लोग घाट का इस्तेमाल करते हैं। वे अपना कचरा साइड में फैंक जाते हैं। 

बहुत प्यारी प्रदूषण रहित जगह है। आस पास श्रद्धालुओ के ठहरने की जगह होनी चाहिए ताकि दूर दूर से आने वाले यहाँ कुछ समय बितायें। अब मैं भी मंदिर के पुजारी स्वामी उमेशानंद जी को प्रणाम कर धर्मेन्द्र पाण्डे और भुवनेश सिंघल के साथ पुण्डरिक क्षेत्र के बारे में उनसे सुनने लगी।



 क्रमशः          


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