हमें जहां जाना है, उसकी नरेंद्र के पास लिस्ट है । जगन्नाथ मंदिर से हम चले, मेरा ध्यान तो भुवनेश्वर से परिचय करने में है। सबसे ज्यादा मुझे खुशी साइकिल ट्रैक देखकर हुई। साफ सुथरी सड़के, बस स्टैंड पर शौचालय बने हुए हैं। रास्ते में फुटबॉल एकेडमी, नेशनल क्राफ्ट्स म्यूजियम, कलिंगा स्टेडियम और व्यवस्थित ट्रैफिक मिला। चित्रकारी के साथ हरियाली तो है ही। फुटपाथ पर कोई अतिक्रमण नहीं है। कहीं कहीं बैठने के लिए बेंच भी लगे हुए हैं। पैदल वाले, साइकिल वाले आराम से जा सकते हैं। गाड़ियां लोगों के घर के अंदर हैं। मीता जी के घर में भी गाड़ी घर के अंदर ही खड़ी होती है। ऐसा मुझे कहीं भी देखने को नहीं मिला कि घर से बाहर फुटपाट पर गार्डन, गार्डन की फेंसिंग के आगे के बाहर कार खड़ी हो। यानि सड़क कार गैरेज! 😃 अचानक एक मंदिर देखकर मैंने गाड़ी रूकवाई। यह सफेद रंग का #सोनादेवीमंदिर है। जिसके पंडित महेंद्र दास हैं। आसपास के लोग पूजा करने आए हुए हैं फिर हम आगे चले एक मंदिर देखकर, मैंने फिर गाड़ी रुकवा दी जो #बायाबाबामठ है। ये शाहिद नगर में है। उस रोड का नाम ही बाया बाबा रोड है। गाड़ी रुकवा कर यहां भी दर्शन किया। अब थोड़ा सा गाड़ी चली तो वहां पर साइन बोर्ड था कटक 28 किमी मुझे नेताजी सुभाष चंद्र बोस याद आ गए, कटक उनकी जन्मस्थली है। मैंने कहा," मुझे कटक जाना है।" नरेंद्र ने कहा," पास में ही श्री राम मंदिर है, उनका दर्शन करके चलेंगे। यह तो मंदिरों का शहर है। अगर आप एक-एक मंदिर पर इस तरह रुकेंगे तो मोहंती साहब की लिस्ट पूरा करने में 3 दिन लगेंगे!" अब मैंने नरेंद्र की बात मान ली पर कटक जरूर जाना है। जैसे ही श्री राम मंदिर के पास पहुंचे, मंदिर के कोने पर भीड़ देखकर मैं वहां चली गई देखा। वह खाने पीने की दुकान थी। कई वैरायटी का उड़िया खाना है। कुल ₹35 में जिसमें आप चार चीज़ लगवा सकते हैं। हम नाश्ता करके आए थे पर फिर भी मैंने एक थाली ले ली, मेरे बाजू में जो खड़े थे, उन्होंने कुछ और लिया। खाना इतना था की आराम से पेट भर सकता है। स्वाद के लिए एक वड़ा उठाकर आधा-आधा मैंने मीताजी ने खाया। स्वाद बहुत अच्छा था। थाली हमने नरेंद्र को भिजवा दी। पर यह मुझे बहुत अच्छा लगा कि आप पर मंदिर आए हैं तो दर्शन करने के बाद खा पीकर घर जाएं। क्रमशः
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