पशुपतिनाथ और बागमति की आरती से लौटने पर डिनर किया और आकर सो गई। बेहद थकी हुई थी इसलिए मैम पर ध्यान ही नहीं गया। कल हमें चंद्रगिरि पहाड़ी पर जाना है। सुबह तैयार होकर नाश्ते के लिए गई तो वहां पर साउथ इण्डियन ब्रेकफास्ट था। देखा कुकिंग एरिया में केरल से कोई ग्रुप आया है। गुप्ता जी ने उनसे ही अपने ग्रुप का भी बनवा लिया। उन लोगों का नाश्ता जैसे ही लगा वे सब अपने आप लाइन में लग कर लेने लगे। और वहां से दूर जहां भी जगह मिलती वहीं बैठ कर या खड़े होकर खाने लगते। ये अपना पूरा सेटअप साथ लाए थे। जिसके लिए एक अलग से गाड़ी थी। पीसने के गैजेट आदि सब कुछ था। बहुत ऑरगनाइज़ उनका काम था। गुप्ता जी की ये विशेषता मुझे अच्छी लगी कि वे जो भी अच्छा लगे, दूसरों से उसे सीखते हैं। केरल किचन को देख कर वह बड़ी केतली और प्रेशर कूकर खरीद लाए। अब चाय बरबाद नहीं होती थी। हमेशा गर्म मिलती। नाश्ता करते ही सब गाड़ियों में बैठे और चंद्रगिरि हिल्स की ओर चल दिए। गाड़ियों ने हमें केबलकार स्टेशन पर उतारा। मनोकामना में 8 लोगों के देर से आने के कारण सबको परेशानी हुई थी। इसलिए गुप्ता जी ने कहा कि सबको 11.30 बजे बस में बैठना है। आठ बजे हम पहुंच गए थे। यह काठमांडु घाटी के दक्षिण पश्चिम की ओर जो समुद्र तल से 2551 मीटर ऊपर है। यहां से अन्नपूर्णा, एवरेस्ट के खूबसूरत नज़ारों को देखा जा सकता है।
यहां पहुंचने के लिए केबलकार से जाना बहुत आसान है। 2.50 किमी. का मनोरम रास्ता 9 से 15 मिनट में तय करना हवा की गति पर निर्भर करता है। मेरा केबल कार में सफर बहुत मनोरंजक रहा। गोंडोला में चार चार टूरिस्ट आमने सामने बैठे थे। मेरा कोई ग्रुप का सह यात्री नहीं था। सभी यहीं के थे। सुशील सपकोटा, सुष्मिता अधिकारी, नाज़िर और हम सब 15 मिनट के रास्ते में खूब हंसे और बतियाये। मैंने यहां के खाने के बारे में ज्यादा पूछा जैसे डैरो, ढिड़ौ, कौदो। फिर यहां अप्रैल 2015 में आए भूचाल पर बातें हुई। खूबसूरत रास्ता बहुत जल्दी बीत गया।
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इस स्थान का ऐतिहासिक महत्व भी है। इस जगह का संबंध नेपाल के राजनीतिक उत्थान से भी है। उसका संबंध नेपाल के एकीकरण अभियान से भी हैं। यहां पृथ्वी नारायण शाह की मूर्ति लगी हुई है। जब वे मकवान पुर में अपने ससुराल से गोरखा जाते समय चंद्रगिरि पहाड़ी पर रूके तो पहली बार काठमांडु घाटी को एकीकृत नेपाल की राजधानी बनाने की योजना बनाई थी। जिसने नेपाल को समृद्ध बनाने में मदद की है। अब यह पूरे नेपाल में सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। केबल कार से उतरते ही वहां से भी उनकी मूर्ति को देखा जा सकता है।
केबल कार से उतरने के बाद बेहद खूबसूरत पैदल का रास्ता है। हरियाली से भरे रास्ते में पेड़ो पर उनके नाम भी टैग किए गए हैं।
हर दिन हजारों लोग यहां आते हैं। यह नेपाल के काठमांडु के केंद्र से 24 किमी दूर है । यहां पहुंचना बहुत आसान हैं। बच्चों बुजुर्गों युवाओं सब के आर्कषण के लिए कुछ न कुछ है। सबसे मनमोहक है काठमांडु का अद्भुत परिदृश्य हैं। एक तरफ घाटी है तो दूसरी ओर गज़ब की हरियाली हैं। ताजी़ हवा के तो कहने ही क्या हैं! पहले यह हिल्स शहरों के लिए सीमा का कार्य करती थी। अब यहां से ही सब एकत्र हुए हैं और राष्ट्र के रूप में कार्य होने से विकास हो रहा है। यहां पृथ्वी नारायण शाह की मूर्ति के साथ तस्वीर लेना कोई नहीं भूलता। नीचे शहर को देखते हैं तो ऊपर बर्फ से ढके पहाड़ों को देखते हैं।
पहाड़ी पर मंदिर के पास एक व्यू टावर, रेस्टोरेंट, फूड स्टॉल, गिफ्ट स्टोर्स, बैंक्वेट, 3डी हॉल के साथ साथ बच्चों के लिए एक मनोरंजक पार्क भी है। प्रकृति प्रेमियों के लिए तो यहां समय बिताना ही बेहद सुखद अनुभूति है। जिप लाइन का भी अनुभव लेते हैं। क्रमशः