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Tuesday 7 February 2023

पुण्डरीक क्षेत्र की ओर सीतामढ़ी बिहार यात्रा भाग 19 नीलम भागी Pundarik Kshetra Sitamarhi Bihar Yatra Part 19 Neelam Bhagi

अब हम पहुँचे, जहाँ यज्ञ और सत्संग चल रहा था। विवाह पंचमी नजदीक थी इसलिए सीतामढ़ी में जगह जगह उत्सव का महौल था। यहाँ हमारी साहित्य संर्वधन यात्रा पूर्ण हुई। 





पहले यात्रा 24 तारीख को रात आठ बजे तक पूर्ण होनी थी इसलिए सबने 25 की रिजर्वेशन करवा रखा था। हमारा भी 25 तारीख को 1.20 am पर सदभावना एक्सप्रेस में रिर्जेवेशन ये सोच कर करवाया था कि 24 को काठमाण्डू से सीतामढ़ी पहुँचने में लेट भी हो गए तो भी गाड़ी पकड़ी जायेगी। रूकना नहीं पड़ेगा। आश्रम में भी रुकने की व्यवस्था थी। पर सबने कार्यक्रम बदलते ही दूसरी रिजर्वेशन करवा लिया था। भुवनेश सिंघल भी इसी काम में लगे रहे पर दिल्ली के लिए कोई सीट नहीं थी। हर समय बुरी तरह व्यस्त रहने वाले भुवनेश जी को आने वाला समय काटना बहुत मुश्किल लग रहा था। वाल्मीकी जी, कलाधर आर्य जी, भुवनेश जी, डॉ0 ख्याति और मुझे लेकर होटल आ गए। इन दोनों की 25 को दरभंगा से अहमदाबाद के लिए फ्लाइट थी। मैं और डॉ0 ख्याति तो रुम में आते ही बातों में मश़गूल हो गए और साथ साथ यात्रा की तस्वीरों पर लगे रहे। मैं ज्यादा टैक्नोेसेवी नहीं हूँं। बस अपना काम चला लेती हूं। जब भी कोई गलती होती तो उससे पूछती वो मेरा काम करने की बजाय, मुझे सिखाने लगती और मुझे अंकुर, उत्कर्षिनी याद आने लगते। दोनों कुछ पूछने पर मेरे हाथ से करवाते हैं। वही ख्याति कर रही थी पर मुझे उससे बातें करना अच्छा लग रहा था। मैंने उससे वायदा किया कि घर पहुँचते ही जो जो आप मुझे सिखाना चाह रही हो, सब सीख लूंगी, तब वह मानी। बहुत अच्छी लड़की है। लग ही नहीं रहा था कि हम पहली बार मिलें हैं। डॉ. साधना बलवटे(राष्ट्रीय मंत्री) के साथ अखिल भारतीय साहित्य परिषद की दो दिवसीय राष्ट्रीय बैठक झांसी में पहली बार मिली और रुम शेयर किया तो उन्होंने कहा था कि साहित्य परिषद् का माहौल परिवार की तरह है। अगले दिन प्रो0 नीलम राठीे(राष्ट्रीय मंत्री) हमारे साथ आ गईं। तीनों बड़े आराम से रहे। 

  मैं और डॉ0 ख्याति बातें करते हुए पता नहीं कब सोए। सुबह पैकिंग करके तैयार होकर हम फिर बतियाने लगे। वाल्मीकी जी उन्हें लेने आ गए। मैं और भुवनेश जी उन्हे बाय करने गए तो वहाँ धर्मेन्द्र पाण्डे जी भी आ गए। उनकी रात को 2.30 बजे की गाड़ी थी। हम वहीं रिसैप्शन पर बैठ कर प्लानिंग करने लगे कि सीतामढ़ी में कहाँ जाना है? उन्होंने पुण्डरीक क्षेत्र और सनातन धर्म पुस्तकालय जाने का प्रोग्राम बनाया। धर्मेन्द्र जी ने मुझे कहा कि आप तो रुम में आराम करियेगा क्योंकि हमें तो खूब चलना होगा। आप कहाँ हलकान होंगी। मैंने अपने जूतों की ओर इशारा करके कहा कि मैं यात्रा में जूते साथ में जरुर रखती हूँ ताकि मुझे चलने में जरा भी परेशानी न हो। रिसेप्शन पर कोई भी इन जगहों को नहीं जानता था। हमारे पास समय बहुत था। रात एक बजे स्टेशन पहुँचना था। इसलिए सब स्लो मोशन में चल रहा था। धर्मेन्द्र जी रात को आश्रम में रुके थे। बाकि सब जा चुके थे। कहते हैं न पूछते पूछते इनसान लंदन भी पहुँच जाता है। हम तीनों भी चल दिए पुण्डरीक क्षेत्र के लिए। क्रमशः      


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