पुण्डरीक सरोवर में कहीं कहीं पर मेड़ बनी हुई थीं, जिस पर एक आदमी आराम से चल सकता हैं, ये देखकर मैंने स्वामी उमेशानंद जी से पूछा,’’ ये सरोवर का विभाजन सा किसलिए किया गया है?’’ उन्होंने बताया कि महर्षि पुण्डरीक सरोवर में स्नान करके, वहाँ सूर्य को जल देते थे। आज उस स्थान पर सूर्य मंदिर है। छठ पूजा पर व्रतियों की बहुत भीड़ होती है इसलिए ज्यादा से ज्यादा व्रती सूर्य को पुण्डरीक सरोवर से अर्घ्य दे सकें तो ये प्रोविजन किया जाता है।
स्वामी जी ने सीता जी के जन्म की पूर्व कथा सुनाई, जिसका विडियो का लिंक लगाया है और मैं लिख भी चुकी हूँ।https://youtu.be/jiNdpUWp4CY
स्वामी उमेशानंद जी ने बताया कि डी.एम. अभिलाषा कुमारी शर्मा ने पुण्डरीक क्षेत्र के प्राचीन पुण्डरीक सरोवर के जीर्णोद्धार और सौन्दर्यीकरण कार्य का शिलान्यास जिलाधिकारी द्वारा किया गया है। डी.एम. अभिलाषा कुमारी शर्मा ने अपने हाथों से ईंट जोड़ कर कार्य आरंभ किया था। इसके लिए उन्हें साधूवाद।
https://youtu.be/8SExMz02hr0
पर यहाँ और काम की जरुरत है जो नहीं आगे बढ़ रहा है। मन में एक प्रश्न बार बार उठता था कि ’ब्रह्मर्षि पुण्डरीक पुण्यारण्य पुण्डरीक क्षेत्र, की इतनी उपेक्षा क्यों! पुण्डकेश्वर महादेव मंदिर के प्रति लोगों की अगाध आस्था है क्योंकि यहाँ जलाभिषेक करने वालों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
किवदंतियों के अनुसार महर्षि पुण्डरीक की अखण्ड तपस्या से इस पुण्यभूमि पर दिव्य शिव मंदिर था, कालांतर में भूकंप व अन्य दैविक आपदाओं से ध्वस्थ हो गया। ये मंदिर नवनिर्माण है। पास ही खुदाई के दौरान वहाँ अलग साइज़ की ईंट निकले जिसे हम देखने जायेंगे। यहाँ पूजा, अर्चना, जलाभिषेक, रूद्राभिषेक करने वालों को सफलता मिलती है। मैं अपने अनुभव से कह सकती हूँ कि यहाँ आने से पर्यटक माँ सीता के साथ साथ महातपस्वी महर्षि पुण्डरीक के बारे में भी जानेगें और सबसे अच्छी बात जब तक यहां रहेंगे प्रकृति के साथ जुड़ाव में, यानि जल हरियाली के पास प्रदूषण रहित माहौल में रहेंगे। आस पास ढेरों पौराणिक कथाएँ सुनने को मिलेंगी। यहाँ पर्यटकों के बैठने की साफ सुथरी जगह जरुर होनी चाहिए। अब हमें स्वामी उमेशानंद जी खुदाई से निकली ईंट दिखाने ले जा रहें। धर्मेंद्र पांडे और भूमि सिंगल लगातार स्वामी जी से यहां के विकास की बातें करते जा रहे हैं मैं सुन रही हूं और मुझे सरोवर के किनारे चलना बहुत अच्छा लग रहा है। क्रमशः,
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