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Tuesday, 12 March 2024

अखिल भारतीय साहित्य परिषद् द्वारा लब्धप्रतिष्ठ साहित्यकार स्व. डॉ. रमानाथ त्रिपाठी जी की स्मृति में श्रद्धांजलि सभा

 


अखिल भारतीय साहित्य परिषद् द्वारा लब्धप्रतिष्ठ साहित्यकार स्व. डॉ. रमानाथ त्रिपाठी जी की स्मृति में 11 मार्च 2024 को सत्यवती कॉलेज (सांध्य) के संगोष्ठी कक्ष में श्रद्धांजलि सभा आयोजित हुई। 

प्रारंभ में वेद विदुषी डॉ सुनीता बुग्गा का प्रवचन हुआ। इसके उपरांत डॉ रमानाथ त्रिपाठी जी पर आधारित फिल्माकंन का प्रदर्शन किया गया।

इस अवसर पर सत्यवती कॉलेज (सांध्य) के प्राचार्य प्रो. हरीन्द्र कुमार ने स्व. डॉ. रमानाथ त्रिपाठी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि वे न केवल एक श्रेष्ठ साहित्यकार थे अपितु एक प्राध्यापक के रूप में उन्होंने अपने विद्यार्थियों के जीवन पर अमिट छाप छोड़ी। अपने विनम्र व्यवहार के कारण वे विद्यार्थियों में बड़े लोकप्रिय थे। 

इंद्रप्रस्थ साहि​त्य भारती के अध्यक्ष डॉ. अवनिजेश अवस्थी ने कहा कि डॉ. रमानाथ त्रिपाठी अध्यवसायी व्यक्तित्व के धनी थे। वे निरंतर उद्यम में लगे रहते थे। उन्होंने जहां अपनी सांगठनिक सक्रियता से अखिल भारतीय साहित्य परिषद को सशक्त किया, वहीं अपनी बौद्धिक सक्रियता से साहित्यिक परिदृश्य को भारतीय विचारों से ओत-प्रोत किया। उन्होंने रामायण के विभिन्न पक्षों का गंभीर अध्ययन किया था। 

अखिल भारतीय साहित्य परिषद् के राष्ट्रीय मंत्री श्री प्रवीण आर्य ने डॉ. रमानाथ त्रिपाठी को श्रेष्ठ साहित्यकार के साथ-साथ कुशल संगठक बताते हुए कहा कि वे अखिल भारतीय साहित्य परिषद के संस्थापक सदस्य एवं अध्यक्ष थे। डॉ. त्रिपाठी का 27 फरवरी 2024 की रात दिल्ली में स्वर्गवास हो गया। उनका जन्म 5 अगस्त 1926 को उत्तरप्रदेश के इटावा जिले के क्योंटरा गांव में हुआ था। डॉ. त्रिपाठी लब्धप्रतिष्ठ साहित्यकार थे। उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय 26 पुरस्कार-सम्मान प्राप्त हुए। दिल्ली विश्वविद्यालय से सेवानिवृत होकर वे दो वर्ष तक भोपाल, मध्य प्रदेश में निराला सृजनपीठ के निदेशक भी रहे। 

अखिल भारतीय साहित्य परिषद् की राष्ट्रीय मंत्री प्रो. नीलम राठी ने कहा कि डॉ. रमानाथ त्रिपाठी अंतरराष्ट्रीय ख्याति के रामकथा विशेषज्ञ थे। वे बहुभाषाविद् थे। उन्होंने हिंदी, बंगला, असमिया एवं उड़िया सहित अनेक भाषाओं में व्याख्यान दिए। उनके मौलिक, अनूदित और सम्पादित 40 ग्रंथों में शोध प्रबंध, निबंध संग्रह, उपन्यास, कहानी संग्रह, यात्रा वृत्तांत और आत्मकथा समाहित है। उन्होंने देश-विदेश की रामकथाओं का तुलनात्मक अध्ययन कर उच्च कोटि के शोध प्रबंध एवं समीक्षा ग्रन्थ लिखे। 

इंद्रप्रस्थ साहि​त्य भारती के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. विनोद बब्बर ने डॉ. रमानाथ त्रिपाठी से जुड़े अनेक प्रेरक प्रसंग सुनाते हुए कहा कि वे संवादधर्मी साहित्यकार थे। वे नियमित रूप से पोस्टकार्ड लिखकर एवं दूरभाष पर सबसे संवादरत रहते थे। उन्होंने अखिल भारतीय साहित्य परिषद को सशक्त बनाने में उल्लेखनीय योगदान दिया। उनसे जब भी मिलना होता था, तो वे सदैव राष्ट्रीय विचारों को पुष्पित-प​ल्लवित करने को लेकर चर्चा किया करते थे।  

गूगल मीट के माध्यम से अखिल भारतीय साहित्य परिषद के राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ पवनपुत्र बादल जी तथा दिनेश प्रताप सिंह जी राष्ट्रीय मंत्री ने अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

श्रद्धांजलि सभा का संचालन इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती के संयुक्त महामंत्री श्री संजीव सिन्हा ने किया। सभा में इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती के उपाध्यक्ष श्री मनोज कुमार, संयुक्त महामंत्री श्री बृजेश गर्ग, मंत्री श्रीमती सुनीता बुग्गा, नीलम भागी, श्री जगदीश सिंह, श्रीमती सरोज दीक्षा, श्री जितेन्द्र कालरा सहित अनेक प्राध्यापकों एवं विद्यार्थियों ने प्रो. रमानाथ त्रिपाठी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की।

प्रवीण आर्य जी राष्ट्रीय मंत्री















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