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Sunday 3 March 2024

आस्था का केंद्र सरयू जी, श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र, अयोध्या धाम की यात्रा भाग 9 नीलम भागी

 


 मेरी 95 वर्षीय अम्मा प्रयागराज में 17 साल तक किए मौनी अमावस स्नान का ज़िक्र जरूर करती हैं कि यह हिंदुओं का विशेष पर्व है, इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में नदी स्नान करने से पुण्य मिलता है। इस दिन ऋषि मनु का जन्म हुआ था जिन्हें आम भाषा में मौनी अमावस्या कहा जाने लगा। इस दिन कुछ समय मौन रहते हैं पर विवाह, सगाई, मुंडन, गृह प्रवेश आदि नहीं करते हैं। और वह विशाल जनसमूह के गंगा स्नान का वर्णन करती हैं। मैं तो सिर्फ कल्पना करती थी पर आज यहां देखकर वही सब याद आ रहा है। हम भी भीड़ के साथ सरयू जी की ओर चल दिए। कहीं पर लोग नाच रहे हैं बाकी उन्हें देख रहे हैं। कुछ लोग सरयू जी से लौट रहे हैं। वाहन यहां पर मना है इसलिए दुर्घटना का भी डर नहीं है। सरयू तट पर कई घाट है। हम नया घाट की ओर चलने लगे। बीच में मेले जैसा दृश्य है। कहीं बाजीगर रस्सी पर चल रहे हैं, लोग देख रहे हैं। जो रात में राम की पैड़ी लग रही थी। वह इस वक्त भारत का दर्शन करवा रही थी। जरूर ब्रह्म मुहूर्त में आस्था के डुबकी लगाने के लिए श्रद्धालुओं ने रात नदी तट पर बिताई होगी। पुल पर मैं खड़ी होकर देखने लगी। रास्ते में जगह-जगह भंडारे भी थे। कुछ लोगों ने छोटे-छोटे  अपनी अक्ल से खाने का इंतजाम खुद ही कर लिया था। बहुत कम बर्तनों से  जमीन पर ही उपले जलाकर, उसी में आटे में सत्तू भर के लिट्टी डाल दी औरआलू बैंगन आदि भी। सरयू जी के ठंडे पानी में डुबकी लगाकर, आग के पास बैठ गए। कुकिंग प्रक्रिया भी चल रहा है और सरयू जी दर्शन भी चल रहा है। जिस थाली में लिट्टी की तैयारी की, उसी में चोखा बन जाएगा! अब दोपहर बाद का समय है। सुबह तो क्या नजारा होगा! हां मेरा मौनी अमावस को नदी तट पर समय बिताने की इच्छा पूरी हो गई। मैं एक घंटा, घाट  की सीढ़ी पर अकेली बैठी रही और किसी न किसी से बतयाती रही। अब पैदल-पैदल लौटने लगे क्योंकि 7:00 बजे की अयोध्या कैंट से गाड़ी थी। यहां से लौटने के लिए दूर-दूर तक कोई सवारी नहीं थी। पुलिस जी से पूछा, उन्होंने जो सड़क बताई। वहां से काफी दूर जाने पर कोई सवारी मिलेगी। हम भी भीड़ के साथ चलते जा रहे हैं। अचानक एक ऑटो आया। हम दौड़ के उसके पास, सवारियां उतर रही थीं। हमने पूछा ,"हमें मणि पर्वत छोड़ दोगे?" उसने बहुत अकड़ के कहा," ₹100 सवारी।" जल्दी से बैठ जाओ, यहां गाड़ी लाने की परमिशन नहीं है। यह शेयरिंग ऑटो नहीं था। देखा सीट पर 3 महिलाएं बैठी हुई थीं। मैंने कहा," यहां तो सवारी बैठी हुई है।" वह बोला," बस स्टैंड पर उतर जाएंगे, किसी तरीके से बैठ जाओ या उतर जाओ।" मैं उसकी सीट के पीछे और उन महिलाओं के गोदी को टच करती हूं , कुबरी सी खड़ी हो गई। दो जेंट्स को उसने आगे  अपने साथ चिपका के बिठा लिया।  कुछ दूरी पर बस स्टैंड आया। वह परिवार उतर गया। ऑटो वाले ने ऐसा रास्ता चुना जिसमें रेलवे फाटक ना आता हो। वह गलियों के गुजर रहा था उसका बिल्कुल नया ऑटो था। पर यहां भी जाम! वह भला आदमी फिर भी मेरा शौक देखकर  ऑटो रोक देता था। मैं फोटो लेती। इतना लंबे-लंबे जाम थे । उसे भी ज्यादा चक्कर, ज्यादा कमाई करनी थी। ऑटो चल रहा था और मेरे दिमाग में विचार चल रहे थे। मैं हमारी संस्कृति की पोशाक नदियों में सरयू जी के बारे में सुनी बातों पर सोचने लगी।

सरयू जी के तट पर ऐतिहासिक और तीर्थ स्थल अयोध्या जी है जो आज धर्मनगरी से पर्यटन नगरी भी बन गई है। सरयू जी का वर्णन वैदिक काल से है, ऋग्वेद में है, रामायण में है। बाल्मीकि रामायण के बालकांड में राम लक्ष्मण नाव द्वारा सरयू जी के संगम तक गए हैं। तुलसीदास ने रामचरित मानस में भी सरयू महिमा का वर्णन किया गया है। सरयू जी  राम जी के वन गमन और आगमन की साक्षी हैं। श्री राम जन्मभूमि से 11 किलोमीटर की दूरी पर गुप्तार घाट है। यहां से भगवान का बैकुंठ गमन हुआ। लेकिन आज यहां पर वॉटर स्पोर्ट्स होते हैं और बाजू में बहुत बढ़िया पार्क बना है। मौनी अमावस पर ऐसा मानना है कि सभी तीर्थ सरयू जी का दर्शन करने और स्नान करने आते हैं क्योंकि यह  विष्णु जी की मानस पुत्री हैं। इन्हें ब्रह्म ऋषि वशिष्ठ धरती पर लाए थे। जब रामजी ने सरयू जी में जल समाधि ली तो शिव बहुत क्रोधित हुए। उन्होंने श्राप दिया कि तुम्हारा जल मंदिर और पूजा में नहीं चढ़ेगा। तो सरयू जी ने शिवजी से विनती की कि इसमें उनका क्या कसूर है! तब शिवजी ने कहा कि श्राप तो मैं वापस नहीं ले सकता लेकिन तुम  पूजी जाओगी। मैंने मौनी अमावस पर कल से लेकर अब तक इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालु देखें! और यह प्रचलित कथाएं श्रद्धा पैदा करती हैं। आज इतना जाम देखकर, मैंने कह दिया कि मैं  5:00 बजे स्टेशन के लिए निकल जाऊंगी। चाहे स्टेशन पर बैठी रहूं पर रिस्क नहीं लूंगी। जाकर मैंने खाना खाया लगेज उठाया। क्रमशः 














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