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Tuesday, 26 December 2023

पांडव भवन मधुवन! माउंट आबू की यात्रा भाग 11, मीडिया महासम्मेलन एवं मेडिटेशन रिट्रीट 2023 नीलम भागी, Neelam Bhagi

 


  


पांडव भवन मुख्य बाजार  से आधा किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हम ॐ शांति भवन गए। बरामदे में खड़े होते ही  ग़ज़ब की हवा थी। मैं और श्रद्धा वहीं कुर्सी पर बैठ गए। अमित और प्रवीण भाई आए और बोले, "चलो यूनिवर्सल पीस हॉल। इस विशाल हॉल में 5000 लोगों की बैठने की क्षमता है और 16 भाषाओ में अनुवाद होता है। इमारत तो आकर्षक है ही और जिसकी खूबसूरती उनकी मेहनत से की गई हरियाली है जो और भव्यता बढ़ा रही है। सड़क पार सामने पांडव भवन है। यह मधुबन के नाम से भी प्रसिद्ध है। जहां शिव बाबा ने आध्यात्मिक जीवन बिताया। यह अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय है। यहां ध्यान कुटिया, शांति मीनार हैं। मेजबानी के लिए रसोई, कपड़े धोने और  परिवहन जैसे अलग-अलग विभाग हैं। सबसे बड़ी विशेषता है  इस परिसर का शांतिपूर्ण वातावरण। यहां के हरे भरे बगीचे में बैठना  तो अपने आप में अद्भुत अनुभूति है। मैं तो मुख्य द्वार से कुछ दूरी पर अकेली बैठ गई और देखती रही। जो भी वहां से गुजरता, उसके  चेहरे पर असीम शांति और सौम्यता नजर आती है और सफेद रंग तो वैसे ही शांति का प्रतीक है। बीके ज्योति पाल ने मुझे देख लिया फिर तुरंत मेरे पास आई और मुझे चाय के लिए ले गई। मैंने कहा," आपकी बस मिस हो जाएगी।" वो बोली," यहां परिवहन व्यवस्था बहुत अच्छी है। थोड़ी देर हम बातें करेंगे फिर मैं निकलूंगी।" हम लोग चाय के लिए गए। उन्होंने मुझे  एक चाय की ओर इशारा किया और कहा कि यह वाली लीजिए। मैंने  ले ली और साथ में नमकीन। वो चाय मैंने पहले कभी नहीं पी थी, बहुत लज़ीज़ थी। काफी समय हो गया है उसे चाय का नाम नहीं याद आ रहा है। नमकीन भी यहां के खाने की तरह, तीखा नहीं पर बेहद स्वाद।  ज्योति के जाते ही मैं परिसर में घूमने लगी। प्रवीण भाई का फोन आया," गाड़ी पर पहुंचे आपने यहां बहुत समय लगा दिया है। अब सिर्फ सनसेट प्वाइंट  देख पाएंगे।" मैं बाहर आ गई। क्रमशः







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