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Monday 6 February 2023

श्री हलेश्वरनाथ महादेव मंदिर सीतामढ़ी, साहित्य संर्वधन यात्रा भाग 18 नीलम भागी Haleshwarnath Mahadev Mandir Sitamarhi Part 18 Neelam Bhagi

यहाँ हमारी गाड़ी काफी पहले पहुंच गईं। रास्ते में लक्ष्मणा नदी के साथ साथ भी गाड़ी चली। मैं इसे हैरान होकर देख रही थी तो ड्राइवर साहेब बोले,’’इसका असली रूप देखना है तो बरसात में आओ। ये अपने साथ बाढ़ लाती है। रामायण काल से जुड़ा हलेश्वर स्थान सीतामढ़ी से भी 5 किमी. उत्तर पश्चिम में है। इस स्थान पर राजा जनक ने अकाल के समय हलेष्ठी यज्ञ के समय भगवान शिव का मंदिर बनवाया जो हलेश्वर स्थान के नाम से मशहूर है और इसी क्रम में सीताजी मिलीं। 







ऐसा कहा जाता है कि इस प्राचीन पवित्र स्थान पर पत्थर शिवलिंग को मूल छवि माना जाता है। मंदिर परिसर के अंदर भक्तों के आवास की व्यवस्था है। क्योंकि कुछ श्रद्धालु बहुत दूर दूर से आते हैं। फतेहपुर गिरमिसानी में अवस्थित हलेश्वरनाथ महादेव की महता बहुत ज्यादा है। 12 साल के अकाल के काारण ऋषि मुनियों की सलाह पर  राजा जनक ने शिवलिंग स्थापना कर हल चलाया तो यहाँ से 7 किमी की दूरी पर पुनौरा में माँ जानकी अवतरित हुईं। 12 साल का अकाल दूर हुआ। किसान बाबा हलेश्वरनाथ का जलाभिषेक करते हुए अच्छी फसल की कामना करते हैं। लोग साल भर यहाँ आते हैं। सावन में लाखों की भीड़ उमड़ती है। पड़ोसी देश नेपाल के नुनथर पहाड़ व सुप्पी घाट बागमती नदी से कावड़िये जल लाकर जलाभिषेक करते हैं और मुंडन पूजन आदि किए जाते हैं। जनश्रुति है कि राजा जनक का इस शिवलिंग से गहरा संबंध है। विवाह के बाद माँ जानकी और रामजी ने अयोध्या जाने से पहले यहाँ पूजा की थी। लोगों की आस्था है कि हलेश्वर महादेव बहुत दयालु हैं, सबकी मनोकामना पूरी करते हैं। इसकी स्थापना अकाल से मुक्ति के लिए की गई थी इसलिए यहाँ के किसान अपनी फसल भी चढ़ाते हैं। श्रावण, जानकी नवमी, विवाह पंचमी को यहाँ दूर दूर से श्रद्धालु पहुँचते हैं। पूजा अर्चना करके हम अपने साथियों का इंतजार करते हुए आस पास घूम भी लिया। कुछ ही देर में तीनों गाड़ियाँ पहुँच गईं।  




यहाँ आना बहुत आसान है। ऑटो, गाड़ी हर समय मिलती इै। महावीर मंदिर ट्रस्ट द्वारा दैनिक बस सेवा पुनोरा धाम से हलेश्वर स्थान, पंथपाकर और जनकपुर मंदिर नेपाल के लिए सुबह रवाना होती है और शाम को पुनौरा धाम लौटती है। क्रमशः


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