जन्म से 11 साल से अधिक समय जहां कन्हैया ने बिताया, वहां उनकी लीलाओं की कहानियां आस पास फैली हुईं हैं। हमने दर्शन करवाने के लिए पंडित जी को लिया। उनके वर्णन ने तो हमें ऐसा कर दिया, मानो कान्हा अभी यहां से गये हैं। वे उनकी सारी बाल लीलाओं के दर्शक रहे हैं और अब हमें आंखों देखा हाल सुना रहें हैं। पतली गली से होते हुए सबसे पहले योगमाया जन्मस्थान और यमुना महारानी जी के दर्शन किए। हम मंत्र मुग्ध से सुनी, पढ़ी और टी.वी. में देखी कहानियों को ऐसे सुन रहे थे जैसे पहली बार सुन रहे थे। हमसे जयकारे लगवाते ठहाके लगवाते, हम लगाते। यहां इस झाड पर लल्ला बंसी बजाते थे। इसका नाम ही बंसीवट है। ़बंसीवट के पास से एक सीधा रास्ता नंद भवन को जाता है। नंद भवन तक जाते हुए बीच में गौशाला और रासचौंक पड़ता है। पत्थरों से बने एक द्वार में घुस कर हम रासचौक जाते हैं। रासचौक में धार्मिक, साांस्कृतिक कार्यक्रम और रासलीला होती है। वहीं से अंदर एक गली से नंद भवन की दीवार दिखाई देती है। जहां दीवार दिखाई देती है, वहीं से अंदर गली मुड़ जाती है। जो सीधे नंद भवन के दरवाजे पर पहुंचाती है। लेकिन अंदर कदम बढ़ने से पहले ठिठक जाते हैं, ये देख कर कि र्फश पर उन दान कर्ताओं के नाम खुदे हुए हैं जिन्होंने नंदगोपाल को प्रतिदिन लगने वाले माखन मिश्री और लड्डुओं के भोग के लिए दान दिए हैं। नंदबाबा के लल्ला का बचपन सुन रहे थे और जो पंडित जी दिखाते वो देख रहे थे। वहां कृष्णमय जो हो गये थे। तलघट में उतरने पर पूतना मोक्ष कक्ष है तो ऊपर को आगे जाते बलराम रेवती भवन है। जहां कृष्ण बलराम व्यायाम करने आते थे। रमन रेती वह रेत है जिसमें दोनो भाई बचपन में खूब खेले।
200 साल पहले स्वामी ज्ञानदास जी ने रमनरेती में बारह साल तपस्या की। बिहारी जी ने उन्हें दर्शन दिए। रमन बिहारी मंदिर बना। रंग बिहारी मंदिर की प्रतिमा वैसी ही है। जिस रुप में उन्हे भगवान ने दर्शन दिए थे।
लल्ला की छठी की लंगोटी जिस कुंड में यशोदा ने धोई थी उस कुंड का नाम लंगोटी कंुड है। आस पास के गांवों से आज भी बच्चे के जन्म के बाद उसकी एक बार लंगोटी यहां धोने आना एक रस्म बन गई है। ठकुरानी घाट एक प्रसिद्ध घाट है। यहां श्री वल्लभाचार्य ने श्री यमुना महारानी जी के दर्शन प्राप्त किए थे। इसलिए भगवान विष्णु के अनुयायी, विशेषरुप से वल्लभाचार्य संप्रदाय के लोग इस स्थान को उच्च सम्मान देते हैं। यशोदा घाट, गोविंद घाट, गोकुलनाथ जी का बाग, बाजन टीला, यशोदा मंदिर के पास ही हनुमान जी का मंदिर है। अब प्रेम मंदिर क्रमशः
4 comments:
सुश्री भागी जी प्रणाम। विगत में मैं कई बार मथुरा, वृंदावन, बरसाना ,नंदगांव ,गोकुल ,गोवर्धन, पुरानी गोकुल, दाऊजी, इत्यादि तीर्थों में गया हूं और इनका वर्णन भी पढ़ा है। परंतु मैं कभी भी इतना आनंद विभोर नहीं हुआ हूं जितना आपका यात्रा वर्णन पढ करके हुआ हूं ।मेरा साधुवाद, नमन और अभिनंदन स्वीकार कीजिए ।।यात्रा वर्णन को रोचक बनाने में आपकी प्रतिभा विलक्षण है।
प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार, धन्यवाद
Interesting
हार्दिक धन्यवाद
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