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Friday 29 March 2024

बाली जात्रा कटक Bali Jatra Cuttack उड़ीसा यात्रा भाग 13 नीलम भागी Odisha Part 13 अखिल भारतीय सर्वभाषा साहित्यकार सम्मान समारोह

 


गाड़ी भुवनेश्वर की ओर जा रही थी और मैं महानदी को निहार रही थी। मीताजी एकदम बोली," गाड़ी रोको नरेंद्र, नीलम  यहां पर बाली  यात्रा का मेला कार्तिक पूर्णिमा को लगता है जो एशिया का सबसे बड़ा मेला है।" सामने  बाली यात्रा का प्रवेश द्वार और पीछे विशाल मैदान था। जिसका मुझे अंतिम छोर नजर नहीं आ रहा था कई किमी तो होगा ही। उस मैदान को देखकर ही अनुमान लगा सकते हैं कि यह मेला कितना विशाल लगता है! जो महानदी के गडगड़िया घाट पर लगता है। बाली यात्रा कटक  2000 साल पुराने समुद्री संस्कृतिक संबंधों को दर्शाता है। प्राचीन काल में यहां के ओड़िआ नाविक व्यापारी  जिन्हें सदाबास  'साधवा' कहा जाता था, जावा 

 , सुमात्रा, बोर्नियो (इंडोनेशिया), वर्मा (म्यांमार) सिलोन (श्रीलंका) से व्यापार करते थे। कार्तिक पूर्णिमा के दिन से यह 4 महीने के लिए व्यापार के लिए निकलते थे। इस समुद्री यात्रा में हवा इनका साथ देती थी। पाल वाली नाव हवा की दिशा और पवन ऊर्जा  पर निर्भर यह नाविक, समुद्री 

 व्यापारी,  व्यापार के लिए चल देते थे।  इस बड़ी-बड़ी जहाजनुमा नाव को #बोइतास" कहा जाता है और इन व्यापारियों को #साधवा।  जब यह व्यापार को जाते थे तो परिवार की महिलाएं उनकी  कुशल वापसी के लिए अनुष्ठान करती थीं।  जिसे  'बोइता वंदना' कहते हैं। जो एक परंपरा बन गया है। उसके प्रतीकात्मक आज इसमें #बोइता (छोटी नाव) उत्सव भी मनाया जाता है। यानि कार्तिक पूर्णिमा को सुबह जल्दी पूर्वजों की याद में 'बोइता वंदना' अपने घर के आसपास नदी के तट, तालाब, पानी की टंकी, जहां भी जल उपलब्ध होता है। उसमें सुबह-सुबह कागज या सूखे केले  के पत्तों से नाव बनाकर, उसमें दीपक जलाकर और पान रखकर जल में प्रवाहित करते हैं।  उन जांबाज नविको की याद में।  पूर्वजों की यात्रा के प्रतीकात्मक  रूप में समुद्री नाविक व्यापारियों के लिए है बाली यात्रा।  कटक नगर निगम द्वारा आयोजित बाली यात्रा के एक कार्यक्रम में 22 स्कूलों के 2100 बच्चों ने 35 मिनट में 22000 कागज की नाव बनाने का विश्व विश्व रिकॉर्ड बनाया है। बाली यात्रा  कीर्तिमान है और गिनी बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है।

पर्वों पर नदी स्नान करना हमारे धर्म में है और #कार्तिकपूर्णिमा का पर्व पूरे देश में मनाया जाता है और यहां तो पवित्र महानदी के किनारे बाली यात्रा का आयोजन किया जाता है तो श्रद्धालु 'बोइता वंदना' के बाद महानदी में स्नान कर, धार्मिक महत्व की बाली यात्रा में शामिल होते हैं।  कार्तिक पूर्णिमा को महानदी में स्नान करने के बाद मेले का आनंद उठाया जाता है। यह व्यापार, वाणिज्य सांस्कृतिक खुला मेला है। लाखों की संख्या में यहां लोग आते हैं। एक ही स्थान पर सबके लिए सब कुछ है। युवाओं के लिए आधुनिक संगीतमय, सांस्कृतिक कार्यक्रम है, पारंपरिक कार्यक्रम है। विभिन्न विषयों पर चर्चा के लिए मंडप है। लोक संस्कृति की झलक है। स्थानीय व्यंजन दही बड़ा आलू दम, धुनका पुरी, कुल्फी गुपचुप आदि के खाद्य स्टॉल हैं, खिलौने अनोखी वस्तुएं है व्यापार मेले  का इतिहास है।  हथकरघा,  हस्तशिल्प, कला, अनुष्ठान हैं। प्राचीनता और नवीनता  है।

कलिंग(पूर्व में उड़ीसा) प्रसिद्ध शक्तिशाली समुद्री शक्ति थी। बाली जात्रा उड़ीसा के समृद्ध समुद्री विरासत का प्रतीक है।

क्रमशः 









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